लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और संघ प्रमुख होंगे शामिल,विपक्ष को मुस्लिम वोट खिसकने का डर है विपक्ष को

नई दिल्ली : अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा और विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार की ओर से आरएसएस चीफ भागवत को निमंत्रण दिया गया है। आपको बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। इसमें 96 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी का उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया था। बीजेपी के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी होंगे शामिल। वीएचपी ने दिसंबर में बीजेपी के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, उस समय मंदिर ट्रस्ट ने कहा था कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के स्वास्थ्य के कारण समारोह में शामिल होने की संभावना नहीं है।अयोध्या में उपस्थिति के बारे में बोलते हुए विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।निमंत्रण मिलने के बाद संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे भव्य प्रसंग पर वहां प्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज करने का अवसर मिला है। 22 जनवरी को किया जाएगा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित अयोध्या में राम मंदिर में राम लला का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को आयोजित किया जाएगा। इस समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश भर से हजारों साधु-संतों को आमंत्रित किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर अयोध्या में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। आयोजन से पहले, आरएसएस और विहिप सहित संबद्ध संगठनों के स्वयंसेवक देश भर में लोगों से संपर्क साध रहे हैं और उन्हें प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अपने पड़ोस के मंदिरों में पूजा में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। आरएसएस कार्यकर्ताओं ने देश भर में शुरू किया था घर-घर जाकर जन संपर्क कार्यक्रम आरएसएस कार्यकर्ताओं ने एक जनवरी को देश भर में घर-घर जाकर जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किया। पिछले साल नवंबर में गुजरात के कच्छ जिले के भुज में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह और इस आयोजन को ‘बेहद कामायाब’ बनाने की अपनी योजना पर चर्चा की थी।भगवान श्रीराम का मंदिर एक पूजा की और अपने अराध्य श्रीराम की दृष्टि से केवल ऐसा प्रसंग नहीं है बल्कि इस देश की जो मर्यादा और पवित्रता है, उसकी स्थापना पक्की होने का यह प्रसंग है।’स्वंत्रतता में जो ‘स्व’ है, वो हमारी मर्यादा’
सपूर्ण देश में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरूषोतम माना जाता है. हम स्वतंत्र हुए तो स्वंत्रतता में जो ‘स्व’ है, वो हमारी मर्यादा है. ‘स्व’ के कारण हमारा जीवन पवित्र है और उसकी वजह से दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा है। बातचीत करते हुए आलोक कुमार ने कहा कि राम जी का मंदिर बन रहा है, ये पूरे समाज के लिए है। विश्वभर में समाज के लोग इकट्ठा होंगें।बता दें कि 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भव्य तरीके से आयोजित की गयी है। उन्होंने कहा, “हमने पीएम को न्योता दिया तो विपक्ष के नेता को भी दिया। जेपी नड्डा को दिया तो मल्लिकार्जुन खरगे को भी दिया। हमने बैलेंस रखकर सबको बुलाया। राजनीति कहां है इसमें? जो आने में संकोच कर रहे हैं उनके मन में राजनीति या वोट बैंक हो सकता है, हम तो सबके स्वागत को तैयार है.” उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोटबैंक के चलते कुछ लोंगों को बहुत देर लगा, जिन्होंने पहले कहा था कि आएंगे. जो आए उनका स्वागत, जो नहीं आए उनकी इच्छा। कारसेवकों पर गोली चलाना सरकार प्रयोजित हत्या थी। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग कारसेवकों पर गोली को सही ठहरा रहे हैं, वो घावों को हरा कर रहे हैं जो कि कष्टदायक है.वो दमनचक्र वाली सरकार थी. रामधुन वालों पर बिना चेतावनी सीने पर गोली चलाई. ये सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा हत्या थी. समाज को हमारा वचन है की इस घटना को याद कराते रहेंगे। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, यूपी में जो सनातन का लगातार अपमान कर रहे है समय आने पर लोकतांत्रिक पद्धति से समाज जवाब देगा. उन्होंने कहा कि पूजित अक्षत हम 10 करोड घर और उसके जरिए 50 करोड लोगों तक पहुंचाएंगें. हिंदू इक्ट्ठा होकर मंदिर में आरती करेंगे और देखेंगे। जो विरोध कर रहे हैं, जनता देगी जवाब। आलोक कुमार ने कहा कि जो कारसेवक पैदल आए थे. उनके मन में चुनाव नहीं था, ना वो चुनावी कैंडिडेट थे. उसमें अधिकांश बीजेपी के कार्यकर्ता भी नहीं थे. राम मंदिर का आंदोलन हमने स्वाभिमान के पुनर्स्थापन के लिए लड़ा. इसका असर चुनाव में तो होगा ही। उन्होंने कहा कि भारत के सनातन, धर्म, मंदिर, रामजन्मभूमि, रामजी का अपनान करने का परिणाम जरूर होगा और हिंदू समाज जरूर इन सब पर विचारों करेगा. बाकि जो विरोध कर रहे हैं तो उनपर भी जनता विचार करेगा. अगर वो आ जाते तो राजनीति समाप्त हो जाती। रिपोर्ट अशोक झा

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