मणिपुर में केंद्र सरकार ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को दिया फ्री हैंड
अब शांति स्थापित करना उनकी पहली और आखिरी जिम्मेदारी

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: पिछले दो साल से मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा होने के बाद अब वहां राष्ट्रपति शासन का ऐलान कर दिया गया है। राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के बाद राज्य की कमान गवर्नर अजय कुमार भल्ला के पास चली गई है। कुछ दिनों पहले ही गृह मंत्री अमित शाह के राइट हैंड माने जाने वाले ब्यूरोक्रेट अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था। अब नतीजा सामने है। 24 दिसंबर 2024 को नया गवर्नर नियुक्ति के बाद यहां के सीएम का इस्तीफा हुआ और अब गवर्नर के पास राज्य की कमान दे दी गई।अजय कुमार भल्ला के बारे में जानिए?: मोदी सरकार के सबसे खास ब्यूरोक्रेट्स में अजय कुमार भल्ला की गिनती होती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी केमिस्ट्री का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 52 सालों के इतिहास में अजय कुमार भल्ला ऐसे दूसरे गृह सचिव रहे हैं जो पांच साल से अधिक समय तक पद पर बने रहे। दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइंस ग्रेजुएट व बॉटनी से पीजी करने वाले भल्ला ने पंजाब यूनिवर्सिटी से सोशल साइंस में एफफिल किया और आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की है। अजय कुमार भल्ला: गृह मंत्रालय में अमित शाह के सबसे भरोसेमंद अधिकारी: असम-मेघालय कैडर के आइएएस अफसर अजय कुमार भल्ला के बारे में कहा जाता है कि वह अमित शाह के राइट हैंड हैं। यह इसलिए क्योंकि वह शाह की हर स्ट्रैटेजी को किसी भी सूरत में लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: CM के इस्तीफ़े के 3 दिन बाद बड़ा फ़ैसला: रिटायरमेंट के दिन बनाए गए गृह सचिव: जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद ही गृह मंत्रालय में अजय कुमार भल्ला को लाया गया। गृह सचिव बनने के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में हिंसा न होने की जिम्मेदारी उन पर थी। जम्मू-कश्मीर के बाद देश में सीएए लागू करने का फैसला भी उनके ही कार्यकाल में आया। उनको चार बार सेवा विस्तार मिला। सबसे मजेदार बात यह कि जिस दिन वह रिटायर हो रहे थे उसी दिन उनको एक्सटेंशन देकर गृह सचिव बनाया गया। 23 अगस्त 2019 को अजय कुमार भल्ला रिटायर होने वाले थे। लेकिन उनको रिटायरमेंट लेटर मिलने की बजाय केंद्रीय गृह मंत्रालय का नया गृह सचिव नियुक्त करते हुए सेवा विस्तार दे दिया गया। इसके बाद 2020, 2021, 2022 और 2023 में उनको एक्सटेंशन दिया गया।मणिपुर का सारा दारोमदार अब भल्ला पर?: मणिपुर का राज्यपाल बनने के बाद अजय कुमार भल्ला पर अब यहां शांति बहाली का दारोमदार है। उनकी पूर्ववर्ती राज्यपाल अनसुइया उइके लगातार मणिपुर के हालात को लेकर मीडिया में चर्चा में रहीं। उन्होंने सीधे तौर पर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय पर राज्य की हिंसा की अनदेखी का आरोप लगाया था। अब उनको हटाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह की पसंद को राजभवन में भेजा गया है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार, राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को फ्री हैंड दे दी है।चलिए जानते हैं मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया।राष्ट्रपति शासन क्यों लागू हुआ?: सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप था. यह इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया, जिसमें कथित ऑडियो लीक मामले की फॉरेंसिक जांच के निर्देश दिए गए थे. इस ऑडियो को लेकर बीरेन सिंह पर आरोप था कि मणिपुर में हिंसा उनकी वजह से भड़की है।बिरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिन बाद भी नया मुख्यमंत्री नहीं चुना जा सका. हालांकि, इस मुद्दे पर भाजपा के उत्तर-पूर्व संयोजक संबित पात्रा और अन्य नेताओं ने कई बैठकें कीं लेकिन कोई भी फैसला नहीं हो सका और भाजपा विधायक नए मुख्यमंत्री पर सहमति नहीं बना सके. इसके बाद से सियासी गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जाने लगे थे।वहीं, मणिपुर विधानसभा की पिछली बैठक 12 अगस्त 2024 को हुई थी. संविधान के अनुसार, छह महीने के भीतर (12 फरवरी 2025 तक) फिर से बैठक होनी चाहिए थी. लेकिन कोई मुख्यमंत्री न होने की वजह से विधानसभा का सेशन नहीं बुलाया जा सका।मणिपुर में हिंसा… 250 लोगों की मौत: मई 2023 से मणिपुर जातीय हिंसा का सामना कर रहा है, जिसमें मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष जारी है. इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद अब राज्य की सभी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होंगी. राज्यपाल की भूमिका केवल प्रतीकात्मक होगी. विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है और सभी प्रशासनिक कार्य केंद्र सरकार देखेगी. भाजपा अब भी नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए संघर्ष कर रही है. जब तक कोई नया नेता तय नहीं होता, तब तक मणिपुर केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेगा।