अच्छे शिक्षक धैर्य, सहानुभूति, संचार और समझ के व्यवहार का आदर्श प्रस्तुत करते हैं: अर्जुन मांतू घोष

अशोक झा, सिलीगुड़ी: मयूर स्कूल सिलीगुड़ी द्वारा आयोजित शिक्षक दिवस पर मुख्य अतिथि अर्जुन मांतू घोष ने कहा की
शिक्षक अपने विद्यार्थियों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। वे अपने विद्यार्थियों को आत्मविश्वास के साथ नए-नए तरीके से सोचने और नई चुनौतियों का सामना करने की चुनौती देते हैं। एक अच्छा शिक्षक अपने विद्यार्थियों का तब भी समर्थन करेगा जब वे नई चुनौतियों का सामना करेंगे और असफल होंगे। यह हम अपने अनुभव से कह सकते है। लेकिन वे उनमें फिर से प्रयास करने का आत्मविश्वास पैदा करते हैं, रचनात्मकता को प्रेरित करते हैं, और अन्वेषण और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करते हैं। शिक्षण एक नौकरी नहीं बल्कि एक आह्वान है। इसलिए, छात्रों को उनकी कक्षाओं में कुशलतापूर्वक प्रेरित करने और विकसित करने के लिए आवश्यक कौशल हासिल करना और उन्हें पूर्ण करना महत्वपूर्ण है। अच्छे शिक्षक धैर्य, सहानुभूति, संचार और समझ के व्यवहार का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। ये गुण वे अपने विद्यार्थियों में विकसित करने में मदद कर सकते हैं। आज के सेमिनार में हम अच्छे शिक्षकों के दस गुणों पर चर्चा कर रहे हैं, जो प्रेरणा के रूप में काम आ सकते हैं, यदि आप अपने विद्यार्थियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालना चाहते हैं। शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण कौशलों में समय प्रबंधन कौशल, नेतृत्व कौशल, मजबूत कार्य नैतिकता, समस्या समाधान क्षमता, उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता, तथा विभिन्न शिक्षण विधियों और तरीकों को अपनाने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुकूलनशीलता शामिल हैं।एक अच्छे शिक्षक में कई मुख्य गुण होते हैं, जिनमें धैर्य, सहानुभूति, अनुकूलनशीलता और सम्मान शामिल हैं। इसके अलावा, कई तरह के हार्ड और सॉफ्ट स्किल्स भी हैं जिन्हें प्रभावी शिक्षकों को निखारना चाहिए, जैसे कि कक्षा प्रबंधन से लेकर भावनात्मक बुद्धिमत्ता तक। शिक्षक चूंकि शिक्षा व्यवस्था की जड़ होते हैं इसलिए ईमानदार प्रयास करते हुए आधुनिक शिक्षण कौशल और ज्ञान से उनको प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। हमें प्राचीन काल की तरह शिक्षा को आकर्षक पेशा बनाना चाहिए ताकि सर्वश्रेष्ठ लोग उसको अपनाने के लिए प्रेरित हों। इसी तरह आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूलों को कम से कम बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। सरकार और समाज को एक साथ मिलकर संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था को अधिक अर्थपूर्ण और उत्पादक बनाना चाहिए। स्फूर्ति से ध्यान देना, अनुकूलन क्षमता, सहयोग, रचनात्मकता समानुभूति,सगाई,विकास पर ध्यान केंद्रित करें,आजीवन सीखना
धैर्य,तत्परता,आदर जब तक हम ऐसा नहीं करते तब तक अपनी सामाजिक जरूरतों मसलन आधुनिक तकनीक और बौद्धिक ज्ञान के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ेगा। हमारा शानदार अतीत इस बात का गवाह है कि गंभीर प्रयास करने पर हम आश्चर्यजनक उपलब्धियों को हासिल करने में सक्षम हैं। बस इसके लिए लंबे समय से पकड़े हुई जकडऩ से मुक्त होना होगा। हमारे पास प्रचुर मानव संपदा है लेकिन हमें ऐसा तंत्र विकसित करना होगा जिसके दम पर इन संभावनाओं का सही ढंग से इस्तेमाल किया जा सके। समाज में हरेक को अर्थपूर्ण और गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने से यह संभव है। केवल इसी मार्ग से हम सुशिक्षित समाज की जमात में अग्रणी बनकर राष्ट्र को समृद्ध और विकसित कर सकते हैं।

Back to top button