बांग्लादेश हिंसा: विश्व गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की मूर्ति को तोड़े जाने से नाराज उनके समर्थक
लेखिका तसलीमा नसरीन ने तीखा विरोध, भाजपा ने कहा यह ठीक नहीं
बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। पुलिस न थानों में नजर आ रही ही है और न ही यातायात प्रबंधन में। पूरे बांग्लादेश में पुलिस थानों और पुलिस केन्द्रों पर हमले हुए हैं और दर्जनों पुलिसकर्मियों के मारे जाने की खबर है। बांग्लादेश में हिंसा के बीच जिसने राष्ट्रगान दिया उसी रवींद्रनाथ टैगोर की मूर्ति को तोड़े जाने का मामला सामने आया है। इस घटना पर लेखिका तसलीमा नसरीन ने तीखा विरोध जताया है। तसलीमा ने अपने फेसबुक पोस्ट में इस घटना पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि रवींद्र संगीत गाकर विरोध करने वाले छात्र आखिरकार कैसे रवींद्रनाथ की मूर्ति को तोड़ सकते हैं ?तसलीमा नसरीन ने अपने पोस्ट में लिखा, क्या मबोकरेसी (भीड़तंत्र) से डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) आ सकती है ? यह लोकतंत्र नहीं है, यदि किसी राजनीतिक दल को जबरदस्ती चुनाव से बाहर करना पड़े। जो भीड़ पुलिस या आर्मी के नियंत्रण में नहीं आती, उसे कौन नियंत्रित करेगा ? जो ‘जाग्रत छात्र जनता’ रवींद्रनाथ का गीत गाकर लोगों को मोहित कर रहे थे, वे ही अब रवींद्रनाथ की मूर्ति तोड़कर धूल में मिला रहे हैं। क्या वह दिखावा था ? क्या ये छात्र अपने स्कूल लौट सकते हैं, जिन्होंने हजारों लोगों को मारा, सार्वजनिक संपत्ति को जलाया और लोगों के घरों को लूटा ? मुझे नहीं लगता। हत्या की लत खतरनाक होती है। यदि नई सरकार उनके अनुकूल नहीं हुई तो वे उसे भी मारने चले जाएंगे। सोमवार को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़की है। इस दौरान उग्र भीड़ ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति तोड़ दी थी। अब रवींद्रनाथ टैगोर की मूर्ति तोड़े जाने का मामला भी सामने आया है। हिंदू डर के साए में: शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में उपद्रवी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं. देश में 1 करोड़ 31 लाख के करीब हिंदू हैं, उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले किया जा रहा है। अराजक तत्व हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाने से नहीं चूक रहे हैं. हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां रहने वाले करीब 7 प्रतिशत हिंदू इन दिनों खौफ के साये में हैं। वैसे तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले कोई नई बात नहीं है. पहले भी हिंदुओं को यहां निशाना बनाया जाता रहा है. लेकिन इस बार हालात और भी अलग हैं. शेख हसीना सत्ता छोड़ चुकी हैं. ऐसे में भारतीय नागरिकों का क्यो होगा, यही चिंता सताने लगी है।
टारगेट पर 27 जिलों के हिंदू: बांग्लादेश में जारी अनिश्चितता और अराजकता के माहौल के बीच वहां के करीब 27 राज्यों में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है. क्या, मंदिर, क्या घर और क्या दुकानें, प्रदर्शनकारी कुछ भी नहीं छोड़ रहे हैं. गुस्साई भीड़ ने यहां पर करीब 27 जिलों में हिंदुओं के घरों के साथ ही उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है. इतना ही नहीं अराजक तत्व उनका कीमती सामान भी लूट ले गए. वहां पर मंदिरों और गुरुद्वारों में तोड़फोड़ की जा रही है. शेख हसीना के सत्ता और देश छोड़ने के बाद से वहां हालात बदतर हो गए हैं. ये खबर बांग्लादेशी न्यूज वेबसाइट द डेली स्टार में छापी गई है.
हिंदुओं की संपत्ति को नुकसान: बांग्लादेश के कट्टरपंथी हिंदुओं की संपत्तियों को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचा रहे हैं. मंदिर हो या गुरुद्वारा किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है. शहरों में हिंदू नेताओं पर हमले किए जा रहे हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर कई हिंदू परिवारों के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें उनकी पीड़ा को देखा और सुना जा सकता है। इन जिलों में कट्टरपंथियों का सितम: बांग्लादेश के पंचगढ़, दिनाजपुर, बोगुरा, रंगपुर, शेरपुर किशोरगंज, सिराजगंज, मुगरा, नरैल, पश्चिम जशोर, पटुआखली, दक्षिण-पश्चिम खुलना, मध्य नरसिंगड़ी, सतखीरा, तंगैल,फेनी चटगांव, उत्तर-पश्चिम लक्खीपुर और हबीगंज जैसी जगहों पर कट्टरपंथिओं का आतंक जारी है. वह यहां रहने वाले हिंदुओं पर न सिर्फ हमले कर रहे हैं बल्कि उनकी संपत्तियों को भी लूट कर ले जा रहे हैं. अल्पसंख्यकों के हालात पर विश्व हिंदी परिषदचिंतित: बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर विश्व हिंदू परिषद ने चिंता जाहिर की है। विहिप के प्रवक्ता सुशील रामपुरिया ने कहा कि वहां पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक दिन पहले उग्र भीड़ ने पंचगढ़ जिले में 22, झीनैदाह में 20 घरों और जैसोर में 22 दुकानों को निशाना बनाया गया. उन्होंने भारत सरकार ने इन लोगों की सुरक्षा की अपील की। भारत सरकार चिंतित: बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के घरों, मंदिरों और उनके व्यासायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए जाने पर केंद्र सरकार ने भी चिंता जताई है. सरकार का कहना है कि वहां के मौजूदा हालात पर उनकी बारीकी से नजर है. बांग्लादेश सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के आदेश दिए गए हैं. सरकार का कहना है कि भारत हर स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी देश की स्थिति चिंताजनक है। भारत सरकार वहां के मौजूदा तंत्र के साथ संपर्क में है।
हिंदू म्यूजिशियन के घर में लूटपाट: भीड़ ने ढाका में हिंदू म्यूजिशियन राहुल आनंद के घर में न सिर्फ लूटपाट की बल्कि वहां आग भी लगा दी. भीड़ ने सोमवार दोपहर ढाका के धनमंडी 32 स्थित उनके आवास पर हमला बोल दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल आनंद, उनकी पत्नी और उनका बेटा वहां से सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे, लेकिन हमलावरों ने उसके घर नें जमकर लूटपाट की. भीड़ उनके घर से महंगी चीजें चुरा कर ले गई, जिसमें राहुल का 3,000 से ज्यादा हस्तनिर्मित संगीत वाद्ययंत्रों का बड़ा कलेक्शन भी शामिल था।
अवामी लीग के 2 नेताओं की हत्या: पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं पर सितम का आलम यह है कि लोगों को जिंदा जलाया जा रहा है। खबर के मुताबिक उग्र भीड़ ने बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से जुड़े दो नेताओं की हत्या कर दी गई. जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं की हत्या उत्तर-पश्चिमी सिराजगंज और रंगपुरा में की गई है, ये जानकारी बौद्ध ईसाई एकता परिषद नेता काजोल देवनाथ ने दी।
मंदिरों में तोड़फोड़: बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की जा रही है. खुलना डिविजन स्थिति मेहेरपुर में इस्कॉन मंदिर में तोड़फोड़ की खबरें सामने आई हैं। साथ ही वहां के एक काली मंदिर को भी तोड़फोड़ के बाद आग के हवाले कर दिया गया. करीब 4 हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। इस्कॉन के प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंद दास के ट्वीट के मुताबिक, ‘मेहेरपुर में हमारा एक इस्कॉन केंद्र जला दिया गया, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियां शामिल हैं. वहां रहने वाले तीन भक्त किसी तरह भागकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में तोड़फोड़: बांग्लादेश में रहने वाला अल्पसंख्यक समुदाय इन दिनों डर से साये में रहने को मजबूर है। राजधानी ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में भीड़ ने धावा बोल दिया और वहां पर जमकर तोड़फोड़ की. इस सांस्कृतिक केंद्र को मार्च 2010 में खोला गया था। यहां पर सांस्कृतिक संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के आयोजन के जरिए योग, हिंदी, भारतीय शास्त्रीय गायन जैसे भारतीय नृत्यों के जरिए भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दिया जाता है। प्रदर्शन आयोजकों और जमात के लीडर्स की अपील के बावजूद भीड़ बेकाबू है और जगह जगह थानों को जला रही है। अपनी जान बचाने के लिए कई शीर्ष पुलिस अधिकारी छिप गए हैं और पुलिस स्टेशन खाली पड़े हैं। पुलिसकर्मी खुद अपनी सुरक्षा का आश्वासन मांग रहे हैं, ताकि वे अपनी ड्यूटी पर वापस लौट सकें। गैर-कैडर अधिकारियों और सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले बांग्लादेश पुलिस सेवा एसोसिएशन ने एक प्रेस रिलीज में अपनी शिकायतों और काम रोकने का ऐलान किया है।
बवाल से थाने में जले वाहन
हसीना के पतन के बाद देश भर में पुलिस स्टेशनों पर हमले शुरू हो गये। अब, सभी स्तरों पर पुलिसकर्मी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. कई पुलिस अधिकारी अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों के घर चले गए हैं, कुछ तो अपने आवासीय क्षेत्रों से भी बाहर चले गए हैं।
450 पुलिस स्टेशनों में लगाई गई आग:
जान के खतरे के बाद ज्यादातर पुलिस अधिकारी छिप गए हैं. पूरे देश में पुलिस हताहतों और क्षति का आकलन अभी नहीं किया जा सकता. बांग्लादेश पुलिस सेवा एसोसिएशन के मुताबिक देश भर में लगभग 450 पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ है. देश भर में पुलिस स्टेशनों की कुल संख्या लगभग 650 है। राजारबाग पुलिस लाइन में एक मीडिया कॉफ्रेंस में अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक शेख शाहिदुर रहमान ने कहा. “सरकार गिरने के बाद कानून-व्यवस्था बिगड़ गई है, पुलिस कर्मियों के शवों को बरामद करने के प्रयास अभी भी जारी हैं। इसलिए, हताहतों की सही संख्या अभी पता नहीं है। पुलिस से वापस ड्यूटी पर लौटने की अपील अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक शेख शाहिदुर रहमान, जिन्हें मौजूदा हालातों से निपटने के लिए मंगलवार को बांग्लादेश पुलिस का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंने ने पुलिस बल से धीरे-धीरे अपने काम को फिर से शुरू करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने का आह्वान किया है। शाहिदुर रहमान ने कहा, “पुलिस लोगों की दोस्त है और जनता के लिए काम करती है. हम पुलिस के बिना समाज की कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए, मैं अपने पुलिस सदस्यों से एक बार फिर अपील करता हूं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और धीरे धीरे अपना काम पर लौटें।