मणिपुर की जातीय हिंसा की आग को बुझाने के लिए सक्रिय हुआ गृहमंत्रालय

आरएसएस प्रमुख की नाराजगी पर उठाया गया कदम

अशोक झा, सिलीगुड़ी: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मणिपुर में हालात सामान्य ना होने को लेकर दिए बयान के बाद गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को एक्टिव हो गए। उन्होंने हालात की समीक्षा के लिए नॉर्थ ब्लॉक में एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई, जिसमें केंद्रीय गृह सचिव, आईबी चीफ, सेना प्रमुख, मणिपुर के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी शामिल थे।अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय मणिपुर में जातीय विभाजन को पाटने के लिए जल्द से जल्द मेइती और कुकी दोनों समुदायों से बात करेगा. मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए शाह ने आदेश दिया कि पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। मणिपुर में एक साल बाद भी हालात सामान्य नहीं हैं। वहां जातीय हिंसा जारी है।
क्यों भड़की थी हिंसा:मणिपुर में 3 मई, 2023 को बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद जातीय हिंसा हुई थी। तब से जारी हिंसा में कुकी और मेइती समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं। ज्यादा फोर्स की होगी तैनाती’:गृह मंत्री ने कहा कि अगर जरूरत हुई तो केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी और राज्य में शांति-सौहार्द बहाल करने के लिए उन्हें रणनीतिक रूप से तैनात किया जाना चाहिए। शाह ने आदेश में कहा कि राज्य में हिंसा की कोई और घटना न हो. शाह के हवाले से बयान में कहा गया कि गृह मंत्रालय दोनों समूहों, मेइती और कुकी से बात करेगा, ताकि जातीय विभाजन को जल्द से जल्द पाटा जा सके। उन्होंने मणिपुर के मुख्य सचिव को विस्थापित लोगों को मेडिकल फैसिलिटी, शिक्षा और घर देने के आदेश दिए। इसके अलावा गृह मंत्री ने खाना, पानी, दवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर राहत शिविरों में स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने जातीय हिंसा को खत्म करने के लिए आपसी सहयोग पर जोर दिया। बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार राज्य में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने में मणिपुर सरकार को सक्रिय रूप से सहयोग दे रही है। आरएसएस प्रमुख ने जताई थी चिंता: दरअसल संघ प्रमुख ने कहा था कि मणिपुर में 10 जून को एक साल हो चुका है और अब तक शांति बहाल नहीं हो पाई है। उन्होंने स्वयंसेवकों से नागपुर में कहा था, ‘पिछले एक साल से मणिपुर शांति बहाली का इंतजार कर रहा है. 10 साल पहले तक मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा जैसे गन कल्चर वहां खत्म हो गया है। लेकिन अचानक से मणिपुर हिंसा की आग में सुलग उठा। आगे उन्होंने कहा, ‘मणिपुर की स्थिति को लेकर हमें प्राथमिकता से सोचना होगा. देश के सामने जो मुश्किलें हैं, उन पर चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर सोचना होगा।’ संघ प्रमुख ने कहा कि या तो मणिपुर में हिसा भड़काई गई या खुद भड़क गई लेकिन मुश्किलों का सामना तो लोगों को ही करना पड़ रहा है। ‌घाटी के आगे उन इलाकों की स्थिति कैसी है जहां मैतेई समाज और कुकी समाज के लोग आमने-सामने रहते थे। इंफाल से होते हुए थोबाल के रास्ते आज तक की टीम टेक्नोपोल पहुंची। टेग्नोपाल मणिपुर का पहाड़ी जिला है यहां कुकी समाज के रहने वाले नागरिकों की संख्या ज्यादा है। जहां से इस जिले की सीमा रेखा शुरू होती है। वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों ने एक किलोमीटर से भी लंबा बफर जोन तैयार कर दिया है। घाटी के पलेल इलाके में दोनों समाज के लोग बड़ी संख्या में साथ रहते थे, लेकिन हिंसा के बाद अब पलेल शहर दो भाग में बंट गया है। दो हिस्सों में बंटा गांव : असम राइफल्स ने एक लंबा बफर जोन बनाया है, जिसकी वजह से पहाड़ों में रहने वाले कुकी समाज के लोग ना तो घाटी में आ सकते हैं और ना ही घाटी में रहने वाले मैतेई समाज के लोग पहाड़ों की ओर जा सकते हैं. केंद्रीय सुरक्षा बलों की कोशिश है कि हथियार बंद लोग एक दूसरे के इलाकों में‌जाकर किसी घटना को अंजाम ना दे पाएं।पुलिस तक यहां बंट चुकी है: पलेल बफर जोन पार करने के बाद हम टेक्नोपाल जिले की सीमा में प्रवेश कर गए. राज्य में हुई समुदायों के बीच हिंसा का असर प्रशासन पर भी दिखाई देता है. मणिपुर पुलिस भी समुदाय में बंट कर रह गई है। पहचान छुपाने के तर्ज में कमरे पर आकर के कुकी समाज के एक मणिपुर पुलिस जवान ने बताया कि हालात कितने मुश्किल हैं। इस जवान ने बताया कि पुलिस भी बंट चुकी है और हिंसा के बाद में मैतेई पुलिसकर्मी इंफाल में हैं तो कुकी पुलिसकर्मी पहाड़ों में आ चुके हैं।गांव छोड़ पहाड़ों पर जा कर रह रहे लोग : टेक्नोपॉल में घाटी से लगने वाले में सीमावर्ती गांव में सन्नाटा पसर गया है. बच्चे बुजुर्ग महिलाएं गांव के गांव छोड़कर सुदूर पहाड़ी शहरों में बस गए हैं. आज भी अपनी रसद के लिए इंफाल घाटी की ओर सीधा रास्ता ना लेकर पहाड़ों से एक जिले से दूसरे जिलों का सफर करके मिजोरम तक जाते हैं. पीटर ने हमें बताया कि आज भी कुकी समाज के लोग में कुकी समाज के लोग मेतेई इलाकों में जाने से डरते हैं क्योंकि जान का खतरा है ‌ ऊपर से ज़रूरतें पूरा करने के लिए पहाड़ों में लंबा संघर्ष करना पड़ता है।गांवों अबतक बंद हैं स्कूल: कई कुकी गांव भी हिंसा में जला दिए गए थे. घाटी से लगते हुए टेक्नोपोल के जिस गांव में टीम पहुंची वहां कोई नहीं था. स्कूल बंद हैं. घरों के आगे ताले लगे हैं. गांव जंगल और झाड़ियां में तब्दील हो रहे हैं. हिंसा के बाद से ही कुकी समाज के लोग अपने लिए अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं. इसका मणिपुर के घाटी में रहने वाले लोग विरोध करते रहे. पहाड़ी इलाकों में घरों पर सेपरेट एडमिनिस्ट्रेशन लगभग हर दीवारों पर लिखा दिखाई देता है.सीमावर्ती गांव में अब कोई बचा नहीं है। केंद्रीय सुरक्षा बल के कारण बचा है गांव: ‌गांव के सचिव हाओकिप बताते हैं कि आज भी उनके समाज के लड़के हाथों में हथियार लेकर अपनी जमीन और अपने गांव की हिफाजत कर रहे हैं. जबकि खतरे की वजह से महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों को चुरा चांदपुर टेक्नोपॉल मोरे या कांगपोकपी जैसे पहाड़ी शहरों में भेज दिया गया है। कुकी समाज के गांव प्रमुख बताते हैं कि अगर आज वह यहां सुरक्षित हैं तो वह सिर्फ केंद्र सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों की वजह से, वरना हथियारबंद मैतेई लड़ाके गांव खत्म कर चुके होते। गांव की हिफाजत के लिए युवाओं ने उठा लिए हथियार: हिंसा के दौर में कलम पकड़ने वाले युवाओं ने हाथों में हथियार पकड़ लिये. कभी एक दूसरे की छत बनाने में मदद करने वाले एक दूसरे के गांव जलाने लगे. मणिपुर के वो जख्म आज भी हरे हैं. इसी गांव के रहने वाले अलेक्स कहते हैं कि जहां बॉर्डर एरिया में हमारे गांव के सामने बंकर बनाए गए हैं. वहां हमारे गांव के भी लड़कों ने अपनी जमीन की हिफाजत के लिए बंकर बनाया है और आज भी अपने लोगों को प्रोटेक्ट कर रहे हैं। यहां के हालात से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा: रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कोंसम हिमालय सिंह ने कारगिल युद्ध लड़ा है और अब रिटायरमेंट के बाद मणिपुर में रहते हैं. वह भी कहते हैं कि गैर कानूनी तरीके से हथियार उठाने वाला हर व्यक्ति अपराधी है, लेकिन मणिपुर में ज्यादातर युद्ध नॉरेटिव को लेकर के हुआ है, जबकि यहां के हालात के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। पूरी तरह से बहाल नहीं हो सकी है शांति : जनरल हिमालय सिंह कहते हैं कई लोगों ने नॉरेटिव बनाकर मैतेई को आरोपी बनाया, लेकिन किसी ने सही तस्वीर सामने नहीं रखी और जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का हो तो केंद्र सरकार को भी सामने आना चाहिए। ताकि मणिपुर के हालात फिर से पटरी पर लौट सकें.मणिपुर को लेकर के विपक्ष लगातार केंद्र सरकार और मणिपुर की राज्य सरकार दोनों से सवाल करता रहा. राज्य और केंद्र दोनों में ही बीजेपी का शासन होने के बावजूद राज्य में शांति बहाली नहीं हो पाई। आरएसएस ने एक बार फिर मणिपुर की दिलाई याद
चुनाव खत्म हुए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी केंद्र सरकार को मणिपुर की याद दिलाई और कहा कि जो 10 साल में नहीं हुआ वह गन कल्चर मणिपुर में पिछले 1 साल से दिखाई दे रहा है।

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