554 करोड़ की संपति की मालकिन है रानी मां यानि अमृता रॉय, टीएमसी की महुआ मोइत्रा को दे रही सीधी टक्कर

कृष्ण नगर से अशोक झा: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर 13 मई को चौथे चरण के लिए मतदान किया जाना है। 13 मई को बंगाल के नदिया जिले की कृष्णानगर लोकसभा सीट पर भी मतदान किया जाएगा। यह सीट अब भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के लिए अपने नाक की लड़ाई बन चुकी है। संसद से निष्कासित महुआ मोइत्रा को तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर कृष्णानगर से अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने राजा कृष्णचंद्र रॉय के परिवार की सदस्य अमृता रॉय को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी ने एसएम सादी को अपना उम्मीदवार बनाया है।अमृता रॉय के पास कितनी है संपत्ति और पढ़ाई-लिखाई: वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की तरफ से जब अमृता रॉय के चुनावी हलफनामें का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि पश्चिम बंगाल में जितने भी लोकसभा के उम्मीदवार खड़ें है उनमें सबसे अधिक अमीर अमृता रॉय हैं। चुनावी हलफनामें के मुताबिक अमृता रॉय की कुल संपत्ति 554 करोड़ रुपये हैं। बता दें कि अमृता रॉय राजबाड़ी इधर, अब लेफ्ट और कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल पर बातचीत जरूर चल रही है. लेकिन पहले दौर के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हने के बावजूद अब तक तालमेल का एलान नहीं हो सका है. हालांकि वाममोर्चा ने भी 16 उम्मीदवारों की पहली सूची और कांग्रेस ने आठ उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. दरअसल, वाममोर्चा के घटक दलों के बीच सीटों पर सहमति नहीं बन सकी है. घटक दल अपनी पारंपरिक सीटें छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने सीपीएम को चेतावनी दी है कि वह इस बात का फैसला कर ले कि उसे कांग्रेस के साथ रहना है घटक दलों के. इस उलझी हुई परिस्थिति के कारण तालमेल की बातचीत मुकम्म नहीं हो सकी है.की राजमाता हैं। यहां 18 वीं सदी में तत्कालीन महाराजा कृष्ण चंद्र रॉय का राज हुआ करता था। कृष्ण चंद्र बंगाल में प्रतिष्ठित बड़े राजाओं में से एक थे। वहीं अगर शिक्षा की बात करें तो अमृता रॉय ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की है। अमृता रॉय पर एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
महुआ मोइत्रा की कुल संपत्ति और पढ़ाई-लिखाई: महुआ मोइत्रा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जो हलफनामा पेश किया है, उसके मुताबिक महुआ के पास अचल संपत्ति नहीं है। महुआ मोइत्रा ने 2018-19 और 2022-23 वित्तीय वर्ष तक का जो आंकड़ा पेश किया है, उसके मुताबिक उनकी आय 12,07,541 रुपये थी। 2021-22 में उनकी आय 11,81,578 रुपये थी। 2019-20 के दौरान उनकी आय 9 लाख 25 हजार रुपये थी। वहीं 2018-19 में उनकी आय 5 लाख 51 हजार 80 रुपये थी। महुआ के पास 50 हजार नकद है। विदेशी बैंक खाते में 5 लाख 35 हजार 850 रुपये जमा हैं। उनके पास एक महिंद्रा स्कॉर्पियों कार है। इसे साल 2016 में महुआ ने खरीदा था। महुआ के पास एक 80 लाख रुपये की हीरे अंगूठी भी है। 9 लाख 41 हजार के सोने के गहने हैं। कुल मिलाकर उनकी संपत्ति 3 करोड़ 50 लाख 67 हजार 166 रुपये हैं। महुआ मोइत्रा के खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज है। महुआ ने माऊंट होलयोक कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया है। एसएम सादी की संपत्ति और पढ़ाई-लिखाई: कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी ने कृष्णानगर लोकसभा सीट से एसएम सादी को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि एसएम सादी के खिलाफ 1 मुकदमा दर्ज है। वहीं अगर पढ़ाई लिखाई की बात करें तो एसएम सादी ने कृष्णानगर हाई स्कूल से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। वहीं उनकी कुल संपत्ति लगभग 1 करोड़ के आस-पास है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के प्रयास में अबकी 26 नए चेहरों को मैदान में उतारा है।उधर, कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट के बीच सीटों पर तालमेल अब भी अधर में है। उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह राज्य में भी सात चरणों में मतदान होगा। बीते लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 22 और बीजेपी को 18 सीटें मिली थी। दो सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। बदलते सियासी समीकरण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल के कोलकाता दौरे के दौरान पार्टी के लिए 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मार्च के पहले नौ दिनों के दौरान राज्य में लगातार जनसभाओं को संबोधित कर रहे है। इससे पार्टी के लिए बंगाल की अहमियत का पता चलता है। बीजेपी की चुनौती को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने पिछली बार जीतने वाले आठ सांसदों को टिकट नहीं दिया है। इसके अलावा बहरमपुर में कांग्रेस का गढ़ समझी जाने वाली सीट पर पांच बार के विजेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी के खिलाफ हरफनमौला क्रिकेटर यूसुफ पठान को मैदान में उतार कर सबको चौंका दिया। 42 लोगों की सूची में 26 चेहरे नए हैं। उम्मीदवारों के एकतरफा एलान से ममता ने यह भी साफ कर दिया कि यहां इंडिया गठबंधन नहीं बल्कि तृणमूल कांग्रेस ही बीजेपी से सीधी टक्कर लेगी। वो बीती जनवरी से ही यह बात कहती रही थी।तृणमूल कांग्रेस के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि लंबे इंतजार के बावजूद कांग्रेस की ओर से सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बनने के कारण ही ममता ने एकला चलो की नीति अपनाने का फैसला किया। तृणमूल ने क्यों नहीं मिलाया बीजेपी से तालमेल प्रदेश कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट के नेता भी तृणमूल पर बीजेपी के साथ साठ-गांठ का आरोप लगाते हुए तालमेल के इच्छुक नहीं थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अबकी लोकसभा चुनाव में बीजेपी और तृणमूल के बीच कांटे की टक्कर में गंगा के मैदानी इलाकों के साथ ही जंगल महल इलाका, उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल का मतुआ बहुल इलाका अहम भूमिका निभाएगा। मतुआ वोटों को साधने के लिए ही बीजेपी ने चुनाव से ठीक पहले नागरिकता (संशोधन) कानून लागू करने का फैसला किया है. दक्षिण बंगाल के पांच जिलों में फैले गंगा के मैदानी इलाकों में लोकसभा की 16 सीटें हैं।बीजेपी ने पिछली बार इनमें से महज तीन सीटें जीती थी. इन इलाकों में प्रतिष्ठान विरोधी लहर और पुराने नेताओं की छवि को ध्यान में रखते हुए तृणमूल कांग्रेस ने छह नए चेहरों को मैदान में उतारा है। पार्टी इस इलाके में काफी मजबूत है और विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर 24-परगना जिले में विभिन्न होटलों में पार्टी के मजबूत नेताओं की गिरफ्तारी ने तृणमूल की चिंता बढ़ा दी है।
वहां संगठन संभालने वाले मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक राशन घोटाले में जेल में हैं तो कोलकाता और हुगली जिले में चुनावी जिम्मा संभालने वाले पार्थ चटर्जी भी शिक्षक भर्ती घोटाले में हवालात में हैं। संदेशखाली की घटना और उस मामले में शाहजहां शेख समेत पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी भी पार्टी के लिए सिरदर्द बन गई है। संदेशखाली इलाका बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के तहत है। पार्टी ने इस सीट से पिछली बार जीतने वाली सांसद और अभिनेत्री नुसरत जहां को इस बार टिकट नहीं दिया है। संदेशखाली कांड के दौरान उनकी काफी किरकिरी हुई थी. इसी तरह बीरभूम और आसपास के जिलों में पार्टी के चुनाव अभियान की जिम्मेदारी उठाने वाले बाहुबली नेता अणुब्रत मंडल भी पशु तस्करी मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में हैं। कहां है बीजेपी की पकड़ बीजेपी उत्तर बंगाल में मजबूत समझी जाती है। पिछली बार उसने इलाके की आठ में सात सीटें जीत ली थी. लेकिन इस बार उसे वहां भी अंतरकलह से जूझना पड़ रहा है। उसकी सबसे बड़ी चिंता दक्षिण बंगाल में पार्टी का संगठन कमजोर होना है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के अलावा उसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। जंगलमहल इलाके में लोकसभा की आठ सीटें हैं। पिछली बार इनमें से बीजेपी को पांच और तृणमूल कांग्रेस को तीन सीटें मिली थी।लेकिन तब मेदिनीपुर इलाके के धाकड़ नेता शुभेंदु अधिकारी तृणमूल में थे। उनके 2019 में बीजेपी में शामिल होने के बाद इलाके में सियासी समीकरण बदला है। बीजेपी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गांगुली को पार्टी में शामिल कुछ हद तक भरपाई की कोशिश जरूर की है। दक्षिण बंगाल में बनगांव के अलावा नदिया जिले के दो सीटों–रानाघाट और कृष्णनगर में मतुआ वोटर निर्णायक हैं। उनको बीजेपी का समर्थक माना जाता है। जहां तक मुद्दों का सवाल है बीजेपी ने तृणमूल नेताओं के भ्रष्टाचार के अलावा संदेशखाली कांड के बहाने महिलाओं की बदहाली का अपना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। इसके साथ ही वह नागरिकता कानून के फायदे गिनाते हुए इसके प्रचार में लगी है। पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री की रैलियों से हो चुकी है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग के पुराने मुद्दे को ही उठा रही है। पार्टी ने बीजेपी पर संदेशखाली के मुद्दे पर सियासत करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही वह महिलाओं और आम लोगों के लिए शुरू की गई सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के भी प्रचार-प्रसार में जुटी है। ममता बनर्जी ने पार्टी की ब्रिगेड रैली के जरिए अपना चुनाव अभियान शुरू किया है। उधर, कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने तृणमूल कांग्रेस पर बीजेपी से गोपनीय तालमेल का आरोप लगाते हुए अपना चुनाव अभियान शुरू किया है. राजनीतिक विश्लेषक मईदुल इस्लाम कहते हैं, “गंगा के मैदानी इलाके अपनी 16 सीटों के कारण काफी अहम हैं. यहां संगठन की मजबूती के बल पर तृणमूल कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले आगे नजर आती है. उत्तर बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने अपने पैरों तले की खिसकती जमीन को बचाने के लिए आदिवासियों के लिए कई विकास योजनाएं शुरू की हैं। उनका क्या और कितना असर होगा, यह तो चुनाव के नतीजे से ही पता चलेगा”। रिपोर्ट अशोक झा

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