मानव के वश में नहीं है भूकंप की भविष्यवाणी
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित भू-भौतिकी विभाग में आज मालवीय जयंती के मौके पर “”भूकंपीय विज्ञान में नई खोज और भूकंप के लिए पूर्व चेतावनी तंत्र का विकास ” विषय पर कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन नॉर्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग और मिजोरम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. अमरनाथ राय और बीएचयू के प्रो. जीपी सिंह ने किया।
प्रो. अमरनाथ राय ने अपने संबोधन की शुरुआत मालवीय जी को श्रद्धांजलि देते हुए की। उन्होंने मालवीय जी दूरदर्शिता और वर्तमान परिदृश्य में भूकंपीय आपदा प्रकाश डाला। प्रो. राय ने कहा कि पूर्वाेत्तर भूकंप जोन 2 में आता है। यहां पर हर रोज छोटे-बड़े भूकंप आते हैं। इसको लेकर वहां की जनता और सरकार काफी सजग है। कभी कोई बड़ी विपदा भूकंप की वजह से नहीं आती। मिजोरम में भूकंप रोधी और नेचर फ्रेंडली घरों की भरमार है। प्रो. राय ने कहा कि भूकंप के बारे में हर एक चुनौतियों और रहस्यों से इस वर्कशॉप में पर्दा उठने वाला है। बीएचयू के प्रो. जीपी सिंह ने कहा कि भूकंप एक प्राकृतिक क्रिया है, जिसकी भविष्यवाणी करना इंसान या विज्ञान के वश की बात नहीं है। प्रकृति के साथ रहकर हम भूकंप से सुरक्षित रह सकते हैं। हम पूर्व चेतावनी विकसित करने की प्रक्रिया में है।
7 दिनों के नेशनल वर्कशॉप में पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी के 25 छात्रों को ही इसमें हिस्सेदारी कराई गई है। इस वर्कशॉप में भूकंपीय अध्ययन के साथ ही रिसर्च, सॉफ्टवेयर एनालिसिस और प्लेट टेक्टॉनिक और डेटा प्रोसेसिंग आदि पर छात्रों को जानकारियां दी जाएंगी। देश भर से आए जियो साइंटिस्ट इस वर्कशॉप में भूकंप के एक-एक पहलू को स्पष्ट करेंगे। वर्कशॉप में आए वैज्ञानिकों ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में भूकंप का काफी प्रकोप देखा जाता है। वहां पर अब लाइफ स्टाइल भूकंपीय गतिविधियों के आधार पर ढल चुकी है।
कार्यशाला के संयोजक और भू-भौतिकी विभाग के डॉ. रोहताश ने कहा कि यहां मौजूद छात्रों को सात दिनों तक SEISAN, IGOLA, GMT, ZMAP, PYGMT, OBSPY जैसे भूकंपीय अध्ययन वाले सॉफ्टवेयर की उपयोगिता सिखाई जाएगी। साथ ही उच्च गुणवत्ता के सॉफ्टवेयर द्वारा भूकंपीय डेटा, भूकंप की तीव्रता, प्रभाव और उनके कौन-कौन मानक हैं, इसके बारे में छात्रों को जानकारियां दी जाएंगी।
इस कर्यक्रम में आगामी व्याख्यान के लिए आईआईटी-मुंबई के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आनंद सिंह, आईआईटी-रुड़की से प्रसिद्ध भूकंप वैज्ञानिक प्रो. एमएल शर्मा और चिली यूनिवर्सिटी, दक्षिण अमेरिका से डॉ. रंजीत दास हिस्सेदारी करेंगे। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में भू-भौतिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप अरोड़ा, डॉ. वीरेंद्र प्रताप,. सत्य प्रकाश, राघव सिंह, आकिब अली आदि का योगदान रहा।