ध्वनि प्रदूषण को लेकर गोरखपुर के स्कूली बच्चों को किया जागरूक
गोरखपुर। ध्वनि प्रदूषण के विविध आयामों और कानूनी रोकथाम के तरीकों के बारे में, ‘सत्या फाउण्डेशन’ द्वारा स्कूली बच्चों को जागरूक करने के क्रम में, सोमवार को गोरखपुर के लिटिल फ्लावर स्कूल, एकला में ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए ‘सत्या फाउण्डेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने बताया कि जैसे दूध को लीटर और गुड़ को किलो में तौलते हैं, उसी प्रकार से ध्वनि की तीव्रता को नापने की इकाई का नाम डेसीबल है. किसी भी मोबाइल फोन में गूगल प्ले स्टोर पर जाकर साउंड लेवल मीटर नामक ऐप को डाउनलोड किया जा सकता है और फिर आपका मोबाइल डेसीबल लेवल बताने लगेगा. मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए 40 से 50 डेसीबल की ध्वनि आदर्शतम मानी जाती है. समाज में शोर बढ़ने के कारण व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, बेचैनी, रक्तचाप, अवसाद आदि बीमारियां हो रही हैं. हाल के दिनों में डी.जे. के ध्वनि स्तर पर कोई नियंत्रण न होने के कारण, नाचते-नाचते हार्ट अटैक और मौतों के समाचार आ रहे हैं जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण एक भयावह समस्या बनती जा रही है.
क्या होता है साइलेंस जोन? सड़क पर डी.जे. को पूरी तरह बैन करने की माँग का क्या निहितार्थ है?
भारत के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के मुताबिक, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल-नर्सिंग होम, कोर्ट और मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा- गिरजाघर के 100 मीटर के दायरे में आने वाले इलाके को साइलेंस जोन कहते हैं. साइलेंस जोन में किसी भी प्रकार का हॉर्न, बैंड-बाजा, पटाखा, लाउडस्पीकर या डीजे बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है और दोषी को ₹1,00,000 तक का जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है. भारत देश में ऐसी कोई सड़क नहीं है जहां साइलेंस जोन वाले स्थान ना आते हों, इसलिए सड़क पर किसी भी प्रकार के डी.जे. को अनुमति देना हिंसा और बवाल को आमंत्रण देने के बराबर है.
दिन में आवाज कम और रात 10:00 से सुबह 6:00 के बीच बंद कराने के लिए क्या करें?
‘सत्या फाउण्डेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने बताया कि रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच साउंड को पूरी तरह से स्विच ऑफ करने का नियम है मगर दिन में भी ध्वनि इतनी कम होनी चाहिए कि आसपास के लोगों को आपस में बातचीत करने या सामान्य कामकाज में कोई दिक्कत ना हो. अगर घर में कोई अस्वस्थ है या स्वस्थ होते हुए भी शोर के कारण बेचैनी महसूस हो तो बिना हिचके निकटतम थानाध्यक्ष या सर्किल ऑफिसर के सीयूजी नंबर पर कॉल करने के साथ ही डायल 112 पर कॉल करें. पुलिस दिन में भी साउंड को कम कराती है मगर रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच साउंड को पूरी तरह से स्विच ऑफ कराती है. ध्वनि की डेसीबल सीमा या समय सीमा का उल्लंघन करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के अंतर्गत घर बैठे ऑनलाइन मुकदमा कराने के लिए आप गूगल प्ले स्टोर से UPCOP नामक एप को डाउनलोड कर सकते हैं.
इतनी सुगम सुविधा देने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार धन्यवाद और बधाई की पात्र है और इतनी जोर से तालियां बजाइये कि मुख्यमंत्री जी के निवास तक तालियों की आवाज पहुंच जाए. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन, विद्यालय के प्रधानाचार्य फादर बेन्नी ने किया.