राशन वितरण घोटाला में आरोप पत्र, 400 करोड़ से ज्यादा का राजस्व लूट, शुभेंदु अधिकारी का ऐलान होगा उत्तर बंगाल में आंदोलन

सिलीगुड़ी: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में राशन वितरण घोटाला मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की।।सूत्रों ने कहा कि आरोप पत्र में जो दो हाई-प्रोफाइल नाम सामने आए हैं, वे पश्चिम बंगाल के वर्तमान वन मंत्री और पूर्व राज्य खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और कोलकाता स्थित व्यवसायी बाकिबुर रहमान के हैं।सूत्रों ने यह भी बताया कि 400 करोड़ रुपये का यह प्रारंभिक अनुमान केवल राज्य के खजाने में हुए नुकसान से संबंधित है, न कि कथित घोटाले के पूरे वित्तीय आकार से। इस घोटाला को लेकर भाजपा नेता व विधानसभा के विरोधी दल नेता शुभेंदु अधिकारी ने सिलीगुड़ी में घोषणा किया की वह इस मामले को छोड़ने वाले नहीं है। इस मामले में उत्तर बंगाल में व्यापक घोटाला हुआ है। इसको लेकर उत्तर बंगाल में आंदोलन होगा। भाजपा जबतक सबको जेल जाने भेजती है तब तक चैन से नहीं बैठने वाली। उन्होंने तो टीएमसी के इशारे से उत्तर बंगाल होकर कोयला, मवेशी तथा अन्य जीव जन्तु तस्करी किए जाने का आरोप लगाया। बताई चले की दोनों को राशन वितरण मामले में कथित संलिप्तता के लिए ईडी ने गिरफ्तार किया था। रहमान वर्तमान में दक्षिण कोलकाता के प्रेसीडेंसी सेंट्रल सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में हैं। मंत्री को राज्य संचालित एस.एस.के.एम.मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों ने कहा कि दो व्यक्तियों का नाम लेने के अलावा, केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने पहले आरोपपत्र में 10 फर्जी कॉरपोरेट संस्थाओं का भी जिक्र किया है, जो कथित घोटाले की गलत कमाई की कार्यवाही को दिशा देने और भटकाने के लिए खोले गए थे। सूत्रों ने बताया कि ईडी ने आरोपपत्र में यह भी बताया है कि कैसे गिरफ्तार मंत्री ने अपनी पत्नी और बेटी के साथ-साथ अपने करीबी विश्वासपात्रों को इन कॉर्पोरेट संस्थाओं का निदेशक बनाकर अपने पारिवारिक संबंधों को इन फर्जी संस्थाओं में संचालन किया। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने इन फर्जी कॉरपोरेट संस्थाओं के साथ मंत्री के करीबी विश्वासपात्र रहमान के संबंधों का भी विवरण दिया है।सूत्रों ने कहा कि आरोप पत्र में केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने मामले में अनियमितताओं को चलाने के लिए गिरफ्तार व्यवसायी द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली का विवरण प्रदान किया है। रहमान के बारे में विवरण में यह भी शामिल है कि कैसे उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित होने वाले आटे को खुले बाजार में बेचा, खासकर पैकेज्ड आटे के विपणन में लगी कॉर्पोरेट संस्थाओं को. इसके अलावा रहमान पर फर्जी किसान सहकारी समितियां खोलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर किसानों से अवैध रूप से धान खरीदने और फिर उसी धान को खुले बाजार में एमएसपी से अधिक कीमत पर बेचने का भी आरोप लगाया गया है।सूत्रों ने कहा कि हालांकि यह सिर्फ प्रारंभिक अनुमान है, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि जांच अधिकारी जांच के दौरान गहराई में जाएंगे और फंड डायवर्जन के विभिन्न तरीकों से संबंधित अधिक सुराग प्राप्त करेंगे।सूत्रों ने यह भी बताया कि 400 करोड़ रुपये का यह प्रारंभिक अनुमान केवल राज्य के खजाने में हुए नुकसान से संबंधित है, न कि कथित घोटाले के पूरे वित्तीय आकार से। घोटाले में शामिल लोगों द्वारा खाद्यान्‍न बेचकर भारी पैसा कमाया गया है। कमाई सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए उत्पाद खुले बाजार में प्रीमियम दर पर या रियल एस्टेट और होटल जैसे अन्य क्षेत्रों में घोटाले की आय का निवेश करके भी की गई।सूत्रों ने बताया कि आरोपपत्र में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से जुड़े एक नौकरशाह का बयान शामिल किया गया है। ईडी के अधिकारियों ने नौकरशाह को गवाह के रूप में संदर्भित किया है। आरोपपत्र में ईडी ने पश्चिम बंगाल के वन मंत्री और पूर्व राज्य खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और कोलकाता स्थित व्यवसायी बकीबुर रहमान को घोटाले के प्रमुख मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना है।ईडी ने यह भी उल्लेख किया है कि पीडीएस डीलरों, चावल-मिल मालिकों का एक वर्ग भी पूरे लॉन्ड्रिंग सिस्टम में पक्षकार थे। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को राज्य के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के एक वर्ग की संलिप्तता के बारे में भी जानकारी मिली है, यह देखते हुए कि रहमान के कब्जे से बड़ी संख्या में विभाग की आधिकारिक मुहरें जब्त की गई थी। @
रिपोर्ट अशोक झा

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