किशनगंज जिले में अवैध लॉटरी का धंधा, दिन में तीन बार लखपति बनने के चक्कर में लोग बन रहे खाकपति

कौन है ठाकुरगंज का मोहम्मद कयूम जिसपर हाथ डालने से डरती है पुलिस

अशोक झा, सिलीगुड़ी: कहते है कि नशा अपराध की जननी होती है। लेकिन अब नशा के साथ अवैध लॉटरी टिकट खरीदने के चक्कर में जिले के अपराध को पंख लग रहा है। धंधेबाज घूम-घूम कर लॉटरी की टिकट बेच रहे। लखपति बनने का सपना देखने वाले लोग मुंह मांगी कीमत पर टिकट खरीदते हैं। बेची जा रही लॉटरी की टिकट पर मिजोरम, नागालैंड अंकित है। यह सब टिकट रात को खुद छापकर निकाला जा रहा है। नागालैंड स्टेट लॉटरी के जरिए कोई भी अपनी किस्मत के दम पर लाखों करोड़ों रुपए पलभर में कमा सकता हैं। दिन में तीन बार नागालैंड स्टेट लॉटरी के रिजल्ट घोषित होते हैं। हर दिन 3 बार आता है। इस वर्ष के लॉटरी का समय बदल गया है, आजकल लॉटरी प्रकाशित होने का समय दोपहर 1 बजे, शाम 6 बजे और रात 8 बजे है। सीमांत किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में अवैध लॉटरी का
मुख्य अड्डा बन गया है। इसके कारण आज अपराध और अपराधियों के लिए यह धंधा नए पंख फैला रहा है। आश्चर्य की बात है कि शासन प्रशासन जान कर अंजान बना हुआ है। इस क्षेत्र में इस धंधे का सरगना मोहम्मद कयूम माना जाता है। उसके संबंध में लोगों का कहना है कि एक समय था जब वह गलगलिया में दाने- दाने का मोहताज था आज वह ठाकुरगंज में अपना घर बनकर करोड़ों की संपति का मालिक बन बैठा है। हद तो यह है कि उसका रुतबा मनी पावर के बल पर कुछ ऐसा है कि पुलिस भी उसपर हाथ डालने से परहेज करती है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि ठाकुरगंज सहित ज्यादातर थाना में उसी का सिक्का चलता है क्योंकि सालों की कमाई अकेले वह महीना में देता है। इन आरोपों की सच्चाई तो खुद एसपी सागर कुमार को लगानी चाहिए? क्योंकि जिले की जनता को उनसे काफी उम्मीद है। इस धंधे के परवान चढ़े कई परिवार के लोगों ने बताया कि मानो धंधेबाज इसे संगठित रोजगार की तरह चला रहा है। इस गोरखधंधे के जरिए धंधेबाज करोड़पति बन चुके हैं। जबकि लॉटरी खरीदने वाले लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई खो रहे हैं। लॉटरी पान दुकान, चाय की दुकान, मोबाइल रिचार्ज की दुकान में लॉटरी विक्रेता पहुंचकर आसानी से लॉटरी को बेच कर निकल जा रहे हैं। अवैध लॉटरी संचालक मुख्य बाजार में ही बैठकर धंधे को संचालित कर रहे हैं। इस कार्य में थाना पुलिस के मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि अवैध लॉटरी बेचने वाले लोग बिना रोक-टोक आसानी से खुलेआम लॉटरी की बिक्री कर रहे हैं। इसे 1993 में ही अवैध करार दे दिया गया था। अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सीमा पर बसे किशनगंज ठाकुरगंज में अवैध लॉटरी का धंधा इस तरह से फल-फूल रहा है। इतना ही नहीं अब लॉटरी माफिया किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, बेगूसराय और खगड़िया में बड़े पैमाने पर ये धंधा को फैलाने में लगे है। एक लाख के टिकट पर 40 हजार का मुनाफे का सब्जबाग दिखाकर ये माफिया हर माह बिहार के हर वर्ग के लोगों की जेब में डाका डाल रहे हैं और करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। कम लागत में अधिक रुपए कमाने के चक्कर में बिहार के लोग इसके शिकार हो रहे हैं। हर माह लगभग 5 से 7 करोड़ रुपए का अवैध धंधा कर रही हैं। बातचीत में इन माफियाओं ने इस बात को स्वीकार किया कि ये लोग वाट्सएप पर टिकट भेजकर उसकी बुकिंग करते हैं और पेमेंट ऑन लाइन लेते हैं। इसके बाद बिहार के लॉटरी धंधेबाज बस या रोजाना चलने वाले अन्य वाहन से बंगाल से टिकट में मंगाकर बेचते हैं। ठाकुरगंज से दालकोला और रामपुर फिर किशनगंज के बाद पांजीपारा लॉटरी के नेक्सस का हब बना हुआ है।
दर्जनों एजेंट कर रहे काम: बेखौफ धंधेबाजों ने शहर में कई जगह अपना आशियाना बना रखा है। जबकि दर्जनों धंधेबाज घूम-घूम कर टिकट की बिक्री में लगे हैं। लखपति बनने का सपना देखने वाले लोग मुंह मांगी कीमत पर टिकट खरीदते हैं। बेची जा रही लॉटरी की टिकट पर मिजोरम स्टेट, नागालैंड स्टैड अंकित है। इसे बंगाल से यहां मंगाया जाता है। जानकारी अनुसार प्रतिदिन लॉटरी का तीन ड्रॉ होता है। हालांकि लॉटरी का यह खेल बिहार के कई जिलों में चल रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन तीन से चार लाख की लॉटरी की बिक्री होती है। जानकारी के बावजूद अवैध धंधे में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे लॉटरी संचालकों का मनोबल इस कदर बढ़ गया है कि लॉटरी टिकट पर अंकित मूल्यों से कई गुणा अधिक राशि वसूली जा रही है। एक समय था जब ठाकुरगंज नगर थानाध्यक्ष सह प्रशिक्षू डीएसपी आदिति सिंहा ने लॉटरी और नशा पर नकेल कसने के लिए कई बार छापामारी कर हड़कंप मच दिया था लेकिन उनके तबादला के बाद यह धंधा खुलेआम शुरू है। गरीबों और मजदूरों की गाढ़ी कमाई पर पूरे सीमांचल में डाका डालने वाले का नाम एमडी कयूम है। यह कई लॉटरी माफिया को एक साथ कर पुलिस मैनेज करने से लेकर हर काम कर रहा है। ऐसा मानो धंधेबाज कोई संगठित दुकान चला रहा हो। इस गोरखधंधे के जरिए कई धंधेबाज करोड़पति बन चुके हैं। जबकि लॉटरी खरीदने वाले लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई खो रहे हैं। दर्जी का काम करने वाला, टोटो चालक, फुटपाथी दुकानदार आदि। इस पूरे खेल के पीछे सफेदपोश लोग शामिल हैं। जिनके संरक्षण में यह गोरखधंधा चल रहा है। जो पर्दे के पीछे से पूंजी लगाते हैं, बिना रोक-टोक के धंधेबाजों का धंधा चले इसकी व्यवस्था करते हैं। शहरी व बाजार क्षेत्र के अलावा गांव व टोला में भी अवैध लॉटरी के एजेंट लॉटरी बेचते हुए देखे जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि गोरखधंधा में शामिल एजेंट गांव के मजदूर, छोटे-छोटे दुकानदार व युवाओं को लाखों -करोड़ों रुपये इनाम का लालच दिखाकर लॉटरी बेचते हैं यहां स्थानीय स्तर के लॉटरी के अलावा पश्चिम बंगाल, नागालैंड समेत अन्य प्रदेशों के लॉटरी की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। यहां पुलिस डाल-डाल तो लॉटरी कारोबारी पात-पात हैं। इसके साथ जिले में ऑनलाइन जुआ का धंधा भी परवान पर है। लॉटरी का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। आज भी बाजारों में खुलेआम लॉटरी की टिकटें बिक रही है। धंधेबाजों को जिला प्रशासन का डर नहीं है जो कि चिंता का विषय है।अवैध कारोबारी भोले भाले आमलोगों को लखपति बनने का सपना दिखाते हैं और लॉटरी के नाम पर हर रोज लाखों लोगों को कंगाल बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि हर सिंडिकेट का अपना कोडिंग होता है। कोडिंग के जरिये लॉटरी की पहचान होती है। हर दिन लाखों रूपये का होता है कारोबार: टिकट के सेलर को 10से 15 फीसदी का मार्जिन दिया जाता है। रियल रिजल्ट से होता है लॉटरी का मिलान। नागालैंड और पश्चिम बंगाल के रिजल्ट से होता है मिलान।आपको बता दें कि बिहार में हर तरह की लॉटरी बैन है। नंबर मिल जाने के बाद सेलर के जरिये दिया जाता है पैसा।जीतने वाले की रकम से भी सेलर को कमीशन दिया जाता है।एजेंट के जरिये सेलर तक पहुंचाया जाता है टिकट।
एजेंट के जरिये ही सेलर तक पहुंचता है जीतने वालों का इनाम।किशनगंज जिले के ठाकुरगंज, पोठिया, बहादुरगंज, पौआखाली,
छतरगाछ, तैयाबपुर, बेलबा सहित हर चौक-चौराहे पर जाली टिकट उपलब्ध है। चाय की दुकान,नाश्ते की दुकान, सब्ज़ी का ठेला या मोबाइल रिचार्ज की दुकान, हर जगह अवैध लॉटरी की टिकट बेची जा रही है। बंगाल से सीमावर्ती इलाकों में अवैध धंधा खुलकर होता है. सीमावर्ती इलाकों में खुलेआम लॉटरी टिकट बेचा जाता है। रातों-रात मालामाल होने का सपना पालने वाले लोग ऐसे गिरोह के चक्कर में आकर अपनी गाढ़ी कमाई लॉटरी टिकट में लगा रहे हैं जो चिंता का विषय है।लॉटरी खेलने और खिलाने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने लॉटरी खेलने व खिलाने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का प्रावधान किया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इसके खिलाफ धारा 294 ए, 420 आदि धारा के तहत कार्रवाई की जाती है। धारा 294 ए के तहत लॉटरी कार्यालय रखने पर छह माह के कारावास या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। लॉटरी संबंधित प्रस्ताव को छापना या प्रकाशित करने को भी अपराध के श्रेणी में रखा गया है। इसमें जुर्माने का प्रावधान है।

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