चित्रकूट के सुरम्य स्थल ” गुप्त गोदावरी ” में मिली तीसरी गुफा

 

चित्रकूट। वनवासी राम के धाम चित्रकूट की दो गुफाओं वाली गुप्त गोदावरी पहाडी मे तीसरी गुफा का पता चला है। इसके अंदर की आकृति भूवैज्ञानिकों और लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुयी है। देश के विख्यात भूवैज्ञानिक गुफा के बारे में अध्ययन करने चित्रकूट पहुंच रहे हैं। हाल ही में चित्रकूट क्षेत्र में ग्लोबल जियो पार्क की सम्भावना का परीक्षण करने के लिए आई टीम के प्रमुख भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. सतीश त्रिपाठी और टीम के सदस्य डीएसएन कॉलेज उन्नाव के भूगोल विभाग के डॉ. अनिल साहू ने तीसरी गुफा का विस्तृत सर्वेक्षण किया।
भू-वैज्ञानिकों की टीम के हवाले से पता चला है कि गुप्त गोदावरी की पहाड़ी तिरोहन लाइमस्टोन से बनी है। पहाड़ी के ऊपर स्थित पेड़-पौधों की जड़ों के जरिये जब यह जल चट्टानों तक पहुंचता है तो चट्टानों को घुलाकर गुफा का निर्माण करता है। गुप्त गोदावरी की पहली और दूसरी गुफा का निर्माण और विकास हजारों वर्ष पहले इसी प्रक्रिया से हुआ है।
पहाड़ी में धीरे -धीरे और गुफाएं भी इसी प्रक्रिया से विकसित हो रही हैं। तीसरी गुफा के अंदर जाकर खोजी दल ने गुफा की संरचना और उसमें स्थित स्थलरूपों का अध्ययन किया। टीम के सदस्य डॉ.अनिल साहू ने बताया कि गुफा का मुहाना 3-4 फीट व्यास का है। जिसमें से एक आदमी मुश्किल से रेंगकर प्रवेश कर सकता है। गुफा लगभग 6 फीट ऊंची है और दो भागों में विभक्त है। ऐसा प्रतीत होता है कि लाइमस्टोन चट्टानों के बीच मिट्टी घुलनें से रिक्त स्थान का निर्माण हुआ है। गुफा में स्टेलेग्टाइट और स्टेलेग्माइट पाए गए हैं। जिला सेवायोजन अधिकारी डॉ. पीपी शर्मा नें बताया कि इस पूरे क्षेत्र में इस प्रकार की और भी गुफाएं होंगी जिन्हें खोजने और भूपर्यटन मानचित्र पर लाने की आवश्यकता है। अगर क्षेत्र के युवाओं को सही प्रशिक्षण दिया जाये तो क्षेत्र में आधारिक संरचना के साथ-साथ भूपर्यटन के क्षेत्र मे रोजगार के तमाम अवसर प्राप्त हो सकते हैं।

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