महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में 44 घंटे लगातार भक्त कर सकेंगे दर्शन
वाराणसी : भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि आठ मार्च को मनाया जाएगा। इस बार शिव और शक्ति के मिलन के दिन महाशिवरात्रि पर 72 साल बाद शिवयोग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। साथ ही शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। इस दिन धर्म नगरी काशी में शिव भक्ति की गंगा उफान पर होगी। द्वादश ज्योर्तिलिंग में प्रमुख काशी विश्वनाथ भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने दरबार में पूरी रात जागेंगे और उनके भावों पर रीझेंगे। 8 मार्च की सुबह मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का पट खुलने के बाद 9 मार्च की रात शयन आरती के बाद ही बंद होगा। यानी 44 घंटे का समय सिर्फ और सिर्फ भक्तों के नाम होगा। महानिशा के चारों प्रहर में काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली विशेष आरती में शिव-पार्वती विवाह संपन्न होगा। इस मौके पर नामचीन कलाकार संगीत के जरिए शिवार्चन करेंगे तो शहर के कई इलाकों से निकलने वाली शिव बारातों में बैलगाड़ी पर भोलेनाथ और बाराती बने भूत-प्रेत, मदारी-सपेरे और औघड़ों का अद्भुत नजारा होगा। होली की मस्ती दर्शाने के लिए बरसाने, लठमार, फूल वाली और खास बनारसी होली पर आधारित झांकियां मुख्य आकर्षण होंगी।
भक्तों को झांकी दर्शन मिलेगा
महाशिवरात्रि पर्व को लेकर काशी विश्वनाथ धाम में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक महाशिवरात्रि पर भक्तों की उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए भक्तों के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक के साथ किसी को भी स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं होगी। गर्भगृह के चारों द्वार से भक्तों के लिए बाबा के झांकी दर्शन की व्यवस्था होगी। वीआईपी सड़क मार्ग की बजाए जलमार्ग से विश्वनाथ धाम पहुंच दर्शन करेंगे। दिव्यांगों के लिए अलग व्यवस्था की जा रही है। मंदिर के आसपास के इलाके में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाए जाएंगे। जिसपर भक्त बाबा विश्वनाथ का लाइव दर्शन कर सकेंगे। भीड़ को नियंत्रित करने व सुरक्षा के मद्देनजर व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं।
महानिशा में चार प्रहर आरती
महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में भोर में मंगला आरती 2.15 से 3.30 बजे तक चलेगी। इसके बाद आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का कपाट खोल दिया जाएगा। दोपहर 12 बजे भोग आरती होगी। नियमित होने वाली सप्तर्षि, श्रृंगार और शयन आरती की जगह महानिशा के चार प्रहर में अलग-अलग मंत्रों से भगवना शिव के चार स्वरूपों की आराधना की जाएगी। चार प्रहर की आरती रात 11 बजे शुरू होकर दूसरे दिन यानी 9 मार्च की सुबह छह बजे तक चलेगी। मंदिर के कपाट शयन आरती के बाद रात्रि 11 बजे बंद होंगे।
प्रथम प्रहर- रात 11 से 12.30 बजे तक।
द्वितीय प्रहर- रात 1.30 बजे से 2.30 बजे तक।
तीसरा प्रहर-भोर 3 बजे से 4.25 तक।
चतुर्थ प्रहर- सुबह 5 बजे से 6.15 बजे तक।