बंगाल में अमृत भारत परियोजना में राज्य सरकार बाधा

हॉकर को हटाने को लेकर मामला पहुंचा हाईकोर्ट, 13 मार्च को फिर सुनवाई

अशोक झा, कोलकाता: रामपुर स्टेशन के पास रेलवे की जमीन से फेरीवालों को बेदखल करने के मामले ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में हंगामा खड़ा कर दिया था। यह मामला शुक्रवार को उच्च न्यायालय में दायर किया गया। अदालत के आदेश से 21 मार्च तक बेदखली पर अस्थायी रोक रहेगी। हालाँकि, अदालत ने कई सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने क्या कहा कलकत्ता हाईकोर्ट: अदालत ने हावड़ा डीआरएम को अगली सुनवाई से पहले हॉकरों के दस्तावेजों की जांच करने का आदेश दिया। इस संबंध में एक रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत करनी होगी। राज्य की सर्वोच्च अदालत ने भी 21 मार्च तक बेदखली पर रोक लगाने का आदेश दिया है। मुख्य तथ्य: केंद्र सरकार ने सरकारी स्टेशनों और स्टेशनों के आस-पास के क्षेत्रों के विकास के लिए अमृत भारत परियोजना शुरू की है। रामपुर स्टेशन के निकटवर्ती क्षेत्र से अवैध कब्जाधारियों को हटाने का निर्णय लिया गया है। रेलवे के इस अचानक फैसले से हॉकरों को चिंता के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। उनका दावा है कि वे कम से कम 50 वर्षों से स्टेशन से सटी रेलवे की जमीन पर कारोबार कर रहे हैं। इस बीच, रेलवे ने घोषणा की है कि अमृत भारत परियोजना के तहत अचानक नोटिस जारी कर बेदखली की जाएगी। फेरीवालों को हटाने की प्रक्रिया कल होनी थी। इस बीच, कोई अन्य समाधान न मिलने पर फेरीवालों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। बताया जा रहा है कि पूर्वी रेलवे हावड़ा डिवीजन के हॉकरों का यह यूनियन तृणमूल से प्रभावित है। यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की अदालत में सुनवाई के लिए आया। उन्होंने पूछा, “क्या उस यूनियन के किसी सदस्य के पास लाइसेंस है? वे 50 वर्षों से व्यवसाय में हैं, लेकिन उनके लाइसेंस कहां हैं?” हॉकर यूनियन के वकील का दावा है कि, “हालांकि उनके पास लाइसेंस नहीं है, लेकिन उनमें से कोई भी बाहरी नहीं है।” इसके बाद न्यायाधीश ने हॉकरों के दस्तावेज सुनने के बाद डीआरएम हावड़ा को अपना बयान पेश करने का अवसर दिया। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 मार्च तय की गई है।

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