अद्भुत क्षमताओं और उज्ज्वल इतिहास का समागम है सनातन धर्म : गौतम खट्टर
कहा कि वर्तमान में सनातन धर्म को षड्यंत्रपूर्वक कलंकित करने का किया जा रहा कुत्सित प्रयास
अशोक झा, सिलीगुड़ी: हिंदू धर्म को सनातन धर्म से अभिहित किया जाता है क्योंकि इसका प्रारंभ मानव सभ्यता के विकास के साथ हुआ। अति प्राचीन सभ्यताओं में सनातन धर्म के अस्तित्व के प्रमाण मौजूद हैं। सनातन धर्म की अनंत विशेषताओं ने विश्व को प्रभावित किया है। कई महापुरुषों ने अपने विचार और व्यक्तित्व से विश्व में अपना डंका बजाया। अद्भुत क्षमताओं और उज्ज्वल इतिहास का समागम सनातन धर्म में निहित है। यह बातें कही सनातन महासंघ प्रबल सनातन संस्कृति संवाहक एवं प्रखर वक्ता गौतम खट्टर ने। वह आज विश्व युवा संत स्वामी विवेकानंद जन्म जयंती के अवसर पर सर्व हिन्दी विकास मंच द्वारा ” सनातन की चुनौतियां और भारत का भविष्य” हम जागेगें, देश जागेगा विषय पर अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि सनातन को बदनाम करना एक आसान तरीका है। हम राष्ट्रवादी चिंतक के साथ ही ईसाई और मुस्लिम तुष्टिकरण का विरोध करते आ रहे है। सनातन की चुनौतियां ओर भविष्य
सनातन पर हमले होते है।विश्व में सनातन पर हमला हो रहा है। चंगाई सभा लगाते है। वामपंथी पुस्तक लिखते है और फिर सनातनी पर ही खंडन करते है। मोहम्मद साहेब का प्रमाण नहीं मांगता है मांगता है श्रीराम का। हम बहुतायत कबतक रहेगा। सिलीगुड़ी चिकन नेक है। 1971 में बांग्लादेश अलग हुआ तो भविष्य में सनातन खत्म नहीं होगा यह क्या गारंटी है। खालिस्तानी आंदोलन करने वाला सांसद बन जाता है। चिंता के साथ चिंतन का विषय है। भारत का अब कोई भू भाग नहीं कटे इसका चिंता करना चाहिए। गणपति बप्पा मोरिया तंग करे हमें छोड़िया….। यह नहीं होना चाहिए। सनातन रीति रिवाज को समझना।देवी के नौ दिनों का व्रत करते है लेकिन हमारी बेटियां लव जिहाद का शिकार हो रही है। बेटियों के लिए आत्मरक्षा का शिविर लगाए। बेटियों के अंदर दुर्गा बनाना होगा। गीता को भी गलत अर्थ बताया जा रहा है। जिसके कारण उससे दूर हो रहे है। भाईचारा मत निभाओ, दुरात्मा से दूर रहो, समाज में व्याप्त दुराचार से दूर करो। बांग्लादेश में मंदिरों में इफ्तार दिया जाता था पर आज वही उन्हें काट रहा है। इस्कॉन मंदिर को टारगेट किया जा रहा है। यह भारत की भी बात है यहां विपत्ति में साथ नहीं देते। गांधी को राष्ट्रपिता मानते है पर इसका कोई प्रमाण नहीं है। यह बोलने पर मुकदमा हुआ। भगतसिंह को आतंकी कहते है पर उसपर कारवाई करते है। आज का रावण सेक्युलर है। धर्म का पैमाना अलग कर देता है, संस्कृति का पैमाना अलग कर देता है।उन्होंने कहा कि हमारा सनातन कहता है कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भाव हो और विश्व का कल्याण हो।हमारी संस्कृति जीव जंतु में भी कल्याण की बात करता है। हिंदुस्तान में आज हम 9 राज्यों में अल्पसंख्यक होते चला जा रहा है। उन्होंने पूछा कि आखिर हम सनातनी ही क्यों कम होते जा रहे हैं। अगर हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। आज की डेट में हम सनातन को देखें तो मैं इतना जानती हूं कि आज सनातन धर्म की अलख हमारे संत हर जगह जला रहे हैं। सनातन का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। ये हम भी जानते हैं आप भी जानते हैं। धीरेंद्र शास्त्री जी ने भी पूरी दुनिया में सनातन की अलख जगा रहे है। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए वो एक बड़ा उदाहरण हैं। इस्लाम को माननेवाले मुसलमानों की वर्तमान भारत में 65 सालों के दौरान आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी को हल्के में लिया जाना चाहिए? या फिर यह जनसंख्या का विस्तार एक सामान्य बात है? आज इस प्रकार के अनेक प्रश्न हैं जिनके उत्तर खोजने एवं स्वाधीनता (1947) के बाद से बीते 78 सालों की समीक्षा वं भविष्य का चिंतन करते वक्त वर्तमान भारत की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी अपने को परेशान महसूस कर रही है! गहराई में जाकर देखा जाए तो यह परेशानी यूं ही नहीं है। भारत के सामने आज विश्व के कई देशों के उदाहरण मौजूद हैं, जहां इस्लाम को माननेवालों की जनसंख्या जैसे ही 20 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, वह अराजकता की ओर बढ़ने लगती है। इसके बाद एक स्थिति ऐसी आती है कि वह पूरा मुल्क ही इस्लामिक हो जाता है। इस संदर्भ में अब तक हुए सभी अध्ययन यही बताते हैं कि दो-चार देशों को छोड़कर कम संख्या होने पर भी इस्लाम को माननेवाले किसी भी देश में शांति से रहने में भरोसा नहीं करते हैं। मुस्लिम देशों से शरणार्थी अक्सर बहुत ही धर्मनिरपेक्ष स्थानों में पहुंचते हैं जहां नागरिक अपने दैनिक सामाजिक संपर्क या नागरिक कार्यों को समझने के लिए शायद ही कभी किसी धर्म की पहचान करते हैं। यह इस तथ्य के बिल्कुल विपरीत है कि ये शरणार्थी उन देशों (जैसे सीरिया और सोमालिया) से आते हैं जहां इस्लाम सामाजिक और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।(यानी कि इन दशों के अलावा भी कई देशों से आते हैं)….मुस्लिम देशों से विस्थापितों की आमद तनाव को बढ़ा देती है। इस संबंध में, इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी है कि यूरोप भर के सभी मुसलमान, शरणार्थियों से लेकर नागरिकों तक, किसी भी अन्य धार्मिक समूहों की तुलना में सबसे अधिक धार्मिक रूप से मुखर हैं, जो इस प्रमुख समझ को बढ़ावा देता है कि “इस्लाम समस्याग्रस्त है।” परिणामस्वरूप, इस्लाम को सांस्कृतिक और राजनीतिक एकीकरण में बाधा के रूप में देखा जाता है। अल कायदा, तालिबान, बोको हराम, हिज्बुल्ला, हमास, लश्कर-ए-तोइबा, जमात-उद-दावा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जैश-ए-मुहम्मद, हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत उल अंसार, हरकत उल जेहाद-ए-इस्लामी, अल शबाब, हिजबुल मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, स्टूडेंटस इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी), दीनदार अंजुमन, अल बदर, जमात उल मुजाहिदीन, दुख्तरान-ए-मिल्लत और इंडियन मुजाहिदीन और भी न जाने कितने नए-नए इस्लामिक चरमपंथी और आतंकी संगठन आज दुनिया में हिंसा, षड्यंत्र एवं माइण्डवॉश करके पूरी दुनिया को इस्लामिक बनाने के लिए कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं ।जहां भी बढ़ी मुस्लिम जनसंख्या वहां अंत में क्या हुआ, ये देश हैं इसके सबसे बड़े उदाहरण: भारत में जिन राज्यों में मुसलमानों की जनसंख्या अच्छी खासी है, वहां हिन्दुओं या अन्य मत, पंथ, धर्मावलम्बी के साथ उतने ही अधिक टकराव आपको देखने को मिलते हैं। भारत के जिस भी राज्य में डेमोग्राफी में बदलाव हुआ है, वहां भयंकर परिणाम आज सामने आ चुके हैं। भारत में कई ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं, जहाँ किसी इलाके में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक है, वहां सारे नियम-कानून उनके ही मुताबिक चलाए जाने का प्रयास होने लगता है। इन स्थानों पर आप जाएंगे तो आपको यही अनुभव में आएगा कि भारत के इस हिस्से में शरिया लागू है । पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिले, झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश का कैराना, कश्मीर, तमिलनाड़, मध्यप्रदेश में श्योपुर का कुछ हिस्सा जहां मदरसों में अवकाश शुक्रवार का रखा जा रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, केरल, तेलंगाना या अन्य राज्य ही नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में मुस्लिम इलाकों की स्थिति का आप अवलोकन कर लें, यही नजारा दिखाई देगा। बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री के समाज को एकजुट करने की कोशिश की तो वे टारगेट हो रहे है।