तीन माह के लिए संरक्षित वन क्षेत्र और राष्ट्रीय अभ्यारण्य बंद


सिलीगुड़ी: आज से गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान, नियोरा वैली, चपरामारी, जलदापाडा, बक्सा समेत सभी संरक्षित वन क्षेत्र और राष्ट्रीय अभ्यारण्य बंद कर दिये गये है। पर्यटक वन क्षेत्र में प्रवेश के अलावा अन्य स्थानों पर घूम फिर सकते हैं। हालांकि पर्यटक जलपाईगुड़ी जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों में विभिन्न तरह के जानवरों को देखने जाते हैं। इनमें हाथी, बायसन, गेंडे, मोर इत्यादि शामिल है। पर्यटक इन्हें नहीं देख सकेंगे। हां जो लोग इस समय इन क्षेत्रों में जाना चाहते हैं उन्हें कलिकापुर जंगल कैंप, धूपझोड़ा इको टूरिज्म कैंप, पंजहोरा जंगल कैंप, हॉर्नी बिल जंगल कैंप इत्यादि में एंट्री मिल सकती है। वन्य जीव वार्डन सीमा चौधरी का कहना है कि आज से जंगल में घूमने पर पर्यटकों पर प्रतिबंध रहेगा। सभी राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। इसलिए पर्यटक जंगल में हाथी सफारी नहीं कर सकेंगे। बारिश के हर मौसम में राज्य के सभी जंगल, राष्ट्रीय उद्यान और पार्क में पर्यटकों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी जाती है। इस बार भी 16 जून से 16 सिंतबर तक सभी जंगल, राष्ट्रीय उद्यान और पार्क में पर्यटकों की गतिविधि पर निषेधाज्ञा जारी कर दिया गया है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बारिश के इस मौसम में जंगली जानवर सहवास और प्रजनन की क्रिया करते हैं। इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक एकांत माहौल बनाने के लिए ही मुख्य रुप से जंगल और राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी जाती है। इसके अतिरिक्त बारिश के इसी मौसम में जंगल में पेड़ो की संख्या बढ़ाने तथा वन संरक्षण क्रिया भी किया जाता है। इसके अलावा बारिश के मौसम में जंगल व राष्ट्रीय उद्यान के कच्चे रास्ते काफी ज्यादा खराब हो जाते हैं। पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी बारिश के मौसम में पर्यटकों का जंगल और राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश उचित नहीं है। इस संबंध में वन विभाग के मुख्य संरक्षक (वन्य जीव) राजेंद्र जाखर ने बताया कि बारिश के मौसम में तीन महीने तक जंगल और राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों के प्रवेश पर पाबंदी नियमित प्रक्रिया है। वन संरक्षण के साथ वन्य जीवों की संख्या बढ़ाने के लिए यह प्रक्रिया आवश्यक भी है। 16 सितंबर के बाद फिर से पर्यटकों के लिए जंगल खोल दिए जाएंगे। यह कोई विशेष आदेश नहीं है। हर साल की तरह ही वन विभाग यह फैसला करता है। यह पर्यावरण और प्रजनन दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। इसलिए पर्यटकों को 16सितंबर तक इंतजार करना होगा।उसके बाद ही आप जंगल क्षेत्र में जाकर जानवरों का दीदार कर सकते हैं। संरक्षित जंगल बंद है तो क्या, मेदला तो खुला है। वैसे तो बरसात के मौसम में गोरूमारा अभयारण्य समेत विभिन्न संरक्षित जंगल पर्यटकों के लिए 16 जून से लेकर 16 सितंबर तक बंद हो गया है। यह समय हालांकि इससे पर्यटकों को निराश होने की जरूरत नहीं है. वे इस मौसम में भी गोरूमारा संलग्न रामसायी के मेदला स्थित वाच टावर से वन्य प्राणियों का नजारा देख सकते है। पूरे साल यह टावर पर्यटकों के लिए खुला रहता है। केवल गुरुवार को साप्ताहिक अवकाश होने के चलते प्रवेश बंद रहता है। इस वाच टावर का आनंद लेने के लिए आपको टिकट कटाना पड़ता है। इन दिनों मेदला वाच टावर में पर्यटकों की भीड़ देखी जा रही हैं। यहां से पर्यटक एक सींग वाले गैंडे, हाथियों के झूंड और हिरणों को कुलाचें भरते हुए देख सकते हैं।मेदला वाच टावर तक जाने के लिए पर्यटकों को भैंसा गाड़ी पर सवार होकर जलढाका नदी के बांध तक वन्य प्राणियों के दर्शन करते हुए डेढ़ किलोमीटर और चलना पड़ता है। वहीं से सॉल्ट बीट इलाके में हाथियों और गैंडों के झुंडों को नमक खाते हुए देखा जा सकता है। यहीं पर देश-विदेश से आने वाले पर्यटक वन्य प्राणियों का नजारा लेते हैं. यह नजारा सुबह और शाम लिया जा सकता है। जलपाईगुड़ी वन्य प्राणी डिवीजन की डीएफओ ने बताया कि बरसात के मौसम में वन्य प्राणियों का प्रजनन चलता है। इसके अलावा जंगलों के भीतर घनी-घनी झाड़ियां उग आती हैं। रास्ते भी कीचड़ से भर उठते हैं। ऐसे समय में वाच टावर से वन्य प्राणियों को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। रिपोर्ट अशोक झा

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