काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद ने 14 नई छात्रवृत्तियों एवं 1 स्वर्ण पदक स्थापित करने के प्रस्ताव को दी मंजूरी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद ने 14 नई छात्रवृत्तियों एवं 1 स्वर्ण पदक स्थापित करने के प्रस्ताव को दी मंजूरी
सम्बद्ध महाविद्यालयों में नए विषयों/पाठ्यक्रम आरम्भ करने को भी स्वीकृति
दस विशिष्ट शिक्षाविदों को विद्वत परिषद के बाह्य सदस्यों के रुप में शामिल करने को भी मंजूरी
वाराणसी, 23.04.2024। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की अध्यक्षता में मंगलवार
को हुई विद्वत परिषद की बैठक में शिक्षण व शोध से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा गुणवत्ता एवं उत्पादकता को और बढ़ाने के उपायों पर विचार साझा किये गए। कुलपति जी ने सदन को नवगठित परियोजना निगरानी इकाई (Project Monitoring Unit) के बारे में सूचित किया, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व अनुसंधान वातावरण को और बेहतर बनाना होगा। उन्होने कहा कि यह इकाई उन सभी विषयों के समाधान हेतु कार्य करेगी जिनसे विश्वविद्यालय की पठन पाठन गतिविधियोे में प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना हो। कुलपति जी ने सूचित किया कि इस पहल की शुरुआत कला व सामाजिक विज्ञान संकायों से की जा रही है एवं धीरे-धीरे इसके कार्य के दायरे में विस्तार किया जाएगा। कुलपति जी ने जोर देकर कहा कि विद्यार्थियों के चौमुखी विकास एवं उन्हे एक बेहतर कैंपस वातावरण देने के लिए सभी इकाईयों व सदस्यों को मिल कर काम करना होगा। विद्वत परिषद में मेरिट एवं आर्थिक स्थिति के आधार पर दी जाने वाली 14 नई छात्रवृत्तियों तथा 1 नया स्वर्ण पदक आरम्भ करने को स्वीकृति दी गई। विश्वविद्यालय में प्रतिदान योजना के तहत विभिन्न व्यक्तियों एवं संगठनांे द्वारा छात्रवृत्तियां आरम्भ करने के उद्देश्य से आर्थिक योगदान प्राप्त होता है जिनके संबंध में प्रस्ताव अनुमोदन हेतु विद्वत परिषद के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं। विद्वत परिषद शैक्षणिक विषयों पर नीति निर्धारण हेतु विश्वविद्यालय की सर्वोच्च इकाई है।
परिषद ने अक्षयीबर तथा जोगेश्वरी गिरी स्वर्ण पदक की स्थापना को मंजूरी दे दी है जो एमबीए द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी को मेरिट के आधार पर प्रदान किया जाएगा। यह पदक शैक्षणिक सत्र 2023-24 से प्रभावी होगा। बैठक में अनेक छात्रवृत्तियॉ आरम्भ करने के प्रस्तावों पर भी मुहर लगी। ये हैंः
1. स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में एम.एस.सी बायोटेक्नोलॉजी के द्वितीय वर्ष (शैक्षणिक सत्र 2024-25 से प्रभावी) के विद्यार्थी के लिए महामना मालवीय बायोटेक्नोलॉजी छात्रवृत्ति
2. कला संकाय में एम.ए. संस्कृत के द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी के लिए विश्वनाथ एवं मीरा भट्टाचार्य छात्रवृत्ति (शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी)
3. दृश्य कला संकाय में एम.एफ.ए.(टेक्सटाइल डिजाइन) के प्रथम वर्ष के विद्यार्थी के लिए झिंगन साहू स्मृति छात्रवृत्ति (शैक्षणिक सत्र 2024-25 से प्रभावी)
4. मंच कला संकाय में बी.पी.ए. (वोकल म्यूजिक तथा इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक प्रत्येक) के प्रथम वर्ष के दो विद्यार्थियों के लिए सी.एन.आर. राव छात्रवृत्तियॉ (शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी)
5. कृषि विज्ञान संस्थान में एम.एस.सी (कृषि)-कवक एवं पादक रोग विज्ञान विभाग, के द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी के लिए उदय प्रताप छात्रवृत्ति (शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी)
6. विज्ञान संस्थान में एम.एस.सी (भौतिकी) के द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी के लिए जे.एन. गुप्ता तथा सावित्री देवी छात्रवृत्ति (शैक्षणिक सत्र 2024-25 से प्रभावी)
7. प्रबंध शास्त्र संस्थान में एम.बी.ए. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी हेतु रामस्वरुप जमुनादेवी छात्रवृत्ति (शैक्षणिक सत्र 2024-25 से प्रभावी)
8. संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के पॉच विद्यार्थियों के लिए एस.जी.वी.पी. स्वामी नारायण छात्रवृत्ति (शैक्षणिक सत्र 2023-24)
इसके अतिरिक्त सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल में कक्षा 9 की छात्रा हेतु अवध राजकुमार छात्रवृत्ति करने को भी स्वीकृति दी गई है। यह छात्रवृत्ति शैक्षणिक सत्र 2024-25 से प्रभावी होगी।
विद्वत परिषद ने विश्वविद्यालय से सम्बद्ध विभिन्न महाविद्यालयों में नए पाठ्यक्रम व विषय आरम्भ करने को भी अनुमोदन दे दिया है। इसके तहत आर्य महिला पीजी कॉलेज में सांख्यिकी, गणित एवं भूगोल को माइनर कोर्सेस के रुप मे अध्यापन की अनुमति दी गई है। इसी प्रकार वसन्त कन्या महाविद्यालय में सांख्यिकी एवं गणित को माइनर कोर्सेस की तरह पढ़ाने को स्वीकृति मिली है। वसंता कॉलेज फॉर वीमेन, राजघाट, को कंप्यूटर एप्लीकेशन में अंडर ग्रेजुएट डिप्लोमा आरम्भ करने को मंजूरी दी गई है।
विद्वत परिषद ने पूर्णकालिक तथा अल्पकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए नए दिशा निर्देशों को भी स्वीकृति दे दी है। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन पाठ्यक्रमों का लाभ उन्हे मिले जिन्हे प्रोफेशनल तथा शैक्षणिक विकास के लिए इनकी वास्तव में आवश्यकता है। साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि विश्वविद्यालय की सुविधाओं का दुरुपयोग न हो। नए दिशा निर्देशों के अनुसार पूर्णकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता, बेहतर रुप से परिभाषित क्रेडिट एवं पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित घंटे होंगे। अल्पकालिक डिप्लोमा व सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों में विश्वविद्यालय तथा संबद्ध विश्वविद्यालयों के स्नातक व परास्नातक के नियमित विद्यार्थी ही प्रवेश ले पाएगे।
विद्वत परिषद ने दस विशिष्ट शिक्षाविदों को बाह्य सदस्यों के रुप में नामित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इनके नाम हैः प्रो. एम.एम. चतुर्वेदी (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. पृथ्वीश नाग (पूर्व कुलपति, महात्मा गॉधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो. मनीषा प्रियम (राष्ट्रीय शैक्षणिक योजना तथा प्रशासन संस्थान, दिल्ली), प्रो. सुमन शर्मा (लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. धनन्जय सिंह (जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय), प्रो. नीरा अग्निमित्र (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. श्रीनिवास वाराखेड़ी (कुलपति, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली), प्रो. पंचानन मोहंती (नालंदा विश्वविद्यालय), प्रो. अनूप ठाकुर (आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, जामनगर), तथा प्रो. बी.आर.मित्तल (पी.जी.आई. चण्डीगढ़)।
बैठक के दौरान परीक्षा नियंता प्रो. एन.के. मिश्रा ने स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया की प्रगति के बारे में सदन को अवगत कराया। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अभ्यर्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी प्रयास किये जा रहे है। अवर परीक्षा नियंता प्रो. जी.पी. सिंह ने सूचित किया कि विश्वविद्यालय पीएचडी प्रवेश परिणामों को अंतिम रुप देने की प्रक्रिया में है और इन्हे जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। प्रो. माया शंकर सिंह तथा प्रो. डी.एस. पाण्डेय ने बैठक में कार्यवाही से संबंधित विषयों पर प्रस्तुतियॉ दी। कुलसचिव, प्रो. अरुण कुमार सिंह ने बैठक का संचालन किया तथा समापन पर धन्यवाद प्रेषित किया।