सालाना 20 हजार करोड़ का लगाया जा रहा राजस्व का चूना

लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़,सीबीआई जांच के बाद भी तस्करों के हौसले है बुलंद

अशोक झा, सिलीगुड़ी: साधारण सा दिखने वाला सुपाड़ी की तस्करी से भारत सरकार को सालाना काम से काम 20 हजार करोड़ का राजस्व चुना लगाया जा रहा है। असम से उत्तर बंगाल बिहार के रास्ते हो रही प्रति दिन सुपारी तस्करी में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें बताया गया है कि विदेशी और सड़ी सुपारी को सीमा पार से लाकर भट्टियों में प्रोसेस कर ताज़ा दिखाया जा रहा है। विदेशी रिजेक्टेड सुपारी को बेहद सस्ते दामों में खरीदकर, टैक्स बचाकर बाजार में बेचने वाले काले कारोबारी लाखों ज़िंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। असम और बंगाल के कुछ ट्रांसपोर्टर नकली इवे बिल बनाकर इस सड़ी सुपारी को मध्य और उत्तर भारत में भेजते हैं, और कई गोदाम और कोल्ड स्टोरेज इस तस्करी में सहयोग कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस, एफडीए और जीएसटी विभाग इस मामले से भली- भांति परिचित हैं, लेकिन कार्रवाई करने में चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि, लोगों को उम्मीद थी की अब तस्करों और काले कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, क्योंकि मामला सीबीआई के हाथों में जा चुका है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सुपारी तस्करी की जांच अब सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने मिजोरम के रास्ते म्यांमार से, फिर नेपाल और असम के जरिए इंडोनेशिया से होने वाली इस तस्करी की जांच कर रही है। इससे पहले भी सीबीआई ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क और कस्टम अधिकारियों समेत 3500 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिन्होंने सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ का नुकसान का अनुमान है।
असम और मिजोरम में इस तस्करी को संचालित करने वाले प्रमुख लोगों की पहचान हो चुकी है, जिनमें नज़ाम ज़ाकिर, अल्ताफ काचार, और सिलीगुड़ी का घोष समेत अन्य शामिल हैं। डीआरआई और एसजीएसटी की रिपोर्ट के अनुसार, गुवाहाटी और मिजोरम में सुपारी का उत्पादन नहीं होता, फिर भी वहां से हजारों टन सुपारी के इवे बिल बनाए जा रहे हैं। यह साफ इशारा है कि जीएसटी विभाग के झूठे इवे बिल बनाकर यह गोरखधंधा चल रहा है, जो देश की अर्थव्यवस्था के साथ सीधा खिलवाड़ है।

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