अब जज नही,जीत हार का फैसला करेगी जनता, सुनेंगे पूर्व न्यायाधीश सुनाएंगे मतदाता

– भ्रष्टाचार के खिलाफ जीत चुके है निर्णायक लड़ाई
कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 19 अतिरिक्त उम्मीदवारों की घोषणा की। उनमें से, अभिजीत गंगोपाध्याय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने के कुछ ही दिनों बाद भाजपा से लोकसभा टिकट हासिल कर लिया। गंगोपाध्याय ने इस महीने की शुरुआत में न्यायाधीश का पद छोड़ दिया था और भगवा पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्हें राज्य की तामलुक सीट से मैदान में उतारा गया है। तामलुक सीट सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रही है, क्योंकि 2009 के चुनाव के बाद से पार्टी ने इस पर कब्जा कर रखा है। तमलुक सीट पर पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली बनाम देवांशु भट्टाचार्य : राज्य में बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार समेत तमाम मामलों में सीबीआई जांच समेत अन्य कड़े फैसले देकर सुर्खियों में आए पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली का मुकाबला यहां सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कैंडिडेट देवांग्शु भट्टाचार्य से होना है। देवांग्शु तृणमूल कांग्रेस के चर्चित नेताओं में से हैं. वह पार्टी के प्रवक्ता रहे हैं और 2021 के विधानसभा चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस का जो चर्चित नारा था “खेला होबे”, वह उन्होंने ही दिया था। वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सीएम के भतीजे अभिषेक बनर्जी के भी खासम खास हैं.।।अधिकारी परिवार का गढ़ है तमलुक: बता दे की तमलुक इलाका बंगाल भाजपा के विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के परिवार का गढ़ है। इसलिए जस्टिस गांगुली की जीत की उम्मीद बढ़ गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस में थे, इसलिए इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी जीते थे. अब दिव्येंदु भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
कौन हैं अभिजीत गंगोपाध्याय? 1962 में कोलकाता में जन्मे न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय वर्तमान में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। गंगोपाध्याय ने मित्रा इंस्टीट्यूशन (मेन) – कोलकाता में एक बंगाली-माध्यम स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई हाजरा लॉ कॉलेज से की, जिस दौरान उन्होंने एक बंगाली थिएटर में अभिनय किया। उन्होंने आखिरी बार 1986 में एक नाटक में अभिनय किया था।अपने कॉलेज के बाद, गंगोपाध्याय ने उत्तरी दिनाजपुर में तैनात पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (डब्ल्यूबीसीएस) ए-ग्रेड अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया। फिर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और कलकत्ता हाईकोर्ट में राज्य वकील के रूप में अभ्यास करना शुरू कर दिया। वह 2018 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शामिल हुए और 2020 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।राज्य में शिक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर गंगोपाध्याय के फैसलों ने पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले सहित राजनीतिक बहस छेड़ दी है। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रियाओं में अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने का निर्देश देते हुए कई निर्देश जारी किए थे। माकपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट थी लेकिन कूचबिहार सीट पर दोनों दलों की ओर से अलग-अलग उम्मीदवार उतार दिए जाने के बाद गठबंधन की अटकलों को झटका लगा है। इस बीच कई ऐसी सीटें हैं जिन पर लड़ाई इस बार दिलचस्प होने वाली है। ऐसी ही एक सीट है पूर्व मेदिनीपुर की तमलुक लोकसभा सीट। इस पर कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। तृणमूल और भाजपा में सीधी टक्कर: राज्य में भ्रष्टाचार के तमाम मामलों में कड़े फैसले देकर नौकरी उम्मीदवारों और राज्यभर के लोगों के बीच कद्दावर छवि बनाने वाले जस्टिस गांगुली की उम्मीदवारी के बाद लड़ाई दिलचस्प हो गई है। यहां से सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी के प्रवक्ता देवांग्शु भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है जबकि अभी तक वाम दलों या कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। हालांकि, यहां लड़ाई सीधे तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के ही बीच होगी। क्योंकि, यह इलाका बंगाल भाजपा के विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के परिवार का गढ़ है। इसलिए जस्टिस गांगुली की जीत की उम्मीद बढ़ गई है।क्या है भौगोलिक इतिहास? तमलुक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सभी सात विधानसभा क्षेत्र पूर्व मेदिनीपुर जिले में हैं। तामलुक पश्चिम बंगाल में एक शहर है, जो पूर्व मेदिनीपुर जिले का मुख्यालय है। किंवदंती है कि तमलुक प्राचीन काल का शहर है, जिसे ताम्रलिप्त या ताम्रलिप्ति के नाम से जाना जाता था। यहां एक चीनी यात्री हियेन चांग ने शहर का दौरा किया, जो अब बंगाल की खाड़ी के करीब रूपनारायण नदी के तट पर स्थित है।क्या है राजनीतिक इतिहास? वर्ष 1951 में ही तमलुक संसदीय सीट बन गया था। कांग्रेस और सीपीएम के बाद इस सीट पर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का कब्जा हो चुका था। तामलुक संसदीय क्षेत्र पूर्व मेदिनीपुर जिले में आता है। इसका हेड क्वॉर्टर पूर्व मेदिनीपुर जिला है जो बर्धवान डिविजन में है। तमलुक संसदीय क्षेत्र राजनीतिक बदलाव के साथ चलता रहा है। पहले यहां पर कांग्रेस का एकछत्र राज था लेकिन समय बदला तो बीएसी और बीएलडी जैसे दलों को भी जीत मिली। इसके बाद सीपीएम ने इस सीट पर कब्जा कर लिया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस में थे इसलिए इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है।
क्या है 2019 का जनादेश?तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर दिव्येंदु अधिकारी को सात लाख 24 हजार 433 वोट मिले थे। हाल ही में दिव्येंगु अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा के सिद्धार्थ नस्कर को पांच लाख 34 हजार 268 वोट मिले थे। सीपीआई (एम) के एसके इब्राहीम अली को एक लाख 36 हजार 129 वोट मिले थे। रिपोर्ट अशोक झा

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