भ्रष्टाचार के दस्तावेज CID ने CBI और ED को नहीं सौंपे, बंगाल सरकार पर लगाया 50 लाख रुपये का जुर्माना

भ्रष्टाचार के दस्तावेज CID ने CBI और ED को नहीं सौंपे, बंगाल सरकार पर लगाया 50 लाख रुपये का जुर्माना
– 18 सितंबर तक सभी दस्तावेज केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपने का निर्देश
अशोक झा, सिलीगुड़ी: हमेशा अपने निर्देश के लिए चर्चा में रहने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन एसोसिएशन के खिलाफ 50 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में राज्य को 50 लाख रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को जस्टिस अभिजीत गांगुली की एकल पीठ में हुई। इस मामले की जांच सीआईडी कर रही थी लेकिन जांच के तरीके से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने शिकायत की कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सीआईडी ने उन्हें मामले की जांच से जुड़े कोई दस्तावेज नहीं दिए है। इस निर्देश के बाद उत्तर बंगाल के पीड़ितों के खुशी की लहर दौड़ गई है।
सीआईडी ​​की याचिका को खारिज किया : शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई। सीआईडी ​​ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय द्वारा पारित फैसले की समीक्षा की मांग की। राज्य जांच एजेंसी ने जांच उन्हें सौंपने का अनुरोध किया। लेकिन जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीआईडी ​​की याचिका को खारिज कर दिया है। सीबीआई ने कोर्ट में दावा किया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सीआईडी ​​ने इस मामले में उन्हें कोई दस्तावेज नहीं सौंपा। इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया कि 18 सितंबर तक सभी दस्तावेज केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिए जाएं। अगर दस्तावेज सीबीआई को नहीं सौंपे गए तो गृह सचिव को तलब किया जाएगा।
कहा जरूरत पड़ा तो गृह सचिव को करुंगा तलब : जस्टिस गंगोपाध्याय:
इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय की सीआईडी ​​पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं जानता हूं कि पैसे का गबन किसने किया. जो लोग साइकिल चलाकर गरीबों का पैसा खाते थे, वे अब कार चला रहे हैं. कोर्ट के साथ खेल रहे हैं ? उन्होंने आगे कहा, आपने (सीआईडी) इतने लंबे समय तक जांच की. कुछ क्यों नहीं हुआ ? जांच आगे नहीं बढ़ने पर इसे सीबीआई को दे दिया गया. अगर तीन दिन के भीतर दस्तावेज सीबीआई को नहीं सौंपे गए तो मैं गृह सचिव को तलब करूंगा।
राज्य सरकार पर लगाया भारी जुर्माना: जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा यह 50 करोड़ का भ्रष्टाचार है. गरीबों का पैसा हड़प लिया गया है. गांव के लोग सब्जियां बेचकर पैसे रखते थे. धोखा दिया गया है. फिर उन्होंने ईडी से कहा, जो भी प्रभावशाली है उसे गिरफ्तार करो. उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जितनी जल्दी हो सके जांच शुरू करें।
सारे निवेशकों ने कुल 50 करोड़ रुपये का निवेश किया: कहा की पिछले साल अगस्त में कलकत्ता हाई कोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने वित्तीय धोखाधड़ी के मामले की सुनवाई की थी। उस सुनवाई में वादियों में से एक कल्पना दास ने आरोप लगाया कि सरकार ने अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन एसोसिएशन में 21,163 रुपये का निवेश किया था। कल्पना का दावा है कि इतने सारे निवेशकों ने कुल 50 करोड़ रुपये का निवेश किया। पैसे निकालते समय कंपनी ने दावा किया था कि यह पैसा बाजार में विभिन्न लोगों को ऋण के रूप में दिया जाएगा। लेकिन जब पैसा वापस पाने का समय आया तो निवेशकों को कंपनी बंद पड़ी मिली। जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीआईडी ​​को लगाई फटकार: तीन साल तक जांच के बाद भी सीआईडी यह पता नहीं लगा सकी कि कर्ज के रूप में पैसा किसे दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से शिकायत की कि अगर लोन दिया गया होता तो कर्ज लेने वालों का नाम भी बताया जाता। लेकिन पिछले तीन साल में सीआईडी को किसी का नाम नहीं मिला है। यानी पैसा किसी को दिया नहीं गया है, पैसे की तस्करी की गई है। जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीआईडी ​​को फटकार लगाते हुए कहा कि इस वित्तीय घोटाले में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। लगभग तीन साल की जांच के बाद सीआईडी ​​जांच बंद करने में विफल रही है। इसके बाद उन्होंने केस सीआईडी ​​के हाथ से हटाकर जांच सीबीआई, ईडी को सौंप दी। कुंतल घोष के पत्र मामले की जांच सिर्फ सीबीआई करेगी: वहीं बताया गया की , कुंतल घोष के पत्र के मामले में कोलकाता पुलिस को हाईकोर्ट से झटका लगा है। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें निचली अदालत ने कोलकाता पुलिस व सीबीआई को संयुक्त रूप से मामले की जांच करने का आदेश दिया था। निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती देते हुए सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने निचली अदालत के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी।

Back to top button