संदेशखाली पीड़ितों का दर्द साझा करेंगे पीएम मोदी, टीएमसी खेमे में बढ़ी हलचल

बंगाल के 42 सीटों पर होगा चुनावी फायदा, लोगों के भरोसा पर खड़ा उतरना चाहती है बीजेपी

कोलकाता: संदेशखाली में गुरुवार दोपहर उस समय ताजा तनाव उत्पन्न हो गया, जब कुछ ग्रामीणों की भीड़ ने फरार तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के छोटे भाई शेख सिराजुद्दीन की संपत्ति पर धावा बोल दिया और तोड़फोड़ के बाद वहां आग लगा दी। बीजेपी लगातार ममता पर दबाव बना रही है। संदेशखाली को लेकर चल रहे विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 मार्च को पश्चिम बंगाल का दौरा करने वाले हैं। ऐसी उम्मीद है कि वह संदेशखाली द्वीप पर उन लोगों से मिलेंगे जिन्होंने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से जुड़े नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और जबरन वसूली के आरोप लगाए हैं।
पहले एससी-एसटी आयोग ने दौरा किया, फिर राष्ट्रीय महिला आयोग ने और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संदेशखाली हिंसा और महिलाओं के साथ रेप की घटना पर सुओमोटो लेते हुए 4 हफ्ते में चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी से संदेशखाली हिंसा पर रिपोर्ट मांगी है। संदेशखाली को लेकर बीजेपी जितनी अग्रेसिव है, दीदी की चिंता उतनी ज्यादा क्यों बढ़ रही है। संदेशखाली की वो फाइल जो अब तक आपको किसी ने नहीं बताई वो हम आपको बताएंगे। पांच लोकसभा क्षेत्रों वाले बंगाल के सबसे बड़े जिले की प्रभारी मंत्री ज्योति प्रिया मल्लिक भी जेल में बंद हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनके करीबी सहयोगियों में से एक शेख शाहजहां जिले के दो सबसे महत्वपूर्ण ब्लॉकों में काम कर रहे थे, वह भी अब फरार टल रहे हैं।जनवरी की शुरुआत में कथित तौर पर ऑन-ड्यूटी ईडी अधिकारियों पर हमले की साजिश रचने के बाद चीजें बदतर हो गईं। इसके बाद शाहजहां के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन हड़पने के आरोप लगने लगे। वह करीब 49 दिनों से फरार हैं। दक्षिण बंगाल में ढह रहा तृणमूल का किला?
दक्षिण बंगाल के दो सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील जिले दक्षिण और उत्तर 24 परगना में लोकसभा की कुल 10 सीटें हैं। इन सीटों पर शाहजहां, अराबुल इस्लाम, सौकत मोल्ला और कुछ अन्य वरिष्ठ तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्टी के लिए काम कर रहे थे। इन नेताओं में से सौकत और अराबुल क्रमशः विधायक और पूर्व विधायक। वहीं, शाजहान जिला परिषद के वरिष्ठ सदस्य हैं। वरिष्ठ तृणमूल नेताओं को भरोसा है कि संदेशखाली का मामला जल्द ही शांत हो जाएगा। इसके बीच चीजें व्यवस्थित हो जाएंगी। उन्हें यह भी उम्मीद है कि लोग शाहजहां को भूल जाएंगे। न्यूज-18 की रिपोर्ट के मुताबिक, मोल्ला ने कहा कि हमारी पार्टी का ढांचा बरकरार है और चिंता करने की कोई बात नहीं है। इसी क्षेत्र के एक अन्य टीएमसी नेता ने कहा, “क्षेत्र में कुछ मुद्दे थे, लेकिन अधिकांश आरोप हैं। आंशिक रूप से मनगढ़ंत हैं। पार्टी उनकी जांच कर रही है। प्रशासन भी अपना काम कर रहा है। सब कुछ जल्द ही व्यवस्थित हो जाएगा। संदेशखाली ब्लॉक में 11 पंचायतें हैं, जिनमें से एक पंचायत के कुछ बूथों पर हमें थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। बाकी हमारा है।पूर्व विधायक अराबुल को पिछले साल दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में हुई हिंसक झड़प के बाद गिरफ्तार किया गया था। वे अब भी जेल में हैं। कैनिंग से तृणमूल विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता मोल्ला के पास दक्षिण 24 परगना जिले का प्रभार है। इन तीनों पर हिंसा के कई आरोप हैं।राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर ये दोनों जिले टीएमसी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। बंगाल की लगभग एक-चौथाई लोकसभा सीटें इन्हीं दो जिलों में हैं। इन जिलों के कुछ ब्लॉक और कई विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिमों का वर्चस्व है। बंगाल के वोट शेयर की बात करें तो यहां उनकी आबादी 30 प्रतिशत के करीब है। बंगाल में मुस्लिम टीएमसी का साथ देते आ रहे हैं।संदेशखाली, हिंगलगंज, बसंती, भांगर जैसे क्षेत्रों को राजनीतिक दलों के लिए ‘मनी बैग’ के रूप में भी देखा जाता है। मछली के तालाबों पर कब्जा करना, जमीन हड़पना इन स्थानों पर शासन करने का तरीका रहा है। क्षेत्र में काम करने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, इन जिलों के ग्रामीण इलाकों की भौगोलिक स्थिति और दूरस्थ और आंतरिक क्षेत्र में पूर्ण राजनीतिक नियंत्रण को आसान बनाती है।संदेशखाली इतना पॉलिटिकली हॉट क्यों है, इसके पीछे 2024 की 42 सीटों का मिशन है। इसे समझने के लिए पश्चिम बंगाल की सियासत का पिछले 15 साल का आंकड़ा देखेंगे तो इस घमासान का कारण समझ आता है-संदेशखाली की 42 सीट का चुनावी रिकॉर्ड: 2009,2014 और 2019 के चुनावी नतीजे हैं। जब लाल झंडे से ढके पश्चिम बंगाल को तृणमूल के पत्ते ने ढक लिया था। आज लड़ाई इस बात की है कि कहीं वैसा ही कुछ न हो जाए और तृणमूल के पत्ते को बीजेपी का फूल न ढक ले। क्योंकि एक चीज इन 15 सालों में कॉमन है, वो है बीजेपी का शानदार स्ट्राइक रेट। 2009 में बीजेपी का स्ट्राइक रेट सिर्फ 2.38 परसेंट था, जब एक सीट मिली थी। 2014 में ये स्ट्राइक रेट दोगुना 4.76 परसेंट हो गया, एक से बढ़कर 2 सीट हो गईं। लेकिन 2019 में बीजेपी का पॉलिटिकल शेयर अचानक से बूम कर गया और सीधे स्ट्राइक रेट 42.85 हो गया,यानी 9 गुना बढ़ गया और हाथ में 18 सीट आ गईं। लिहाजा का बीजेपी का यही परफॉरमेंस दीदी की फिक्र को बढ़ा रहा है।संदेशखाली पर क्यों अग्रेसिव है बीजेपी? बीजेपी संदेशखाली पर क्यों अग्रेसिव है और क्यों दीदी संदेशखाली पर बीजेपी को कोई ढील नहीं देना चाहती उसकी भी बड़ी पॉलिटिकल और बड़ी रणनीतिक वजह है। रणनीतिक कारण ये है कि पश्चिम बंगाल में जन आंदोलन का मजबूत अतीत रहा है। खासतौर से दीदी को जन आंदोलन की ताकत का पता है। ममता की सियासी हैसियत शायद इतनी बड़ी नहीं होती अगर सिंगूर और नंदीग्राम में ज़मीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलनों को ममता लीड नहीं करतीं। बंगाल में लेफ्ट के 34 साल के लाल साम्राज्य को मिटा दिया। यही वजह है कि दीदी संदेशखाली को बीजेपी के लिए सिंगूर नहीं बनने देना चाहती है। वहीं बीजेपी संदेशखाली के जन आंदोलन के ब्रह्मास्त्र से दीदी को परास्त करना चाहती है। इसीलिए संदेशखाली पर पूरी बीजेपी फ्रंट पर है और सुपर एक्टिव है।ये ममता के लिए बन सकता है अलार्मिंग अलर्ट:
2024 की वोटिंग से पहले टीम मोदी संदेशखाली के इमोशन को नेक्स्ट लेवल पर प्ले करना चाहती है ताकि दीदी को 2024 में बंगाल के भीतर बड़ा से बड़ा डेंट लगा सके। कैसे बीजेपी स्टेप बाई स्टेप काम कर रही है, इसकी तस्वीरें पिछले कुछ दिनों से हर रोज संदेशखाली में दिखाई दे रही हैं। अदालत से ऑर्डर ला रही है। गवर्नर, एससी-एसटी आयोग, महिला आयोग का दौरा लग रहा है। संदेशखाली पर दीदी को चारों ओर से घेरा जा रहा है। इस मुद्दे को बीजेपी किस लेवल तक ले जाने वाली है, इसे टीम मोदी की पश्चिम बंगाल के प्रजेंट और फ्यूचर प्लान से समझ सकते हैं। इसका अंदाजा ममता को भी है। इसीलिए उनकी टीम भी बीजेपी पर लगातार काउंटर कर रही है। लेकिन दीदी के लिए मुश्किल ये है कि अगर ये आंदोलन बीजेपी वोट में तब्दील करने में कामयाब हो गई तो दीदी के लिए ये अलार्मिंग अलर्ट है। ये बात आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्लानिंग के इंडिकेशन से समझ सकते हैं। बीजेपी के इंडिकेशन में छिपा बढ़ा प्लान: पहला इंडिकेशन बीजेपी ने दिल्ली के भारत मंडपम में ही दे दिया, जब पीएम मोदी की मौजूदगी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर संदेशखाली का मुद्दा उठा दिया और बीजेपी ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया, जहां संदेशखाली संकट को सभ्य समाज पर दाग करार दिया।
दूसरा इंडिकेशन बीजेपी ने 29 फरवरी से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पश्चिम बंगाल के दौरे की संभावना बता कर दे दिया है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के चाणक्य का दौरे की अहमियत को तीसरा इंडिकेशन से समझ सकते हैं।
बीजेपी ने शाह के दौरे के कुछ दिन बाद ही 7 मार्च को उत्तर 24 परगना जिले में मोदी का बारासात में दौरार फिक्स कर दिया है। बारासात में मोदी मेगा रैली करेंगे। बारासात से संदेशखाली केवल 75 किमी दूर है। माना जा रहा है कि पीएम का ये दौरा दिन का होगा, जहां रैली में दो लाख से अधिक महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है। रैली में संदेशखाली की पीड़ित महिलाएं भी आ सकती हैं। टीएमसी से जुड़ा मुख्य आरोपी शाहजहां शेख: अब समझा जा सकता है कि जब पीएम संदेशखाली के इलाके में आएंगे और यहां की महिलाओं के साथ हुए अत्याचार को मुद्दा बनाएंगे, तो कितना वोट बनाएंगे औ0र कितनी दीदी को चोट पहुंचाएंगे। इसीलिए टीएमसी भी खुलकर ऑन द फ्रंट खड़ी है। ममता की पार्टी कह रही है कि बीजेपी सिर्फ और सिर्फ चुनाव के लिए माहौल बिगाड़ रही है। जबकि बीजेपी और संदेशखाली के लोगों का आरोप है कि मुख्य आरोपी शाहजहां शेख और उसके दोनों साथी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार टीएमसी से जुड़े हैं, जिनके आतंक बहुत बड़े हैं। शाहजहां शेख के जुल्मसितम की अनगिनत कड़ियां हैं।Bशाहजहां की चलती है जुल्म की सरकार: जब शाहजहां शेख, उत्तम सरदार और शिबू हाजरा के जुल्म की दास्तान संदेशखाली से निकलकर बाहर आई, तब किसी तरह पीड़ित महिलाओं में हिम्मत आई। जो महिलाएं संदेशखाली के आतंक शाहजहां शेख, उसके साथियों के नाम से घरों में छिप जाती थी, वो अपना चेहरा नहीं छुपा रही हैं। खुलकर शाहजहां शेख की दहशत को गिना रही हैं। पीड़ित महिलाओं ने बताया कि संदेशखाली में शाहजहां के लोग सरकारी योजनाओं का पैसा देने के लिए बुलाकर बलात्कार करते हैं। शहजहां के दोनों गुंडें उत्तम सरदार और शिबू हाजरा मिलकर यातनाएं देते थे। शाहजहां शेख की स्क्रिप्ट 1980 के दशक की फिल्मों के विलेन सरीखी है। बिलकुल वैसा है, जैसे विलेन के नाम होते थे। वैसे ही इलाके में शाहजहां शेख, बेताज बादशाह, गब्बर और भाई के नाम से जाना जाता है। संदेशखाली के पूरे इलाके में इसकी जुल्म की सरकार चलती है और जो लोगों ने बताया वो और भी डराने वाला है।
शाहजहां को क्यों कहा जाता है विलेन?संदेशखाली कोलकाता से सिर्फ 75 किलोमीटर दूर है, लेकिन बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी की छत्रछाया में इसे किसी बात का खौफ नहीं था। जैसा चाहता, वैसा करता और जब इसके पाप का घड़ा भरा तब वो भागा भागा फिर रहा है। शाहजहां 80 के दशक की फिल्मों का विलेन क्यों कहा जा रहा है, उसका भी कारण है। संदेशखाली-1 और संदेशखाली-2, जिला नॉर्थ चौबीस परगना के सब डिवीजन बशीरहाट में दो ब्लाक हैं। संदेशखाली-2 कालिंदी नदी के इस पार है और संदेशखाली-1 नदी की दूसरी तरफ है। संदेशखाली-1 ब्लॉक एक तरह का आईलैंड है। यहां पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है। नाव से जाना पड़ता है।
संदेशखाली-2 में 95 परसेंट हिंदू: शहजहां शेख संदेशखाली-2 ब्लाक में रहता है, लेकिन नदी के उस पार संदेशखाली -1 ब्लॉक में उसके दो गुंडे – उत्तम सरदार और शिवप्रसाद हाजरा उर्फ शिबू हाजरा शाहजहां का कारोबार देखते हैं। ये दोनों संदेशखाली-1 के लोगों के ऊपर अत्याचार करते हैं। महिलाओं के साथ रेप करते हैं, शाहजहां शेख के पास लड़कियों को जबरदस्ती भेजते हैं। सबसे अहम बात ये है कि संदेशखाली-1 में जहां ये अत्याचार करता था, वहां 95 परसेंट हिंदू-आदिवासी-दलित और 5 परसेंट मुसलमान हैं। आरोप है कि जो इसकी बात नहीं मानता, उन महिलाओं को रात के अंधेरे में खींचकर ले जाता है।
दिल्ली तक पहुंचा संदेशखाली का मुद्दा: हालांकि जब कुछ महिलाओं के वीडियो सामने आए तो बीजेपी के नेता संदेशखाली जाने की जिद करने लगे। मामला असैंबली में उठा तो दिल्ली से तमाम टीमें पहुंच गईं। पुलिस ने जमीन पर कब्जे की कुछ शिकायतों पर एक्शन लिया और उत्तम सरदार और शिबू हाजरा समेत कुल 17 लोगों को अरेस्ट किया। लेकिन संदेशखाली की महिलाओं का कहना है कि जब तक शाहजहां शेख को नहीं पकड़ा जाएगा तब तक कुछ नहीं बदलेगा। रिपोर्ट अशोक झा

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