आरएसएस प्रमुख ने कहा सेलिब्रेशन के रूप में नहीं मनाना है शताब्दी वर्ष
दिया निर्देश संगठित, अनुशासित और मजबूत हिंदू समाज के सपने को शताब्दी वर्ष तक करना होगा पूरा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: शताब्दी वर्ष को सेलिब्रेशन के रूप में नहीं मनाना है। संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के संगठित, अनुशासित और मजबूत हिंदू समाज के सपने को शताब्दी वर्ष तक पूरा करना है। समाज को स्वावलंबी और अनुशासित बनाने के लिए सज्जन शक्ति को साथ लेकर हर गांव तक जन जागरण का अभियान चलाना होगा। यह सब करने के लिए बड़ी संख्या में समय देने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या भी बढ़ानी होगी।संघ प्रमुख भागवत चार दिवसीय दौरे पर कल राजस्थान के बारां पहुंचे थे। उन्होंने कल यानी गुरुवार को धर्मादा धर्मशाला में आरएसएस के सभी क्षेत्रीय सदस्यों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने शताब्दी वर्ष के मद्देनजर विस्तार और एकीकरण की योजनाओं पर सभी जिला व क्षेत्रीय प्रचारकों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा की। बैठक में भागवत ने जोर देकर कहा कि शताब्दी वर्ष को उत्सव के रूप में नहीं मनाया जाना चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य संगठन के संस्थापक द्वारा देखे गए एक संगठित, मजबूत और अनुशासित हिंदू समाज के सपने को साकार करना होना चाहिए। बता दें कि अगले साल RSS की स्थापना के 100 साल पूरे हो जाएंगे। 2025 में शताब्दी वर्ष बनाएगा संगठन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना साल 1925 में हुई थी। अगले साल में विजयादशमी पर संगठन के पूरे 100 साल हो जाएंगे। संघ अपने स्थापना वर्ष को भव्य और यादगार बनाने की तैयारी कर रहा है। संघ प्रमुख भागवत इसको लेकर अलग-अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं और संघ के उद्देश्य को लोगों के बीच रख रहे हैं। भागवत ने बताया हिंदू होने के मतलब: हाल ही में मोहन भागवत ने बंगाल के कोलकाता और राजस्थान के अलवर ने एक संगठनात्मक बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए कार्य विस्तार और दृढ़ीकरण पर संघ प्रचारकों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने सामाजिक समरसता के जरिए बदलाव लाने का आह्वान किया और कहा कि पहले संघ को कोई नहीं जानता था, लेकिन अब सभी जानते हैं और मानते भी हैं। हमें छुआछूत के भाव को पूरी तरह मिटाना है. इस दौरान उन्होंने हिंदू धर्म का मतलब समझाया। भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म का मतलब सबसे उदार मानव होना है, जिसे सब कुछ स्वीकार हो।