प्याज के लगातार बढ़ते दाम, ग्राहक हो रहे परेशान
प्याज के बिना घर का बिगड़ रहा जायका
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल में ज्यादातर घरों में सुबह होते ही माछ भात खाने की परम्परा है। अगर यह नहीं मिला तो झाल मुढ़ी
तो खाते ही है। इन सभी में प्याज जरूरी है। टमाटर और लहसुन के बाद अब प्याज की कीमतों में भी महंगाई का तड़का लग गया है। अलीगढ़ में प्याज 75 से 85 रुपये प्रति किलो (फुटकर) के हिसाब से बिक रहा है। जबकि लहसुन का दाम 400 रुपये किलो से भी ऊपर चला गया है। प्याज की बढ़ती कीमतों ने नागरिकों को रुला दिया है, क्योंकि कई शहरों के बाजारों में इसके दाम तेजी से बढ़े हैं, जिससे ग्राहकों में नाराज़गी है। wholesale बाजारों में प्याज की कीमतें ₹ 40-60 प्रति किलो से बढ़कर ₹ 70-80 प्रति किलो हो गई हैं।यानि प्याज के रेट में 20 रुपये किलो की दर से बढ़ोतरी हुई है। इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है। कीमत ज्यादा होने के चलते कई परिवारों ने तो प्याज खरीदना ही छोड़ दिया है. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि अभी प्याज की कीमतों में गिरावट की कोई उम्मीद नहीं है। पूर्वोत्तर के सबसे बड़े मंडी रेगुलेटर मार्केट के व्यापारियों के रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में अक्टूबर के महीने में भारी बारिश के कारण लाल प्याज की नई फसल को आने में देरी हुई है। इससे पूरे देश में, खासकर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में प्याज की आपूर्ति पहले के मुकाबले कम हो गई है।इससे कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वहीं, कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उपभोक्ता परेशान हैं। दिल्ली में एक खरीदार ने कहा कि प्याज की कीमत में बहुत अधिक उछाल आया है, जबकि सीजन के हिसाब से इसमें कमी आनी चाहिए थी. मैंने अभी 70 रुपये प्रति किलो प्याज खरीदा है, जिससे हमारी बजट पर असर पड़ रहा है। ऐसे में मैं सरकार से रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सब्जियों की कीमतों को कम करने का आग्रह करता हूं। एक रिपोर्ट के अनुसार, नासिक के पिंपलगांव बाजार में बेहतरीन गुणवत्ता वाले प्याज की कीमत 15 दिन पहले 51 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 70 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। इसी अवधि में औसत कीमत 51 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 58 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। बांग्लादेश द्वारा प्याज पर आयात शुल्क हटाने से निर्यात में भी तेजी आई है। व्यापारियों को उम्मीद है कि देश के अन्य हिस्सों में नई फसल की आवक शुरू होने के बाद 8-10 दिनों में कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची कीमत: पिछले हफ्ते नासिक के बेंचमार्क लासलगांव बाजार में प्याज की कीमतें पांच साल के उच्चतम स्तर 54 रुपए प्रति किलोग्राम को पार कर गईं। व्यापारियों ने कहा कि ऐसा आपूर्ति की कमी के कारण हुआ, क्योंकि दिवाली के लिए देशभर में कई दिनों तक थोक बाजार बंद रहे। पिछले हफ्ते थोक कीमतों में 30 से 35% की वृद्धि हुई। आवक हुई काफी कम: बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि आवक कम होने के कारण कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले साल की रबी फसल से संग्रहित प्याज तेजी से खत्म हो रहा है। मार्च/अप्रैल में काटे गए प्याज की कीमतें सबसे अधिक हैं, जबकि सितंबर में भारी बारिश के कारण नई फसल की आवक में देरी हुई है। निर्यात में तेजी भी बड़ा कारण: बांग्लादेश की ओर से स्थानीय प्याज की कीमतों को कम करने के लिए 15 जनवरी तक प्याज पर आयात शुल्क हटाने से निर्यात में भी उछाल आया है। भारत ने सितंबर में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले प्याज पर निर्यात शुल्क को आधा करके 20% कर दिया था, क्योंकि प्याज किसान प्याज के निर्यात पर बैन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ मतदान करने के लिए एकजुट हुए थे।।क्या कहते हैं उपभोक्ता: हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी उत्तर भारत के राज्यों तक ही सीमित नहीं है. मुंबई और अन्य शहरों में भी प्याज महंगा हो गया है. मुंबई में एक उपभोक्ता ने कहा है कि प्याज और लहसुन की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. कीमतों में यह उछाल घरेलू बजट को प्रभावित कर रहा है. मैंने 360 रुपये में 5 किलो प्याज खरीदा है। वहीं, एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी सप्लाई प्रभावित होने के चलते हुई है। मांसाहारी थाली की कीमत में गिरावट : क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, घर में पकाई गई सब्जी की थाली की कीमत पिछले साल की तुलना में अक्टूबर 2024 में 20 प्रतिशत बढ़ गई, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत में लगातार गिरावट के बाद 5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. यह उछाल मुख्य रूप से त्योहारी सीजन के दौरान सब्जियों और खाना पकाने के तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण हुआ।
इस वजह से बढ़ रही है महंगाई: क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की नई रोटी चावल दर (आरआरआर) रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिकूल मौसम की घटनाओं ने प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कटाई में देरी की और सितंबर में लगातार बारिश ने खरीफ प्याज को प्रभावित किया. साथ ही टमाटर की फसलों को नुकसान पहुंचाया. इसके चलते टमाटर की कीमतें पिछले साल के मुकाबले दोगुनी से अधिक हो गईं, जो 29 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 64 रुपये प्रति किलो हो गईं है।