निकाय चुनाव मे भी प्रत्याशियों का रिकार्ड जानने की व्यवस्था होनी चाहिए
निकाय चुनाव मे भी प्रत्याशियों का रिकार्ड जानने की ब्यवस्था होनी चाहिए
बांदा / लोकसभा और विधानसभा की तरह नगर निकाय चुनाव में भी प्रत्याशियों का आपराधिक, आर्थिक और शैक्षिक रिकॉर्ड जानने का अधिकार मतदाता को है। निकाय चुनाव में भी इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से स्थानीय निकाय के चुनाव में यह व्यवस्था नहीं हो पाई। यह बात मंगलवार को बांदा में एडीआर यूपी इलेक्शन वॉच की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्टेट कोऑर्डिनेटर अनिल शर्मा ने कही।उन्होने कहा कि शहर के मतदाताओं को अपना चुनावी घोषणा पत्र बनाना चाहिए। अभी मतदान के लिए दो दिन हैं। वह अपना घोषणापत्र बनाएं और वार्ड से लेकर शहर की जो भी समस्याएं हैं, उसका निराकरण कराने के लिए एक रजिस्टर में लिखकर सभी अध्यक्ष प्रत्याशियों और अपने-अपने वार्डों के प्रत्याशियों से हस्ताक्षर करवाएं। ताकि जब वे अध्यक्ष या वार्ड मेंबर बन जाए तो उन्हें उनके द्वारा दिए गए आश्वासन को दिखाकर जन दबाव बनाया जा सके।
श्री शर्मा ने कहा कि सभी मतदाताओं को यह बात अच्छी तरह से जान लेनी चाहिए कि जो प्रत्याशी पैसा, दारू या मुर्गा देकर आपका वोट खरीदेगा ! कल वह शहर को लूटेगा, और आपके ऊपर टैक्स लगाएगा। इसलिए मतदाता को अच्छे और सच्चे प्रत्याशी का चयन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भले ही प्रत्याशी गरीब हो लेकिन अगर उस में ईमानदारी का गुण है तो ऐसे में अगर उसे मतदाता चुनते हैं तो किसी भी बाहुबली या धनबली जनप्रतिनिधि के मुकाबले ये गरीब और ईमानदार प्रत्याशी जब जनप्रतिनिधि बनेगा तब वह ज्यादा बेहतर काम करेगा और मतदाताओं के
प्रति जवाबदेह रहेगा। हम सब जाति-धर्म से ऊपर उठकर अच्छा और सच्चा जन प्रतिनिधि चुनकर लोकतंत्र की रच्छा करें।