महालया के बाद पूरे उत्सव के माहौल में है श्रद्धालु
अशोक झा, सिलीगुड़ी: महालया से दूर्गा पूजा की शुरुआत है। महालया को नवरात्रि और पितृपक्ष की संधिकाल भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करके माता से घर में आगमन के लिए प्रार्थना किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितृ देवों को जल तिल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गा पूजा के पहले महालया का अपना अलग ही महत्व होता है। इस दिन को बंगाल में बड़े ही खास तरीके से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि महालया अच्छे से सेलिब्रेट किया जाता है।धर्म शास्त्र के अनुसार, महालया अमावस्या तिथि को होते है, जिसे बहुत ही शुभ माना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन पितरों की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सुबह-सुबह लोग रेडियो या टेलीविजन पर “महालय” के पारंपरिक गीत और चंडीदाश पाठ सुनते हैं, जिसमें देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन और असुरों के साथ उनके युद्ध का वर्णन होता है।महालया का समय देवी दुर्गा के महिसासुर मर्दिनी के रूप में उनकी महिमा का बखान करता है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। महालया क्या है : महालया शब्द संस्कृत के दो शब्दों, महा और आलय से बना है, जिनका अर्थ है “महान निवास” या “देवी का घर।” इस दिन देवी दुर्गा भगवान शिव के निवास कैलाश से पृथ्वी पर अपने भक्तों के लिए अवतरित होने के लिए अपनी यात्रा शुरू करती हैं।महालया नवरात्रि और दुर्गा पूजा के शुरुआत का दिन है। कहा जाता है कि महालया के दिन ही पितरों को विदाई दी जाती है और माता का धरती पर स्वागत किया जाता है। माना जाता है कि माता नवरात्रि में धरती पर आने के लिए महालया के दिन ही कैलाश पर्वत से सपरिवार विदा हो कर नीचे आती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल महालया और पितृपक्ष अमावस्या दोनों एक ही दिन होगी। महालया और पितृ पक्ष की अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें तैयार करता है। इसके साथ मां दुर्गा की मूर्तियों के अंतिम रूप भी देना शुरू कर देता है।”महालय अमावस्या तर्पणम” और दुर्गा देवी का मनमोहक वर्णन सुनते हैं।
महालया का महत्व: महालया को ब्रह्म मुहूर्त में सुना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महालया बंगाली समुदायों में विशेष महत्व रखता है। बंगाल में महालया के दिन बड़े ही जोरों शोरों से तैयारी होती है। इस दिन यहां धूमधाम देखने में आती है। बंगाल के लोग इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार होता है। शास्त्र के अनुसार, इस दिन से ही नवरात्रि और दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है।वस्त्र और भोजन ब्राह्मणों को भेंट किए जाते हैं, जो उन्हें ग्रहण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि तर्पण या श्राद्ध करने से कालसर्प दोष या उसके नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
महालया पर क्या नहीं करें: इस दिन लोग अपने पितरों का श्राद्ध व तर्पण करके पृथ्वी लोक से विदा करते हैं। जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं- – महालया अमावस्या के दिन मांसाहार, शराब, प्याज, लहसुन, बैंगन और मसूर दाल का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह एक शुभ दिन माना गया है।