बस्ती का कलमकार जम्मू-कश्मीर के रघुनाथ मंदिर में गया तो अचानक यह क्या हुआ 

रोमिंग जर्नलिस्ट की रिपॉर्ट 3

मंदिरों की नगरी जम्मू में सबसे पहले रघुनाथ मंदिर में मत्था टेकने के लिए चल पड़ा। अक्टूबर का आखिरी सप्ताह था, रघुनाथ बाजार में खरीदारी करती महिलाओं की भीड़ दिखी। बाजार में जगह-जगह बालू के ढेर से बने बंकर में एक-47 व 56 के साथ तैनात सीआरपीएफ के जवानों की मौजूदगी यह अहसास दिला रही थी कि आतंकवाद का जिंदगी पर कितना असर है। रघुनाथ मंदिर पहुंचा तो वहां और भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखकर सालों पहले रघुनाथ मंदिर को उड़ाने के लिए हुए आतंकी हमले की सुर्खियां दिमाग में ताजा हो गयी। रघुनाथ मंदिर पर मोबाइल और चमड़े की बेल्ट निकालकर तलाशी की कतार में लगा तो अचानक आंखों में उम्मीद की चमक दिखी। चमक अपनेपन की थी। जिस जवान ने तलाशी थी, उसकी कडक़ वर्दी पर नेमप्लेट पर लिखे अक्षर ही यह अहसास दिला रहे थे। नाम लिखा था- अजब सिंह यादव। इसे पढऩे के बाद दिल-दिमाग आपस में गुफ्तगू करने लगे कि यादव जी या तो गाजीपुर के होंगे या इटावा के होंगे। यह सोचते-सोचते मंदिर के अंदर पहुंचकर राजा राम चंद्र जी का मूर्ति का दर्शन किया। दर्शन पूजन के बाद फिर पहुँचा यादव जी के पास …

आगे की कहानी रोमिंग जर्नलिस्ट के ब्लॉग पर जाकर पढ़ेंगे तो उम्मीद है आपको मजा आएगा

https://www.roamingjournalist.com/2011/05/3.html

रोमिंग जर्नलिस्ट के ब्लॉग से साभार

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