बंगाल में एक लाख से अधिक प्रतिमाओं की बिक्री एक दिन में, 250 से 7000 ₹ तक की प्रतिमा
मां सरस्वती की पूजा आज और कल, स्कूलों और घरों में पहुंची मां की प्रतिमा
मां सरस्वती की पूजा आज और कल, स्कूलों और घरों में पहुंची मां की प्रतिमा
– प्रतिमा के साथ पूजा के महत्व की जानकारी देंगे स्कूल प्रबंधक
– एक लाख से अधिक प्रतिमाओं की बिक्री एक दिन में, 250 से 7000 की प्रतिमा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता सरस्वती की पूजा होती है। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बंगाल में सरस्वती पूजा को लेकर विशेष क्रेज है। मयूर स्कूल, हिंदी हाई स्कूल, ब्राइट एकादमी, सिलीगुड़ी कॉलेज, सूर्य सेन कॉलेज सहित सैकड़ों शिक्षण संस्थानों और घर घर में वीणा वादनी की पूजा होगी। स्कूल प्रबंधक इस दौरान पूजा का महत्व बताकर छात्र छात्राओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करेंगे। बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। इस दिन को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी का दिन सभी शुभ कार्यो के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिये उत्तम माना जाता है। बसंत पंचमी को लेकर इस साल असमंजस की स्थिति है। दृग पंचांग के अनुसार इस साल पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है जो 3 फरवरी को 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। हिंदू कैलेंडर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है। इस वजह से 2 फरवरी, रविवार को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में उदया तिथि के अनुसार त्योहार मनाया जाता है। जहां उदया तिथि के अनुसार त्योहार मनाया जाता है, वहां बसंत पंचमी 3 फरवरी, सोमवार को मनाई जाएगी। देश के कुछ हिस्सों में 2 फरवरी को तो कुछ हिस्सों में 3 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित है। ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने का बेहतर अवसर: माघ महीने की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। वसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष को वसंत पंचमी मनायी जाती है। पंडित अभय झा कहते हैं विद्या और ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने के लिए वसंत पंचमी खास अवसर होता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदों की देवी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन को शिक्षा या कोई अन्य नयी कला शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है। इनकी पूजा अर्चना सभी शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ अन्य जगहों पर धूमधाम से की जाती है। इसे लेकर विद्यार्थियों में काफी उत्सुकता है। बेहतर मूर्ति निर्माण को लेकर युवा व छात्र कारीगरों के पास पहुंच रहे हैं। वहीं अपनी मनपसंद प्रतिमा बनाने के लिए वे कलाकारों को सलाह भी दे रहे हैं और प्रतिमाओं की एडवांस बुकिंग भी करा चुके है। मूर्तिकारों का कहना है कि हमारे पास कई लोगों का आर्डर आ चुका है। पांच सौ रुपए से लेकर ढाई से पांच हजार रुपए तक की मूर्ति शहर के विभिन्न मार्गों पर बिक्री के लिए आ पहुंचा है। जाता है। इसी दिन शुरू होगा शिशुओं का अक्षरारंभ: सरस्वती पूजा के दिन श्रद्धालु ज्ञान के साथ खुद को प्रबुद्ध करने एवं अज्ञानता को दूर करने के लिए मां सरस्वती की पूजा करेंगे।माता सरस्वती विद्या एवं बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। वसंत पंचमी को मां शारदे के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, नवग्रह, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्रों की पूजा अति फलदायी होती है। पूजा के बाद श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल भी लगायेंगे. इसी दिन मंत्र दीक्षा और नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ शुभ होगा।।बाजार में चुनरी, मुकुट, माला की डिमांड: सरस्वती पूजा में शेष दिन ही बचे हैं। इसे लेकर बाजार में मां शारदे की विभिन्न आकार की मूर्तियों, पूजन सामग्री, मां की शृंगार सामग्री, रंगीन और प्रिंटेड चुनरी, मोती, माला, मुकुट से बाजार पटा हुआ है. मां शारदे कहीं हंस पर सवार हैं, तो कहीं वीणा-पुस्तक धारण की हुई हैं। कई श्रद्धालु भीड़ से बचने के लिए अभी से पूजन सामग्री खरीद रहे हैं। पूजन सामग्री में विद्या की देवी के लिए सबसे महत्वपूर्ण कलम-दवात की मांग अधिक है. वहीं मोली (कच्चे धागे), छोटी-छोटी बोतल में गंगाजल, मधु, गाय घी, अगरबत्ती, कर्पूर, जनेऊ, जौ, तिल, चावल, धान जैसी सामग्री मिल रही है।पूजा का शुभ मुहूर्त: रेवती नक्षत्र: 2 फरवरी को देर रात 2:14 बजे
लाभ-अमृत मुहूर्त: प्रातः 6 :36- सुबह 09:19 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त: सुबह 10:41- दोपहर 12:03 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:41-12:25 बजे तक
चर-लाभ मुहूर्त: अपराह्न 02:46-शाम 05:30 बजे तक।
बाजार में पीले कपड़ों की बढ़ी डिमांड
वसंत पंचमी को लेकर कपड़ा बाजार में पीले साड़ी और सूट की खरीदारी शुरू हो गयी है। क्योंकि सरस्वती पूजा के मौके पर महिलाएं पीली साड़ी और सूट पहनना अधिक पसंद करती हैं। इसके कारण सरस्वती पूजा में इसकी पीले रंग की साड़ियां और सलवार- सूट को पहनना को महिलाओं व युवतियों प्राथमिकता देती है। यहीं कारण है कि कपड़ा मार्केट में एक से एक डिजाइन में पीले रंग की साड़ियों और सूट का काफी स्टॉक दुकानों में उपलब्ध है।
इसलिए मां सरस्वती का प्रिय रंग पीला है: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती का प्रिय रंग पीला है और पीला रंग जीवन में सकारात्मक, नयी किरणों और नयी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग के वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता है। इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा के दौरान बूंदी के लड्डू या बेसन के लड्डू से भोग लगाने पर मां प्रसन्न होती हैं। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पीले फूल भी चढ़ाये जाते हैं और उनके लिए पीले रंग का आसन भी बिछाया जाता है।