राजभवन में श्रीमद्भागवत कथा के समापन में कृष्ण सुदामा मित्रता का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
राजभवन में श्रीमद्भागवत कथा के समापन में कृष्ण सुदामा मित्रता का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
उप्र बस्ती जिले में राजभवन में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का बुधवार को समापन हुआ। कथा के अन्तिम दिन बुधवार को श्रीकृष्ण सुदामा की झांकी के साथ कथा व्यास वृन्दावन के आचार्य घनानंद महाराज ने विभिन्न प्रसंग सुनाई कहा कि भक्तों को भगवान से नहीं बल्कि भगवान को मंगाना चाहिए।
सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास घनानंद महराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए, यह भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा से समझ सकते हैं। कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। कथा व्यास ने बताया कि जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना तो प्रभु श्रीकृष्ण सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। भगवान सुदामा को अपने महल में ले गए और उनका अभिनंदन किया। सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की गई।
कथा व्यास प्रेम निधि महाराज ने सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाए और राधा कृष्ण और गोपियों के प्रेम का विस्तृत वर्णन किया।मंच का संचालन पंडित सरोज मिश्रा ने किया। मुख्य यजमान कुंवर कामेश्वर सिंह छोटे राजा, कुवंरानी राज्यश्री सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह, अतुल सर्राफ गोरखपुर, आनंदेश्वर सिंह परिहार शोहरतगढ़, समर विजय शाही डुमरी स्टेट, सुनील कुमार सिंह औरंगाबाद, एयर कामोडोर चन्द्रमौलि सिंह, असौद चितौड़, पूर्व विधायक अनन्त प्रताप देव छोटे राजा उटारी, एनबी सिंह आदि मौजूद रहे।