ठाकुरगंज में 48 घंटे से अंधेरे में लोग, फूटा गुस्सा निकाला मशाल जुलूस
ठाकुरगंज में 48 घंटे से अंधेरे में लोग, फूटा गुस्सा निकाला मशाल जुलूस
-बिजली विभाग में जबतक स्थाई एसडीओ और लाइनमैन की नहीं होगी व्यवस्था सुधार की गुंजाइश नहीं
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल से सटे सीमावर्ती बिहार का ठाकुरगंज नगर पंचायत। महीने में चार करोड़ का राजस्व बिजली विभाग को देता है। उसके बाद भी पिछले 48 घंटे से ज्यादा समय से यहां के लोग अंधेरे में अपना समय बिता रहे है। आखिर बर्दास्त की भी कोई सीमा होती है। जिला प्रशासन के निर्देश और आश्वासन के बाद भी बिजली नहीं आने पर आंदोलन की शुरुआत कर दी। आक्रोशित लोगों ने पहले बिजली विभाग के कार्यालय पर अपना आक्रोश निकाला और फिर मशाल लेकर सड़क पर उतरे। लोगों में इस बात को लेकर भी आक्रोश है की जनता की समस्या से यहां के जनप्रतिनिधि विधायक और सांसदों को कोई लेना देना नही है।
क्यों फूटा गुस्सा: लोगों में गुस्सा है की क्षेत्र के सटे रंगापानी में भीषण रेल दुर्घटना के 24 घंटे बाद ही सबकुछ दुरुस्त हो गया। लेकिन 48 घंटे बाद भी बिजली व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई। आज ठाकुरगंज आबादी का 90 फीसदी लोग बोरिंग के पानी पर निर्भर है। जहां 48 घंटे से बिजली गुल हो वहां पीने का पानी तो दूर शौच के लिए भी पानी के लाले पर गए है। बच्चे और घर के बूढ़े की हालत क्या होगी यह कल्पना से परे है। शहर में कुल 12 वार्ड है जिसमे ज्यादातर लोग बिजली पर ही आश्रित है।
कब गई बिजली : बिजली गुल की वजह 17 व 18 जून को वज्रपात के साथ हुई मूसलाधार बारिश माना जा रहा है। वज्रपात के कारण जगह जगह कुल मिलाकर ढ़ाई सौ से अधिक इंसुलेटर जल गए। जिससे बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी। इस बार शहरी क्षेत्र में थोड़ा इसका कम असर दिखा। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र ठाकुरगंज, पोठिया, दिघलबैंक सहित अन्य इलाकों में 40 से 50 घंटे बाद भी बिजली आपूर्ति नहीं बहाल हो पायी है। हालांकि देर शाम तक बिजली आपूर्ति बहाल कर देने का आश्वासन बिजली विभाग की ओर से जिला प्रशासन को दिया गया है। कई सालों बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी भी इलाके में 40 से 50 घंटे तक बिजली आपूर्ति बाधित हो गयी हो। 17 जून को तो शहरी क्षेत्र में उतना वज्रपात नहीं हुआ था। लेकिन बारिश जमकर हुई थी। इसके बावजूद करीब दस घंटे तक बिजली आपूर्ति बाधित रही थी। मंगलवार की रात लगभग 11.15 बजे से एक घंटे तक तेज बिजली की गरज के साथ मूसलाधार बारिश हुई। सबसे बुरा हाल ग्रामीण इलाकों का है जहां लोगों को 40 से 50 घंटा बिना बिजली के रहना पड़ा है। लोगों को पचीस साल पूर्व की याद ताजा हो गयी जब यहां बिजली संकट हुआ करती थी। तब लालटेन युग लोग कहते थे। मानसून के आगाज के बाद लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के बाद लोगों को सूर्य के भी दर्शन नहीं हुए हैं। देर रात भी जमकर बारिश हुई तो दिन भर मौसम सुहावना बना रहा। आकाश में घने काले बादल छाये रहे। लोगों को लगा कि दोपहर में फिर बारिश होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि मौसम पूर्वानुमान में देर रात बारिश होने की संभावना जतायी गयी है।
क्या है इसकी असली वजह: बिजली की बार बार आ रही गंभीर समस्या को लेकर बिजली विभाग के एक अधिकारी ने नाम ना छापने के शर्त पर बताया की जबतक ठाकुरगंज में स्थाई एसडीओ और लाइन मेन की बहाली नहीं होगी स्थिति इसी प्रकार रहेगी। बिजली एसडीओ प्रभार में है। वह कब आते है और चले जाते है किसी को पता नहीं होता। कहने को तो यहां सात फीडर के लिए सात जेईई है किंतु लाइन मैन नहीं है। कार्यबल के रूप में लोगों की बहाली वह भी मोटी रकम लेकर की गई है। किशनगंज के ठेकेदार के अंदर में रख रखाव का जिम्मा है। जिनके इशारे पर बिजली विभाग उठता और बैठता है। इसकी जिला प्रशासन से जांच आवश्यक है। जबतक गुणवत्ता और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगेगा बिजली की व्यवस्था में सुधार मुश्किल है। रिपोर्ट अशोक झा