कूचबिहार में महिला प्रताड़ना के खिलाफ भाजपा करेगी विधान परिसर में प्रदर्शन

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में भाजपा विधायक कूचबिहार में पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता पर हमले के विरोध में एक जुलाई से विधानसभा परिसर में धरना शुरू करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष को दिए पत्र में कहा गया था कि दो जून को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने उसे रोक लिया और उसकी पिटाई की।उसने आरोप लगाया कि महिलाओं ने उसकी साड़ी उतार दी और उसे उसी हालत में करीब एक किलोमीटर तक घसीटा। पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नवनिर्वाचित मुख्य सचेतक शंकर घोष ने पहले ही अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय को एक पत्र देकर सोमवार से प्रस्तावित प्रदर्शन के बारे में सूचित कर दिया है। हालांकि, इस मामले में स्पीकर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। इस बीच, कूचबिहार पुलिस ने शुक्रवार को घोषणा की कि महिला भाजपा कार्यकर्ता की शिकायत के आधार पर मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। महिलाओं ने नग्न कर डुबाने की कोशिश की: पीड़िता
कूचबिहार के हाॅस्पिटल में भर्ती पीड़िता ने कहा कि टीएमसी की महिलाओं ने उसे नग्न कर दिया और पानी में डुबोने की कोशिश की। इसके अलावा बाल पकड़कर जमीन पर घसीटा। पीड़िता ने कहा कि अगर वह टीएमसी में शामिल नहीं हुई तो उसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाएगा। महिला ने आपबीती बताते हुए कहा कि जब मैं उनकी पिटाई से बेहोश हो गई तो वे लोग मुझे छोड़कर चले गए। वे लोग लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही मुझे निशाना बना रहे हैं। बीजेपी-टीएमसी एक-दूसरे पर हमलावर: मामले में पुलिस ने अभी तक 3 महिलाओं समेत 4 लोगों को अरेस्ट किया है। पुलिस ने पीड़िता के जीजा को भी फोटोग्राफ लेने और अफवाह फैलाने के आरोप में अरेस्ट किया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि एक सभ्य समाज में यह घटना कलंक की तरह है। स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया। एसपी के दखल के बाद मामला दर्ज हुआ है। इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने इस घटनाक्रम का संज्ञान लिया है। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा की ओर से अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर जारी संदेश के अनुसार, आयोग ने राज्य पुलिस को मामले में दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं को लागू करने का आदेश दिया है। बयान के अनुसार, आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। पीड़िता का फ्री इलाज कराया जाना चाहिए. निष्पक्ष, समयबद्ध जांच की जरूरत है। विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट तीन दिनों के भीतर आयोग को पेश की जानी चाहिए। रिपोर्ट अशोक झा

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