काशी तमिल संगमम् की सांसकृति संध्या में गूंजी शहनाई,बीएचयू की युवा कलाकार की संतूर प्रस्तुति ने बांधा समा

काशी तमिल संगमम्

वाराणसी । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर ग्राउंड में चल रहे काशी तमिल संगमम् में सुर ताल की लहरियों पर दर्शक निरंतर झूम रहे हैं। महामना की बगिया में तमिल संस्कृति के रंगों की छटा देखने आने वालों की संख्या में भी हर रोज़ इजाफ़ा देखने को मिल रहा है। 
सोमवार को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्री नितिन अग्रवाल, माननीय राज्यमंत्री, स्वतंत्र प्रभार, उ.प्र सरकार, मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने दोनों संस्कृतियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक मिलन के लिए काशी तमिल संगमम जैसे विशाल व भव्य कार्यक्रम के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त किया। विशिष्ट अतिथि श्री जी. के. वासन, माननीय सांसद, राज्यसभा, ने उत्तर भारत के लोगों को  तमिलनाडु की संस्कृति से इतने शानदार ढंग से रूबरू कराने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद जताया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत उस्ताद फतेह अली खां जी द्वारा शहनाई वादन से हुई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के युवा कलाकार तथा मंच कला संकाय के विद्यार्थी कुमार सारंग ने संतूर पर अपनी बेहतरीन प्रस्तुति कर दर्शकों की भरपूर वाहवाही बटोरी। 
कार्यक्रमों की अगली शृंखला में ऐतिहासिक महत्व के नाटक वेलू नाचियार की प्रस्तुति एस. शांति एवं समुह द्वारा हुई। यह नाटक तमिलनाडु के शिवगंगा प्रांत की रानी वेलू नाचीयार (1782-90) में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संघर्ष को दर्शाता है। उन्हें तमिलवासी आज भी गर्व से वीरांगनाइ के नाम से याद करते हैं। 
कार्यक्रम की अगली कड़ी में मूनुस्वामी और उनकी टीम ने लगातार तीसरे दिन पेरियामलम की अद्भुत प्रस्तुति कर दर्शकों को अपनी ऊर्जा व ताल से रोमांचित किया। प्राचीन वाद्ययंत्रों की मदद से प्रस्तुत किया जाने वाला यह वाद्य मुख्यतः शैव मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता है।

पी. सावित्री एवं समूह द्वारा कोलट्टम,थप्पट्टम एवं कुम्मियट्टम लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया। तमिलनाडु में 7 वीं शताब्दी से प्रचलित यह नृत्य डंडे की मदद से किया जाता है। थप्पूअट्टम की प्रस्तुति में परई वाद्ययंत्र की सहायता ली जाती है। यह महिलाओं के समूह द्वारा किया जाने वाला एक नृत्य है। 
29 नवंबर की प्रस्तुतियांकाशी तमिल संगमम में मंगलवार को होने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में मृदंग चक्रवर्ती तथा डॉ तिरुवरूर भक्तवत्सलम द्वारा जुगलबंदी – लय मदुरा, टी. एस. मुरुगन, मुरुगन संगीता द्वारा कठपुतली प्रस्तुति, कलाईअरुवी कलाईकोड्डम के नेतृत्व में कारागट्टम, डी श्रीधरन की अगुवाई में पंबई व कई सिलाबट्टम, सेठ एम आर जयपुरिया विद्यालय के छात्रों द्वारा नृत्य, नवीन चंद्र द्वारा नाटक तथा श्री पी एस भुपति द्वारा कविदत्तम की प्रस्तुति की जाएगी। 

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