बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने फिल्मी अंदाज में अहलूवालिया को कराया खामोश

अपने फिल्मी अंदाज में अहलूवालिया को कराया खामोश
– मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह जीत इंडिया गठबंधन का
अशोक झा, कोलकोता: अपनी खास शैली के कारण हिंदी फिल्मों में अत्यंत लोकप्रिय हुए बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने लोकसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के एस एस अहलुवालिया को 59 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित कर आसनसोल सीट को जीता है। ”अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी दौर” में भाजपा के स्टार प्रचारक हुआ करते थे, पर बाद में सियासी समीकरण बदल जाने के कारण उन्होंने इस पार्टी को ‘खामोश’ कहते हुए पहले कांग्रेस और फिर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। सिन्हा दो बार राज्यसभा एवं तीन बार लोकसभा के सदस्य रहने के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव के नतीजे के बाद पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह जीत इंडिया गठबंधन का है। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। इस बार अगर आप विद्रोह नहीं करेंगे तो लोकतंत्र नहीं रहेगा. इसलिए अटल जी की कैबिनेट में से कोई एक नया प्रधानमंत्री होना चाहिए उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को नैतिक आधार पर तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और अटल जी के कैबिनेट में रहे शख्स को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए। ममता बनर्जी ने साफ कहा कि पीएम मोदी 400 पार की बात कर रहे थे।बीजेपी को एकल बहुमत भी नहीं मिला है। ऐसे में उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दें और इंडिया गठबंधन को मौका मिलना चाहिए। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए ममता बनर्जी एनडीए गठबंधन के साथ थीं और वह मंत्रिमंडल की सदस्य भी थीं।ममता बनर्जी के घर गए थे वाजपेयी: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके कैबिनेट के मंत्रियों के साथ उनके बहुत अच्छे रिश्ते थे. खुद अटल बिहारी वाजपेयी कोलकाता के कालीघाट में स्थित ममता बनर्जी के पैतृक आवास पर गए थे और उनकी मां से मुलाकात की थी। ममता बनर्जी प्रायः ही अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा करते रहती हैं। मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे के खुलासा के बाद भी ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा की।उन्होंने आज साफ किया कि वह चाहती हैं कि मोदी अब जाएं और इंडिया गठबंधन आएं. वह अन्य घटक दलों से भी चाहती हैं कि देश और संविधान की रक्षा के लिए इंडिया गठबंधन का साथ दें।एनडीए नहीं, इंडिया गठबंधन का साथ देंगी ममता: ममता बनर्जी ने साफ कहा कि देश और संविधान की रक्षा के लिए वह इंडिया गठबंधन के साथ रहेंगी।उन्होंने चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद इंडिया गठबंधन के नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव सहित कई नेताओं से बात कीं और उन्हें जीत की बधाई भी दी हैं। उन्होंने साफ कहा कि बीजेपी को एकल बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में बीजेपी अेकले में संविधान में बदलाव नहीं कर सकती है। बिहारी बाबू यद्यपि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में एक बार नयी दिल्ली लोकसभा सीट से हिंदी फिल्मों के सुपर स्टार एवं कांग्रेस प्रत्याशी राजेश खन्ना और फिर पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद के हाथों शिकस्त पाई थी।सिन्हा ने अपने करीब तीन दशक के फिल्मी करियर के बाद 1992 में चुनावी राजनीति में पहली दस्तक दी थी। दरअसल, आडवाणी ने 1991 के लोकसभा चुनाव में दो सीट (गांधीनगर और नयी दिल्ली) पर जीत दर्ज की थी, किंतु उन्होंने नयी दिल्ली सीट को खाली कर दिया। इसके कारण 1992 में हुए उपचुनाव में सिन्हा भाजपा के टिकट पर उतरे, किंतु उन्हें एक दौर के सुपरस्टार एवं कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खन्ना से दो हजार से भी कम मतों से शिकस्त झेलनी पड़ी। सांसद सचिवालय की वेबसाइट के अनुसार, 15 जुलाई 1946 को पटना में जन्मे सिन्हा शहर के मशहूर पटना साइंस कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री लेने के बाद पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान से अभिनय मे डिप्लोमा प्राप्त किया।फिल्मी जीवन में तमाम शोहरत पाने के बाद जब सिन्हा ने राजनीति में कदम रखा तो भाजपा ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और उन्हें अपना स्टार प्रचारक बनाया। माना जाता है कि वह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के नजदीकी थे।सिन्हा का संसदीय जीवन 1996 से शुरू हुआ, जब वह बिहार से राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। सिन्हा 2002 में उच्च सदन के लिए पुनर्निर्वाचित हुए। वह वाजपेयी सरकार में पहले स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री (जुलाई 2002 से 29 जनवरी 2003 तक) रहे। उसके बाद उन्हें (29 जनवरी से 2003 से मई 2004 तक)जहाजरानी मंत्री बनाया गया।भाजपा ने सिन्हा की लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पटना साहिब सीट से उतारा, जिसमें उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद, उन्होंने 2014 के आम चुनाव में इसी सीट से फिर यह सफलता दोहरायी।भाजपा में 2014 के आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक कद्दावर नेता के रूप में उभरने के बाद से सिन्हा पार्टी में धीरे-धीरे नेपथ्य में जाने लगे। वर्ष 2019 में पटना साहिब से उनका टिकट काट दिया गया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया।सिन्हा ने मार्च 2022 में तृणमूल कांग्रेस की राह पकड़ ली। ममता बनर्जी की पार्टी ने सिन्हा की लोकप्रियता पर दांव लगाते हुए उन्हें आसनसोल संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में उतारा। सिन्हा ने इस उपचुनाव में भाजपा की नेता अग्निमित्रा पॉल को तीन लाख तीन हजार से अधिक मतों से हराया था। इस प्रकार सिन्हा तीसरी बार लोकसभा के सदस्य बने।तृणमूल कांग्रेस ने वर्तमान आम चुनाव में आसनसोल से एक बार फिर सिन्हा पर ही भरोसा करके उन्हें यहां दोबारा टिकट दिया।

Back to top button