ताला खुलवाने वाले जिला जज के परिवार को न्योता न मिलने का मलाल
गोरखपुर : राम मंदिर का ताला खुलवाने वाले फैजाबाद के तत्कालीन जिला जज कृष्ण मोहन पाण्डेय के परिवार को प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन का न्योता न मिलने का मलाल है। हालांकि परिवार को न तो न्योते का इंतजार है और न ही कोई नाराजगी। एक कसक जरूर है कि श्रीराम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट को कम से कम पूछना तो चाहिए था। जस्टिस पाण्डेय गोरखपुर के रहने वाले थे पर अब परिवार लखनऊ में रहता है।
1 फरवरी 1986 को तत्कालीन जिला जज कृष्ण मोहन पाण्डेय ने ही रामलला का दर्शन-पूजन करने के लिए विवादित स्थल का ताला खुलवाने का आदेश दिया था। शाम को आए उनके इस फैसले के 40 मिनट के भीतर मंदिर का ताला खुलवा दिया गया था और वहां विधिवत पूजन-दर्शन शुरू हुआ। जस्टिस पाण्डेय गोरखपुर के जगन्नाथपुर के रहने वाले हैं पर रिटायरमेंट के बाद वह वहां नहीं गए बल्कि लखनऊ में परिवार के साथ रहने लगे।
अब उनके परिवार में दो बेटे राकेश पाण्डेय, मुकेश पाण्डेय व बेटी डा मधु पाण्डेय लखनऊ की एक कालोनी में रहती हैं। पेशे से चिकित्सक डा मधु पाण्डेय कहती हैं कि उस जजमेंट को लेकर वह कोई कमेंट नहीं करना चाहती हैं क्योंकि वह एक रूटीन केस था। पिताजी ने तथ्यों और दलील के आधार पर यह फैसला दिया था न कि किसी पूर्वाग्रह के तहत। वह या उनका परिवार इस जजमेंट के आधार पर किसी तरह का लाभ लेने वालों में नहीं है।
वह कहती हैं कि इस फैसले के आधार पर राजनीतिक या किसी और तरह का लाभ लेने की उनकी न तो मंशा है और न ही उचित है। उनका कहना है कि कायदन मंदिर ट्रस्ट को कम से कम पूछना तो चाहिए था मगर न्योता मिलने का उनके परिवार को न कोई इंतजार है और न ही किसी से नाराजगी। मलाल जरूर है। वह कहती हैं कि जरूरी नहीं कि उसी दिन जाकर पूजन-दर्शन किया जाए। भगवान का मंदिर है, कोई, कभी भी जाकर दर्शन कर सकता है।