गंगा में चल रही अंतारा लक्जरी रिवर्स क्रूज कम्पनी के खिलाफ पीआईएल दाखिल
अखिल भारत हिन्दू महासभा का राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष अरुण पाठक ने की गंगा विलास का नाम बदलने की मांग
वाराणसी। अंतारा लक्जरी रिवर्स क्रूज कम्पनी के सीईओ/ फाउंडर राज सिंह के खिलाफ प्रयागराज कोर्ट में अखिल भारत हिन्दू महासभा का राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष अरुण पाठक ने पीआईएल दाखिल किया है। मामला गंगा विलास का नाम बदलने समेत क्रूज से मीट-मांस-मदिरा की व्यवस्था बंद करने, सुबह-शाम प्रतिदिन गंगा आरती कराने, क्रूज से शौच-बाथरुम की व्यवस्था समाप्त करने और उसमें स्थित स्पा सेंटर को बंद करने से जुड़ा है। बतादें, बीते 18 जनवरी को संगठन की तरफ एक पत्रक के माध्यम से कई मामलों को लेकर चेताया भी गया था। इसके बाद उन्हें दोबारा 13 फरवरी को भी पत्र भेजकर जवाब मांगा गया था बावजूद इसके उन्होंने कोई गतिविधि नहीं दिखाई।
दूसरी तरफ, हिन्दूवादी नेता अरुण पाठक ने कहा कि गंगा-विलास का चालन गंगा में करना हिन्दू आस्था के विरुद्ध है। साथ ही इस क्रूज का नाम ‘गंगा-विलास’ भी गलत है। अनंतकाल से माँ गंगा हमारी आस्था का प्रतीक हैं। इस गंगा के लिए राजा भगीरथ ने हजारों वर्ष तक तप किया था, तब जाकर ये स्वर्ग से धरती पर आर्इं। उसी माँ गंगा के नाम के साथ विलास शब्द जोड़ना विवादित व निंदनीय है। वाराणसी से डिब्रूगढ़ के बीच गंगा के साथ जो 27 नदियाँ पड़ेंगी, जिसमें से बहुत-सी नदियाँ ऐसी हैं जो हमारी प्रमुख आस्था का केंद्र हैं, उनमें धनपशु लोग शौच और मलमूत्र का त्याग करेंगे। जबकि आस्था का प्रतीक माँ गंगा और अन्य नदियों में मल-मूत्र का त्याग करना तो दूर सोचना भी महापाप है। इसलिए पूंजीपतियों की सुख सुविधा, भोगविलास और अय्याशी वाले इस क्रूज पर तत्काल रोक लगाई जाए।
भोग विलास से युक्त धनपशु एमवी गंगा-विलास क्रूज के अंदर जो अय्याशी होगी, उससे गंगा पतित, अपावन और अपवित्र होंगी। अंतारा लक्जरी रिवर्स क्रूज कम्पनी की वेबसाइट पर यात्रियों के खाने-पीने की चीजों का विवरण दिया गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि अब गंगा में चलते क्रूज पर चिकन, मटन, मछली सहित तमाम तरह की मीट यानी मांस परोसी जा रही है। देशी-विदेशी मदिरा के तमाम ब्रांड भी पिलाए जा रहे हैं। इसमें कोई भक्ति भाव वाले नहीं बल्कि लाखों-लाख रुपये किराया देकर धनपशु चल रहे हैं तो यह अय्याशी का अड्डा नहीं तो और क्या है? भविष्य में गंगाविलास क्रूज का नदी-पर्यावरण के साथ नदी पर आश्रित मछुआरा समाज पर भयानक विनाशकारी दुष्प्रभाव पड़ेगा एवं नदी में उपस्थित जीव-जंतुओं के जीवन पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा।