राम नाम का मंत्र लेकर दलित,आदिवासी और किन्नर हुए भाव विभोर

*रामपंथ ने हर 20 घरों पर एक पुजारी मनोनीत किया*
*अब दलित, महिलाएं, किन्नर और आदिवासी भी बनेंगे पुजारी*
*भगवान श्रीराम परिवार भक्ति आन्दोलन काशी से शुरू हुआ*
• रामपंथ के आचार्य हर बस्ती में जाएंगे
• महिलाओं को जानकीचार्या और पुरुषों को रामाचार्य की पदवी मिली
• महिला दलित पुजारी, किन्नर पुजारी, आदिवासी पुजारी का रामपंथ के भक्तों ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया
• महादीक्षा संस्कार ने सबको जोड़ा राम से, तोड़ा अहंकार का भ्रम
• 1100 लोगों ने दीक्षा लेकर राम परिवार भक्ति आन्दोलन को देशभर में ले जाने का संकल्प लिया
• दलित, आदिवासी, मुसहर, किन्नर और महिलाओं में से 501 को दीक्षा देकर पुजारी बनाया
• सांस्कृतिक क्रांति का सूत्रपात किया महादीक्षा संस्कार ने
• राम मंत्र की दीक्षा ने भेदभाव खत्म किया
*वाराणसी, 17 अप्रैल।* धर्म नगरी काशी ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूत्रपात कर राम परिवार भक्ति आन्दोलन की शुरुआत रामपंथ ने महादीक्षा संस्कार के माध्यम से कर दिया। आज काशी में विशाल भारत संस्थान एवं रामपंथ की ओर से लमही के सुभाष भवन में रामपंथ का महादीक्षा संस्कार का आयोजन किया गया। इस महादीक्षा में समाज सुधारक एवं आध्यात्मिक गुरु इन्द्रेश कुमार, रामपंथ के धर्माध्यक्ष महंत बालक दास जी महाराज एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने हजारों की संख्या में आये 3 राज्यों और 11 जनपदों के लोगों को राम मंत्र देकर दीक्षित किया। दीक्षित होने वालों को भगवान श्रीराम परिवार का चित्र, खजाने के लिये अक्षत और पवित्र माला प्रदत्त किया गया। सांस्कृतिक क्रांति का सूत्रपात हुआ जब दलित परिवार, आदिवासी, किन्नर, महिलाएं दीक्षा लेकर पुजारी बन गयीं। रामपंथ ने प्रत्येक 20 परिवार पर एक पुजारी की नियुक्ति की ताकि घर-घर में प्रतिदिन भगवान श्रीराम की पूजा हो सके।
मुसहर समाज, आदिवासी समाज, किन्नर समाज, बाँसफोर बस्ती के लोगों को जब पुजारी बनने काअधिकर मिला तो वे भावविह्वल हो गए। प्रतिदिन भगवान राम का चरणामृत मिले ऐसी व्यवस्था रामपंथ ने हर बस्ती में कर दिया। जिनको कभी ये लगता था कि भेदभाव और छुआछुत की वजह से उनको धर्म से दूर रखा गया है, लेकिन महादीक्षा ने सब तरह का मिथक तोड़ दिया। पुजारी बनने का प्रशिक्षण दिया गया। भगवान श्रीराम परिवार भक्ति आन्दोलन के जरिये परिवार को बचाने और सम्बन्धों के निर्माण करने का संदेश दिया गया।
इस अवसर पर रामपंथ के गुरुदेव इन्द्रेश कुमार ने कहा कि रामपंथ ने राम परिवार भक्ति आन्दोलन की शुरुआत कर देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आगाज कर दिया। भगवान राम भारत खण्ड के सांस्कृतिक नायक हैं, वे सबके हैं और सबमें हैं। जब वो किसी में भेद नहीं करते, तो हम भेद करने वाले कौन हैं। दीक्षा के माध्यम से घर-घर, बस्ती-बस्ती तक राम की भक्ति पहुंचेगी। परिवार बचेगा, सम्बन्ध बनेगा और बच्चे संस्कारवान बनेंगे।
मुख्य दीक्षा गुरु महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि गुरु मंत्र कोई ले सकता है। इसमें धर्म जाती का भेद कैसा। जो लोग किसी मुसीबत में फंसे तो अपने गुरु मंत्र को याद करें। गुरु मंत्र किसी भी मुसीबत से निकलने में सहायता करेगा।
रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि 20 से 50 घरों का भक्ति समूह बनाया जाएगा। 1100 पुजारी प्रतिदिन राम परिवार की पूजा कराकर राम अमृत लोगों तक पहुंचायेंगे। अब मुसहर, दलित, आदिवासी और महिलाएं पुजारी बनने का सौभाग्य प्राप्त कर चुकी है। संस्कृति के विस्तार और रामभक्ति आंदोलन को जन-जन तक पहुंचने का काम रामपंथी करेंगे। लमही में ही राम सम्बन्ध मन्दिर बन रहा है जहां हर धर्म के लोग प्रवेश कर सकेंगे। पूजा करने और पूजा कराने में कोई भेद नहीं होगा। सबको समान धार्मिक अधिकार होगा। घर-घर मन्दिर का स्वरूप बनेगा। भगवान राम के चारों भाइयों और उनकी पत्नियों की पूजा होगी। साथ में हनुमान जी की पूजा करके पूरे विश्व के सम्बन्ध को बचाने का अभियान चलाया जाएगा।
महादीक्षा संस्कार में डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० नजमा परवीन, डॉ० मृदुला जायसवाल, ज्ञान प्रकाश, नौशाद अहमद दूबे, आभा भारतवंशी, मयंक श्रीवास्तव, अनन्त अग्रवाल, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, डॉ० धनंजय यादव, द्वारिका प्रसाद खरवार, अजय सिंह, अजीत सिंह टीका, अमित श्रीवास्तव, अभय राम दास, सन्नी सिंह, मनीष सिंह, रीशू सिंह, सचिन सिंह, सौरभ पाण्डेय, सत्यम सिंह, प्रवीण राय, शंकर पाण्डेय, बृजेश श्रीवास्तव, मृत्युंजय यादव, डॉ० राजकुमार सिंह गौतम, चन्दन सिंह, अंकित सिंह, विवेकानन्द सिंह, श्रीप्रकाश पाण्डेय, मो० रेहान, मो० सादिक, अलाउद्दीन भुल्लन, डॉ० मुकेश श्रीवास्तव, डॉ० भोलाशंकर गुप्ता आदि लोगों ने सहयोग किया।