लोक आस्था का दूसरा दिन आज, खरना का प्रसाद खाने का है विशेष महत्व
अशोक झा, सिलीगुड़ी; किसी भी त्यौहार पर पूरी-पकवान बनाने की परंपरा बचपन से देखा होगा। घर में कोई त्यौहार हो तो खाने पर सबसे पहले ध्यान होता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि छठ पूजा के दौरान खरना पर पूरी नहीं रोटी क्यों बनाई जाती है। 6 नवंबर 2024 यानि आज छठ का दूसरा दिन है। आज पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को विधि- विधान से पूजा करने के बाद बखीर और गेहूं के आटे से बनी रोटी खाकर व्रत तोड़ती हैं। पंचांग के अनुसार छठ के दूसरे दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 37 मिनट पर होगा वहीं सूर्यास्त शाम 5 बजकर 30 मिनट पर होगा। इससे पहले सूर्य को अर्घ्य देकर खरना की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा खरना के दिन सुकर्मा योग सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक तत्पश्चात धृति योग रहेगा। छठ के दूसरे दिन खरना करने के लिए व्रती पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ सफाई कर लें। उसके बाद स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें। फिर शाम के समय सूर्यास्त से ठीक पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। शाम के समय छठ मैया की पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हे पर चावल, गुड़ और दूध का प्रयोग करके खीर बनाएं। सबसे पहले छठ माता को भोग लगाएं। अंत में व्रत करने वालों को प्रसाद अवश्य ग्रहण करना चाहिए। खरना में गुड़ की खीर बनाने का रिवाज है. यह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है. व्रती महिलाएं प्रसाद के रूप में सबसे पहले इस खीर को ही ग्रहण करती हैं. उसके बाद इसे लोगों में बांटा जाता है. इस दिन सूर्य देव की विधिवत पूजा का भी विधान है।खरना की विधि: सबसे पहले सुबह-सुबह पूजा स्थल और घर को अच्छी तरह से साफ करें। खरना के दिन पूजा करने वाली महिला या पुरुष साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. पूजा के स्थान पर गन्ने का प्रयोग होता है। इस दिन गन्ने के टुकड़े और उसके रस से भी प्रसाद बनाया जाता है।खरना का प्रसाद: खरना के प्रसाद में मुख्य रूप से गुड़ की खीर, रोटी और कई तरह के फल शामिल होते हैं. गुड़ की खीर बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का इस्तेमाल होता है. इस प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर धीमी आंच पर पकाया जाता है. इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जाते हैं. ताकि प्रसाद में पवित्रता बनी रहे। सूर्य को अर्घ्य देना: खरना के दिन सूर्यास्त से ठीक पहले व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. सबसे पहले छठी मैय्या के पूजन स्थिल पर एक दीपक जलाया जाता है. फिर पानी में गंगाजल और दूध मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है. पूजा के बाद सूर्य देव को प्रसाद का भोग लगाया जाता है और उसे लोगों में वितरित किया जाता है. फिर व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसे नैवेद्य भी कहा जाता है। खरना के दिन क्या न करें?: अक्सर बच्चे बिना हाथ धोएं गंदे हाथों से खरना का सामान छू लेते हैं. तो भूलकर भी उस सामान का दोबारा प्रयोग न करें। पूजा में बनने वाला प्रसाद पहले नहीं देना चाहिए। छठ पर्व के दौरान पूरे चार दिन प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। खरना वाले दिन साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, किसी भी चीज को हाथ धोए बिना ना छुएं। छठ के दौरान महिलाओं को चार दिन तक पलंग पर नहीं सोना चाहिए, उन्हें जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोना चाहिए।