बंगाल में प्रतिवर्ष 20 000 करोड़ की हो रही जीएसटी की चोरी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार दो वर्षों में कुल 33,388 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का हुआ खुलासा
अशोक झा, सिलीगुड़ी :मोदी सरकार के दौरान विभिन्न योजनाओं के नाम और संरचना बदल दी गई है, लेकिन जीएसटी प्रणाली से भ्रष्टाचार और चोरी को रोकना संभव नहीं हो पाया है। इसका मुख्य कारण है उत्तर बंगाल में डीलरों, ट्रांसपोर्टरों और बिचौलियों के व्यावसायिक और आवासीय परिसरों के साथ-साथ विनिर्माण इकाई और गोदामों के माध्यम से उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग, कुचविहार, अलीपुरद्वार, जलपाइगुड़ी में संगठित होकर राजस्व की प्रतिदिन 7 करोड़ रुपए की लूट हो रही है। इस संगठित लुट को जीएसटी, डीआरआई, कस्टम समेत अन्य विभाग की खुलेआम समर्थन मिल रहा है। उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी, नक्सलबाड़ी, माटीगाड़ा, विधाननगर, इस्लामपुर, वीरपाडा, बानरहाट, जलपाईगुड़ी, मयनागुड़ी, अलीपुरद्वार, जयगांव, कुचबिहार, फ़ालकाता आदि क्षेत्रों में शिखर, विमल, राजनिवास, कमला पसंद , सिग्नेचर, बाहुवली समेत अन्य प्रकार के पान गुटका मसाला फर्जी कंपनी के नाम पर प्रतिदिन 25 से 30 ट्रक पहुंच रहे है। प्रत्येक ट्रक में 200 बैग गुटका, जर्दा और पान मसाला लदे होते है। इसकी कीमत प्रति ट्रक 25 लाख होती है। एक ट्रक में टैक्स 25 से 30 लाख होता है। इसे फर्जी कंपनी और पड़ोसी राष्ट्र भूटान में आयात के नाम पर बंगाल में ही खपाया जाता है।सिलीगुड़ी में इस पूरे नेटवर्क को
पवन, अंकित उर्फ बिट्टू, रमेश, चौरसिया अपने अन्य सहयोगियों द्वारा संचालित करते है। यह गिरोह इसके लिए प्रत्येक ट्रकों से 2लाख 40 हजार की वसूली करता है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में पश्चिम बंगाल में जीएसटी चोरी की राशि 33,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से इसे लेकर कई शिकायतें आ रही हैं। व्यापारियों ने शिकायत की है कि जीएसटी पोर्टल ठीक से काम नहीं कर रहा है और नियमों की जटिलता के कारण उन्हें परेशानी हो रही है। इस मुद्दे को लेकर कई व्यापारिक संगठन कई बार केंद्र सरकार से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है। इन दो वर्षों में कोलकाता और सिलीगुड़ी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में कोलकाता में जीएसटी चोरी की राशि 21,170 करोड़ रुपए थी, जबकि सिलीगुड़ी में यह 1,876 करोड़ रुपए थी। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ये राशि क्रमशः 9,790 करोड़ रूपये और 552 करोड़ रुपए है। यानी इन दो सालों में कुल 33,388 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रकम केवल रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों पर आधारित है। वास्तविक राशि इससे कहीं अधिक हो सकती है। एक ओर जहां कई कंपनियां जीएसटी के जटिल नियमों और कमजोर ढांचे का फायदा उठाकर टैक्स चोरी कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर कागजी कंपनियां फर्जी लेनदेन दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) वसूल रही हैं। हालाँकि ऐसी खामियों को पकड़ने के लिए केंद्र द्वारा कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन उनके उचित पालन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच राज्य सरकार ने भी इस संबंध में कुछ पहल की है, लेकिन उन्हें केंद्रीय खाते में शामिल नहीं किया गया है।