भगवान श्रीराम का मोदी के कार्टून बनाने पर विहिप का विरोध प्रदर्शन
कहा, तिष्टिकरण के कारण स्तरहीन हो गई टीएमसी, रामनवमी पर छुट्टी महज दिखावा
सिलीगुड़ी: लोकसभा चुनाव के दौरान शहर के 16 नंबर वार्ड टीएमसी की ओर से श्रीराम के कार्टून के साथ पीएम मोदी की कार्टून लगाई गई है। इसको लेकर विहिप की ओर से आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया। वार्ड के बलाईदास चटर्जी रोड स्थित पोस्टर लगे मकान के सामने विहिप जिला सचिव राकेश अग्रवाल के नेतृत्व में जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया। कहा गया की तुष्टिकरण के कारण ही हमारे आराध्यदेव का मजाक उड़ाया जा रहा है। हिंदू धर्म और समाज सहनशील है इसका परीक्षा लिया जा रहा है। विहिप इस मामले में गंभीर है। आस्था के साथ खिलबाड़ को लेकर पहले भी बाघ के नाम को लेकर हाईकोर्ट में मामला लड़कर जीत चुकी है। बार बार राम सीता का अपमान बर्दाश्त के खिलाफ है। विहिप प्रवक्ता सुशील रामपुरिया ने कहा की अब तो ऐसा लगने लगा है की श्रीराम नवमी पर सरकारी अवकाश क्या सिर्फ दिखावा है? यह हिंदू भावनाओ के साथ छल है। श्रीराम जी का चरित्र और आदर्श, धर्म पालन, नैतिकता और मानवीय संबंधों के मार्गदर्शन में सदैव प्रेरणा प्रदान करता है। समाज और परिवार के प्रति उनके कर्तव्य ने सदा समाज को आंदोलित और प्रेरित किया है। श्रीराम का न्याय और नैतिकता में किए गए सुकृत्य लोक चेतना में आज भी स्थापित हैं। उनके गुणधर्म, साहस और परहित की भावना सदा अनुकरणीय है. वस्तुतः श्रीराम कथा नर से नारायण बनने की सीख देती है।सहानुभूति-सद्गुण: राम का जीवन सामाजिक समृद्धि, सद्गुण और सहानुभूति के मार्ग पर चलने के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनके सार्थक जीवन ने विभिन्न क्षेत्रों में सहानुभूति और सेवाभाव के महत्त्व को बताया है. गोस्वामी जी ने सच कहा है किरामहि केवल प्रेमु पिआरा। जानि लेउ जो जान निहारा॥
प्रेम और आदर्श:श्री रामचन्द्रजी को केवल प्रेम प्यारा है, जो जानने वाला हो (जानना चाहता हो), वह जान ले. श्री राम जी का जीवन एक आदर्श समाज बनाने की कल्पना को साकार स्वरूप देने वाला है. राजा बनने के बाद वह न्याय और धर्म के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं, जिसके बलबूते उन्होंने रामराज्य की स्थापना की।आदर्श पुत्र, भाई, पति और शासक: श्री राम, राजाराम, आदर्श आज्ञाकारी पुत्र श्री राम, सर्वस्व त्याग कर अपने भाई को राज सौंपने वाले आदर्श भ्राता श्री राम, स्त्री के अपमान के बदला लेने के लिए प्राणों की बाजी लगाने वाले आदर्श पति श्री राम, प्रजा के प्रति एक आदर्श शासक श्री राम, वैदिक संस्कृति की सनातन परंपरा की रक्षा के लिए तथा गृहस्थाश्रम की पुनर्प्रतिष्ठा स्थापित करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, भारतीय वाङ्गमय के आदर्श पुरुष श्री राम जैसे असंख्य विशेषणों से विभूषित श्री राम करोड़ों-करोड़ लोंगो के हृदय में विराजमान हैं।
लोकहित: समाज में जब नमस्कार तब राम-राम और जब तिरस्कार तो राम-राम।जन्मोत्सव हो या महाप्रयाण की बेला, सबका अंत राम से ही होता है। भारत के प्रत्येक संस्कार में या समझ में श्रीराम का उद्बोधन भारतीय संस्कृति की पहचान रही है. संयुक्त परिवार-वसुधैव कुटुम्बकम के पर्याय और आदर्श दोनों ही श्रीराम हैं. श्री राम कथा मानवीय सम्बन्धों को व्यापकता प्रदान करने में बेजोड़ रही है। मंगल करनि कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की। गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाथ की॥ प्रभु सुजस संगति भनिति भलि होइहि सुजन मन भावनी
भव अंग भूति मसान की सुमिरत सुहावनि पावनी।। मर्यादा
प्रभु श्री राम सत्य प्रतिज्ञ हैं और वेद की मर्यादा के रक्षक हैं। श्रीरामजी का अवतार ही जगत के कल्याण के लिए हुआ है. वे गुरु, पिता और माता के वचनों के अनुसार चलने वाले हैं। दुष्टों के दल का नाश करने वाले और देवताओं के हितकारी हैं। अयोध्या में करीब 500 वर्षों बाद रामलला का आगमन, “सर्वे भवन्तु सुखिनः” के उद्घोष के साथ रामराज्य की स्थापना करेगा। यह न सिर्फ भारत बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज के लिए नई सुबह की तरह है। इस बात को राम का विरोध करने वालों को समझना होगा। रिपोर्ट अशोक झा