मंत्रियों, विधायकों के वेतन बढ़ाने के लिए बंगाल विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र सोमवार को

:कोलकाता। पश्चिम बंगाल में मंत्रियों और विधायकों के वेतन बढ़ाने के बारे में दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने के लिए सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है।
पहला विधेयक बंगाल विधानसभा (सदस्यों की परिलब्धियां) और दूसरा पश्चिम बंगाल वेतन और मजदूरी पर है। इसे विशेष सत्र के दौरान सोमवार दोपहर 12 बजे सत्ता पक्ष द्वारा पेश किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष विमान बंदोपाध्याय की अध्यक्षता में सोमवार सुबह 11 बजे कार्य सलाहकार समिति की बैठक होगी जिसमें विधेयक पर चर्चा का समय तय किया जाएगा। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा विधायक विशेष सत्र में भाग नहीं लेंगे क्योंकि वे मंत्रियों और विधायकों के बढ़े हुए वेतन के खिलाफ हैं। बीमारी के कारण एक महीने से घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी संभवत: बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगी। विशेष सत्र ऐसे दिन बुलाई गई है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोलकाता में एक लोकप्रिय सामुदायिक दुर्गा पूजा का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री ने इस साल 7 सितंबर को कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और विधायकों के वेतन में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की थी. तीनों श्रेणियों के लिए मासिक वेतन 40 हजार रुपये प्रति माह बढ़ाने की मंजूरी दी गई है। इस घोषणा ने राज्य में विशेषकर राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच हलचल पैदा कर दी, जो लंबे समय से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर बढ़े हुए महंगाई भत्ते और उस पर मिलने वाले बकाया की मांग कर रहे हैं। बंगाल भाजपा में गुटबाजी चिंता का विषय: बंगाल में अपने लिए सियासी जमीन तलाशने में जुटी भाजपा के लिए आंतरिक कलह चिंता का सबब बन चुकी है। आगामी लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य बना चुकी भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी इससे परेशान है।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को चेतावनी भी दी है। बता दें कि बीते एक साल में भाजपा के अंदर आंतरिक मतभेद तेजी से उभरे हैं। इन मतभेदों की जड़ में जिला स्तर पर संगठन में हुए बदलाव हैं। गौरतलब है कि न तो पंचायत चुनाव में भाजपा कोई असर डाल पाई और धुपगुरी विधानसभा उपचुनाव में भी उसे टीएसमी के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
लगातार विरोध प्रदर्शन का दौर
पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता प्रदेश नेतृत्व के प्रति अपनी असंतुष्टि जाहिर कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उनका आरोप है कि पार्टी में अनुभवी नेताओं के योगदान को नजरअंदाज किया जा रहा है। 12 सितंबर को केंद्र में शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी ऑफिस में बंद कर दिया। कार्यकर्ता मंत्री से इस बात को लेकर नाराज थे कि वह उन्हें टीएसमी के अत्याचार से बचा नहीं पा रहे हैं। इसके बाद 23 सितंबर को भी सुभाष के खिलाफ ही बांकुरा में प्रदर्शन हुए थे। तब उनके ऊपर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगा था। कुछ ऐसा ही 11 अक्टूबर को भी हुआ था जब उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कोलकाता के साल्ट लेक में पार्टी कार्यालय के बाहर हंगामा किया। उन्होंने बारासात संगठनात्मक जिला समिति के गठन का यह कहते हुए विरोध किया कि कुछ पदाधिकारी तृणमूल समर्थक हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने दिया सख्त संदेश
इसी तरह 12 अक्टूबर को कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने मध्य कोलकाता में राज्य पार्टी मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मजूमदार और राज्य महासचिव (संगठन) अमिताव चक्रवर्ती सहित अन्य को हटाने की मांग की। ताजा विरोध प्रदर्शन के बाद कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी के पश्चिम बंगाल के को-ऑब्जर्वर अमित मालवीय और सांसद जगन्नाथ सरकार पर नाराजगी भी व्यक्त की थी। इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांतो मजूमदार ने प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी अनुशासन के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को पार्टी के नेताओं से बात करनी चाहिए और प्रॉपर चैनल के जरिए अपनी शिकायत पहुंचानी चाहिए। मजूमदार ने आगे कहा कि किसी भी हालात में इस तरह के विरोध प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। हम इसके खिलाफ सख्त ऐक्शन लेंगे।
वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करने का आरोप
पार्टी कार्यकर्ताओं के इस तरह के विरोध प्रदर्शन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल सकते हैं। भाजपा ने पश्चिम बंगाल ने 35 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया हुआ है। साल 2019 में यहां पर पार्टी ने 22 लोकसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। वहीं, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने वर्तमान प्रदेश नेतृत्व से ताजा हालात से नरमी से निबटने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि हमें विरोध प्रदर्शन के पीछे की वजहों को समझना होगा। विरोध कर रहे लोगों से बातचीत करके उनकी चिंता को समझना होगा। गौरतलब है कि कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश नेतृत्व पर आरोप लगाया है पार्टी में आए नए लोगों को तवज्जो दी जा रही है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रदेश में दिलीप घोष जैसे वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। जबकि इन लोगों ने प्रदेश में पार्टी की जड़ें जमाने में मदद की है। घोष को जुलाई में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था।
टीएमसी ने साधा निशाना
इन सबके बीच टीएमसी ने अंदरूनी संघर्ष से निपटने में नाकाम रहने पर भाजपा की आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ता में आना चाहती है, लेकिन उसका पार्टी के अंदरूनी संघर्ष पर नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा को टीएमसी को हराने का सपना देखने के बजाए अपनी पार्टी की लड़ाई पर ध्यान देना चाहिए। टीएमसी के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा कि भाजपा में सर्कस की शुरुआत हो चुकी है, जबकि ठंड अभी आई भी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को उनके ही दफ्तरों में बंद कर दिया जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या यह लोग हमारा मुकाबला कर पाएंगे। टीएमसी सांसद ने कहा कि भाजपा का लोगों से कनेक्शन खत्म हो चुका था। अब उनका अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से संपर्क भी टूट चुका है। @रिपोर्ट अशोक झा