फर्जी पासपोर्ट मामला पहुंचा गृहमंतलय, नकली पासपोर्ट के पीछे है गहरी साजिश
बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय बताकर 121 पासपोर्ट बनाए हैं। जिनमें से 73 पासपोर्ट क्षेत्रीय पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बांग्लादेश के बिगड़ते हालातों के बीच भारत में घुसपैठ और फर्जी पासपोर्ट बनाने का मामला सामने आया है। लालबाजार के सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश से आए लोग मृत भारतीय नागरिकों के राशन कार्ड का इस्तेमाल कर भारतीय पासपोर्ट बनवा रहे हैं।फर्जी पासपोर्ट गिरोह के कारनामों ने पुलिस को भी परेशान और हैरान कर दिया है। कोलकाता पुलिस का कहना है कि फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर बांग्लादेशी घुसपैठिए फ्रांस, इटली और अन्य देशों तक पहुंच गए हैं। इस बारे में पुलिस ने विदेश मंत्रालय को भी जानकारी दी है। बता दें कि कोलकाता में फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह का राजफाश करते हुए पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें डाकघर के दो संविदा कर्मचारी भी शामिल हैं।
पुलिस का अनुमान है कि फर्जीवाड़े में कई और लोग शामिल हो सकते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में फर्जी पासपोर्ट गिरोह के सदस्यों ने विभिन्न बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय बताकर 121 पासपोर्ट बनाए हैं। जिनमें से 73 पासपोर्ट क्षेत्रीय पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए हैं। शेष 48 बनने का इंतजार था, जिसे ब्लॉक कर दिया गया है। गिरोह का सरगना समरेश बिश्वास और उसका बेटा रिपन बिश्वास है, दोनों पुलिस की गिरफ्त में हैं। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उसके गैजेट्स से प्राप्त डाटाबेस से 30 हजार लोगों की सूची मिली है, जिनके लिए उसने फर्जी भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट तैयार किए थे। सूत्रों के अनुसार, इन दस्तावेजों में से कई दस्तावेज अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को जारी किए गए थे।
पुलिस को शक है कि इनमें से कई लोग पश्चिम बंगाल सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं। पुलिस ने इन नामों की जानकारी सभी स्थानीय थानों को दी है ताकि उनकी पहचान और ठिकानों का पता लगाया जा सके। दिपांकर दास, जो बेहाला में अपने घर से एक छोटा कार्यालय चलाता था, इस रैकेट में सक्रिय था। उसने यह फर्जी दस्तावेज तैयार करने का काम मुख्य रूप से एक अन्य आरोपित एस बिस्वास के निर्देश पर किया। जांचकर्ता मामले में कई डाकघरों के साथ पासपोर्ट सेवा केंद्रों की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बनाए थे।
पासपोर्ट पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपित सबसे पहले भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों के नाम पर नकली मतदाता और आधार कार्ड बनाते थे। इसके बाद सभी दस्तावेजों के साथ कोलकाता के विभिन्न क्षेत्रों में फर्जी पते पर पासपोर्ट के लिए आवेदन करते थे। पासपोर्ट सेवा केंद्रों के कुछ कर्मचारी दस्तावेजों और सूचनाओं को सत्यापित किए बिना ही पासपोर्ट पोर्टल पर अपलोड कर देते थे। जब पासपोर्ट बन जाता था तो वे इसे पोस्ट ऑफिस से लेकर गिरोह के सरगना समरेश तक पहुंचा देते थे। समरेश एक पासपोर्ट का बांग्लादेशियों से दो से पांच लाख रुपये तक लेता था। समरेश से पूछताछ के बाद कई लोगों के नाम सामने आए हैं। समरेश पहले भी पासपोर्ट फर्जीवाड़े के मामले में कोलकाता और दिल्ली में गिरफ्तार किया जा चुका है।क्यों? इसके पीछे गहरे कारण हैं। गुप्तचर अधिकारियों का दावा है कि बांगलादेशी भारत में प्रवेश कर आसानी से भारतीय पासपोर्ट बनवा रहे हैं। उसी पासपोर्ट का उपयोग करके वे विदेशों में जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि बांगलादेशी भारत में कैसे प्रवेश कर पासपोर्ट बना रहे हैं?
बांगलादेशी कैसे कर रहे हैं धोखाधड़ी?: सूत्रों के अनुसार, बांगलादेशी मृत व्यक्तियों के राशन कार्ड का इस्तेमाल कर भारतीय पासपोर्ट प्राप्त कर रहे हैं। और इसमें भारत के जन प्रतिनिधि या अधिकारी मदद कर रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है, जिसमें पंचायत, नगरपालिका, खाद्य विभाग के निचले स्तर के जन प्रतिनिधि शामिल हैं। यह माना जा रहा है कि पुलिस के कुछ हिस्से भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
पहला कदम:सूत्रों के अनुसार, भारत में वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करने के बाद, इन व्यक्तियों से किसी स्थानीय थाने में राशन कार्ड खोने की सामान्य डायरी (GD) कराई जाती है। फिर स्थानीय जन प्रतिनिधियों के प्रमाणपत्र और सिफारिश के साथ थाने में जाकर GD दर्ज की जाती है। इस सर्कल के दलाल पहले से ही मृत व्यक्तियों के राशन कार्ड नंबर इकट्ठा कर रखते हैं। इनमें से किसी निष्क्रिय राशन कार्ड का नंबर लेकर GD की जाती है। इस मामले में पुलिस बिना किसी जांच के GD स्वीकार करती है। इस GD के साथ नए राशन कार्ड के लिए आवेदन किया जाता है। बिना जांच के निष्क्रिय राशन कार्ड नंबर पर नया राशन कार्ड जारी कर दिया जाता है।दूसरा कदम:नया राशन कार्ड मिलते ही वोटर कार्ड के लिए आवेदन किया जाता है। यह दूसरा चरण होता है।
तीसरा कदम:वोटर कार्ड प्राप्त करने के बाद, आधार कार्ड के लिए आवेदन किया जाता है। यह तीसरा कदम होता है।
चौथा कदम:वोटर और आधार कार्ड तैयार होने के बाद, बांगलादेशी पासपोर्ट बनाने के लिए आवेदन कर रहे हैं। यहां भी पूरे मामले की अच्छी तरह से जांच नहीं हो रही है। सूत्रों के अनुसार, इस तरीके से बांगलादेशी भारतीय नागरिक नहीं होते हुए भी सभी सरकारी दस्तावेज़ इकट्ठा कर रहे हैं। लेकिन इस तरह के पासपोर्ट घोटाले पर एक बार फिर केंद्र सरकार पर जिम्मेदारी डाल दी है तृणमूल कांग्रेस ने। तृणमूल नेता शंतनु सेन ने कहा कि पासपोर्ट जारी करने की जिम्मेदारी केंद्र की है, और उन्हें इसे संभालना होगा। इस बीच, इस मामले पर भाजपा विधायक शंकर घोष ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही पत्र लिखा है।