बीएचयू में प्रो सरफराज आलम की पुस्तक ‘नक्शानामा’ का हुआ लोकार्पण
बीएचयू में प्रो सरफराज आलम की पुस्तक ‘नक्शानामा’ का हुआ लोकार्पण
वाराणसी। भूगोल विभाग के तत्वावधान में भूगोल विभाग के आचार्य प्रो सरफराज आलम की कविता पुस्तक-नक्शानामा -का लोकार्पण सह परिचर्चा का कार्यक्रम भूगोल विभाग के प्रो ऑर एल सिंह सभागार में किया गया जिसके मुख्य वक्ता काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रो पृथ्वीश नाग रहे।मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिष्ठित कवि व हिंदी विभाग,बीएचयू के आचार्य प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल रहे।अध्यक्षता प्रो राणा पी वी सिंह ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पुस्तक के बारे में बोलते हुए प्रो पृथ्वीश नाग ने कहा कि नक्शानामा में साहित्य व नक्शे का गहरा संबंध है।इसमें सामान्य जनता के दुख दर्द शामिल है।इसमें नक्शों के द्वारा बनाई गई दुनिया का लेखा जोखा भी दर्ज है।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रतिष्ठित कवि प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि मानवीय उपस्थिति की खोज है नक्शानामा।इसकी कविताएं सरहदों को अतिक्रमित करती हैं और उस जगह की तलाश करती हैं जहां जीवन है।यह पुस्तक एक नक्शानवीश की आत्मकथा लगती है जिसके माध्यम से कवि सरहदों पर जमी हुई बर्फ को पिघलाता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो राणा पी वी सिंह ने कहा कि संग्रह की कविताएं गहरे आत्म विश्वास की कविताएं हैं।यहाँ संग्रहीत कविताएं गहरे सामाजिक यथार्थ की कविताएं हैं जिनमें गहरी उम्मीद है।
इसके पहले लेखकीय वक्त्तव्य में प्रो सरफराज आलम ने कहा कि यह पुस्तक नक्शे के माध्यम से वैकल्पिक दुनिया की तलाश है।पुस्तक के केंद्र में मनुष्यता है।इस अवसर पर संग्रह से उन्होंने कुछ कविताएं भी पढ़ीं। प्रो अशफाक अहमद ने कहा कि संग्रह में गहरी सांकेतिकता व विविधता है।
प्रो आनंद मिश्र ने कहा कि संग्रह में साहित्य,इतिहास व भूगोल का गहरा रिश्ता है।यह नक्शे के माध्यम से विभाजन की त्रासदी को दिखाया गया है। वक्त्तव्य देते हुए डॉ विंध्याचल यादव ने कहा कि संकलन की कविताएं गहरे सामाजिक सरोकार की कविताएं हैं।ये मनुष्यता के ख्वाब की कविताएं हैं।
संचालन छात्र अभिषेक यादव व मानवी जैन ने संयुक्त रूप से किया।स्वागत डॉ आदित्य सिंह ने किया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ सीमा रानी ने दिया। इस अवसर पर सुबोध मिश्र,यशवी जोशी,सारा अहमद,खुशबू यादव, सृष्टि सहाय ने कविता पाठ भी किया। कार्यक्रम में भारी संख्या मे शिक्षक व छात्र उपस्थित रहे।