शास्त्री महाविद्यालय प्राचार्य के विरुद्ध अध्यक्ष, शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा

सार्वजनिक स्तर पर अध्यक्ष, शिक्षक संघ और प्राचार्य आमने-सामने

शास्त्री महाविद्यालय प्राचार्य के विरुद्ध अध्यक्ष, शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा

 

सार्वजनिक स्तर पर अध्यक्ष, शिक्षक संघ और प्राचार्य आमने-सामने

आँख में काली पट्टी बाँध कर किए शास्त्री प्रतिमा के समक्ष अनशन एवं सत्याग्रह

गोण्डा। लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज गोंडा में महाविद्यालय प्रशासन द्वारा शिक्षकों की विभिन्न मांगों के संदर्भ लगातार किए जा रहे अवज्ञा के विरोध में अध्यक्ष प्रोफ़ेसर शैलेन्द्र नाथ मिश्र मंत्री डॉ 0 मनीष शर्मा के नेतृत्व में दृगबन्द रचनात्मक प्रतिरोध हुआ प्रारंभ।

प्रो. शैलेंद्र नाथ मिश्र, अध्यक्ष, शिक्षक संघ, एल.बी.एस. कॉलेज ने कॉलेज प्राचार्य प्रो. रवींद्र कुमार के विरुद्ध सार्वजनिक स्तर पर मोर्चा खोल दिया है। महाविद्यालय परिसर में शास्त्री जी की प्रतिमा के नीचे अध्यक्ष, शिक्षक संघ रविवार सुबह 10 बजे से 12 बजे दोपहर तक  रचनात्मक प्रतिरोध करते हुए सत्याग्रह एवं दृगबंद अनशन पर रहे हैं। न्याय के लिए आँख में काली पट्टी बाँध कर किए जाने वाले इस अनशन एवं सत्याग्रह मे मुख्य रूप से ग्यारह बिन्दुओ का एक मांग पत्र शामिल करते हुए कहा कि शिक्षक संघ द्वारा प्राचार्य  को महाविद्यालय स्तरीय समस्याओं के उन्मूलन हेतु दिए गए समस्त पत्रों मे से अभी तक कोई संज्ञान न लिया जाना।

संघ कार्यकारिणी को कभी भी वार्ता के लिए न बुलाना।

गत वर्ष गांधी जयंती पर शिक्षक संघ द्वारा स्टाफ रूम को सुव्यवस्थित एवं सुसज्जित करने के लिए रचनात्मक प्रतिरोध करने के बावजूद प्राचार्य  के द्वारा कोई कार्य न कराना।  महाविद्यालय में प्राचार्य  द्वारा विद्यार्थियों से लेकर प्रबंध तंत्र तक अनेक-कोणीय संघर्ष निर्मित करना ।प्राचार्य  द्वारा प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष-सचिव एवं अन्य पदाधिकारियों को गुमराह करना।प्राचार्य द्वारा अपने पद की गरिमा के विरुद्ध निरपेक्ष न रहकर शिक्षक संघ चुनाव में सक्रिय रूप से संलग्न होना। शिक्षक संघ-निर्वाचन के पश्चात प्राचार्य पद की गरिमा एवं आचार संहिता के सर्वथा प्रतिकूल जाकर शिक्षक संघ के समानांतर संघ के कुछ सदस्यों की बैठक कर अध्यक्षता करना निर्वाचित पदाधिकारी का शपथ ग्रहण कराना।

महाविद्यालय में प्राचार्य  द्वारा अपने कार्य को छोड़कर एडमिनिस्ट्रेटिव पॉलिटिक्स करना; जिसके अंतर्गत महाविद्यालय में कई गुटों का निर्माण करना, जिसके परिणामस्वरूप महाविद्यालय की स्वच्छ छवि को आघात पहुंचाना। प्राचार्य  द्वारा हठधर्मिता के कारण  शिक्षकों की समयबद्ध प्रोन्नति में बाधा डालना। महाविद्यालय शिक्षकों एवं कर्मचारियों के परिचय पत्र को निर्गत करने में हस्ताक्षर करने को लेकर प्राचार्य  और सचिव प्रबंध समिति का आमने-सामने आना। प्राचार्य  स्वयं द्वारा बनाए गए किसी भी नियम को मनमाने तौर पर कभी भी परिवर्तित कर देना। शिक्षक संघ इसी तरह प्राचार्य  के अप्रासंगिक एवं दूरदर्शी निर्णयों के अनेक उदाहरण देते हुए विरोध  जताते हुए मोर्चा खोला है।

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