राशन और धान खरीद घोटाले में अब कसेंगा ईडी के साथ पुलिस का शिकंजा

सिलीगुड़ी: राशन वितरण और धान खरीद घोटाला मामले में जुड़े धंधेबाजों की मुश्किलें कम होने के बदले बढ़ने वाली है। ईडी ही नहीं अब पुलिस के शिकंजे में आ सकते है यह धंधेबाज मिल मालिक और इससे जुड़े अधिकारियों की खैर नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल पुलिस से राशन वितरण मामले में अपनी समानांतर जांच फिर से शुरू करने का अनुरोध किया। केंद्रीय एजेंसी द्वारा राज्य पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय के कार्यालय को भेजे गए संचार में राज्य में विभिन्न चावल-मिलों और आटा-मिलों के खिलाफ प्रस्तावित समानांतर जांच का सुझाव दिया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर राशन वितरण मामले में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई थी। ईडी ने अपनी विज्ञप्ति में केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों के पास उपलब्ध आवश्यक जानकारी के साथ राज्य पुलिस को सभी आवश्यक सहायता का आश्वासन भी दिया था। घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने कहा कि चूंकि ईडी की जांच का दायरा कथित घोटाले में केवल मनी लॉन्ड्रिंग पहलू तक ही सीमित है, इसलिए उनके अधिकारियों के लिए इन राइस-मिलों और आटा-मिलों से जुड़े बड़े सांठगांठ की जांच करना संभव नहीं है। केंद्रीय एजेंसी ने यह भी बताया है कि राशन वितरण मामले की शिकायतें 2020 से सामने आ रही थीं और यदि उस समय राज्य पुलिस तत्काल कार्रवाई करती तो अनियमितताओं को काफी हद तक सीमित किया जा सकता था। ईडी ने इस सप्ताह राशन वितरण मामले में अपना पहला आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें उसने पश्चिम बंगाल के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और कोलकाता स्थित व्यवसायी बाकिबुर रहमान को मामले में मास्टरमाइंड के रूप में नामित किया। आरोप पत्र में केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने यह भी विस्तार से बताया है कि कथित घोटाले की आय को विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए खोले गए 10 फर्जी कॉर्पोरेट संस्थाओं के माध्यम से कैसे प्रसारित और डायवर्ट किया गया था। ईडी के अधिकारियों ने गिरफ्तार मंत्री की बेटी और पत्नी के नाम पर 2.89 करोड़ रुपये की भारी राशि वाली 58 सावधि जमा भी जब्त कर ली है। इन सावधि जमाओं का जिक्र मंगलवार को कोलकाता की एक विशेष अदालत में ईडी द्वारा दायर पहले आरोपपत्र में है। रिपोर्ट अशोक झा

Back to top button