सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा 25 से
सिलीगुड़ी : धर्म नगरी सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में डालमिया परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का आयोजन 25 से 31 जुलाई तक किया जाएगा। इसकी जानकारी देते हुए नवीन डालमिया ने बताया कि प्रवचन रोजाना दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।कथा व्यास पर वृंदावन से आए केशव कृष्ण महाराज वाचक होंगे। सुबह भगवती डालमिया निवास से शोभा यात्रा के साथ कथा की शुरुआत होगी। शोभायात्रा के बाद श्रीमद् भागवत की महिमा, गोकर्ण कथा होगी। भगवान के अवतार वर्णन, नारद के पूर्व जन्म की कथा, सुखदेव का आगमन, जय विजय का सनकादिक श्राप, ध्रुव व्याख्यान, पुरंजनों व्यापाख्यान, भरत चरित्र, 1 जून को अजामिलोपाख्यान, देवताओं का वृत्तासुर से युद्ध, प्रहलाद जी की कथा, गजेन्द्र मोक्ष की कथा, 2 जून को वामन अवतार, गंगा अवतार, भागवत कथा में राम कथा, कृष्ण अवतार एवं गोकुल में जन्मोत्सव, पूतना उद्धार, संकट भजन, बाल लीला, चिरहरण, रासलीला, गोपिका गीत,कंश वध, उद्धव की ब्रज यात्रा, रुक्मणी विवाह, महालक्ष्मी कथा, श्रीकृष्ण के अनन्य विवाह का वर्णन, सुदामा चरित्र, यदुवंशियों का विनाश, कलयुग वर्णन, परीक्षित का परम गति, सहस्त्रधारा स्नान, भगवत गीता श्रवण, गुरु दीक्षा, पूर्णाहुति होगी। सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे, ताप़त्रेैविनाशाय श्री कृष्णाय वयं नुमः। सच्चिदानंदस्वरूप भगवान श्री कृष्ण को हम नमस्कार करते है जो जगत की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के हेतु है कारण है तथा आदिदैविक, आदिभौतिक और आध्यात्मिक तीनो तापों का नाश करने वाला है। अनेक पुराणों और महाभारत की रचना के उपरान्त भी भगवान वेदव्यास जी को शान्ति नही मिली तो तब उन्हेने भगवान श्री नारद जी के कहने पर श्रीमदभागवत की रचना की। इस असार संसार को सुख पूर्वक पार कराने के लिए भागवत ही नाव है और भगवान श्रीकृष्ण ही कुशल कर्णधार है अर्थात मल्लाह है। यह श्रीमद्भागवत की कथा जन्म मृत्यु के वन्धन से मुक्ति दिलाने वाली है भगवत् भक्ति को बढाने वाली है तथा भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का प्रथम साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद्भागवत से बढकर कोई साधन नही: यह श्री मद्भागवत की कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी तो शुकदेव जी के सामने इन्द्रादि देवता अमृत कलश लेकर आए और कहा यह कथा हमे दे दो और उसके वदले हमसे यह अमृतकलश लेलो किन्तु शुकदेव जी ने अमृत को तुक्ष समझ कर नही लिया। ब्रह्मा जी ने सत्य लोक मे तराजू बाॅधकर जब सव साधनों, व्रत, यज्ञ, अनुष्ठान, ध्यान, तप, मुर्तिपूजा आदि को तौला तो सभी साधन तोल मे हिल्के पड गए और अपने महत्व के कारण श्रीमद्भागवत को ही सवसे ज्यादा भारी पाया। यह ग्रन्थ भागवत महापुराण शाश्वत भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। इसको पढने सुनने या साप्ताहिक अनुष्ठान कराने से मोक्ष की प्राप्ती होती है। पित्रृों को शान्ति मिलती है और पित्र आशीर्वाद देते हुए भगवान श्रीकृष्ण के धाम गोलोक को चले जाते है। जो लोग भागवत कथा का अनुष्ठान करते है उनके घर कभी किसी की अकाल मृत्यु नही होती, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ग्रहकृत अरिष्ट योग भी शान्त हो जाते है । वह जब तक पृथ्वी लोक मे रहते है तब तक सुख-शान्ति और आनन्द पुर्वक रहता है और अन्त भगवान श्री कृष्ण के लोक सत्यलोक गोलोक को जाता है। रिपोर्ट अशोक झा