जय श्रीराम के उदघोष के साथ विहिप का शौर्य जागरण यात्रा जयगांव से हुआ रवाना

जागरण यात्रा के लिए लेनी पड़ी हाईकोर्ट के सर्किट बेंच से अनुमति

सिलीगुड़ी: जय श्रीराम के उद्घोष के साथ आज अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत
विश्व हिंदू परिषद और बजरंगदल ने अपना शौर्य जागरण यात्रा का शुभारंभ सोमवार को किया। यह जागरण शौर्य यात्रा भारत भूटान सीमांत अलीपुरद्वार जिले के जयगांव से निकाला गया। मालदा से भी यात्रा निकलकर आठ अक्तूबर को सिलीगुड़ी में आएगी। यहां स्वागत समारोह के साथ इसका समापन होगा। बंगाल सरकार की पुलिस प्रशासन द्वारा कई जिलों में अनुमति यात्रा के लिए नहीं दिए। हाई कोर्ट सर्किट बेंच द्वारा अनुमति देने के बाद कार्यकर्ताओं में बड़ा उल्हास देखने को मिला। इसका उद्बोधन विहिप के अखिल भारतीय संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडे द्वारा किया गया। इस मौके पर प्रांत मंत्री लक्ष्मण बंसल समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे। अखिल भारतीय संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडे ने कहा की नेतृत्व के निर्देश पर यात्रा के दौरान लोगों को अवगत कराया जा रहा है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन अयोध्या आने की बजाय लोग अपने गांव के मंदिर पर कार्यक्रम का आयोजन करें। यहां विशेष पूजन के आयोजन के साथ दीपक जलाकर एक दूसरे से खुशियां साझा करें। प्राण प्रतिष्ठा के बाद संगठनात्मक स्तर पर हर जिले के अयोध्या आने का कार्यक्रम तय किया जाएगा। विहिप नेता ने बताया कि रामलला की प्राणप्रतिष्ठा का उत्सव हिंदू समाज के लिए सबसे बड़ा उत्सव है। इसकी जानकारी घर-घर में पहुंचाने के लिए शौर्य यात्राओं के जरिए लोगों के बीच जा रहे है। जन जागरण हमेशा से हमारा उद्देश्य रहा है। यात्रा के समापन पर सभाएं भी होंगी जिसमें गो हत्या, धर्म परिवर्तन, लव जिहाद, बांग्लादेशी घुसपैठ आदि विषयों पर मंथन किया जाएगा। विहिप
अयोध्या में भव्य रूप में बन रहे राम मंदिर के लिए चलाए गए आंदोलन की सफलता से भारत के साथ-साथ विदेश में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं के हृदय में स्थान बना चुके है। बंगाल प्रांत जो भारतीय संस्कृति की संगम स्थली मानी जाती रही है। आज यहां धर्म और संस्कृति को कुंठित किया जा रहा है। उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (विहिप ) की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही मुंबई में 1964 ईस्वी में हुई थी। इसके प्रेरणा श्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ श्री गुरुजी थे। आज विहिप का काम भारत के सभी प्रांतों के साथ साथ विश्व के 50 से अधिक देशों में है। राम मंदिर आंदोलन की सफलता के बाद विहिप ने देश में गो हत्या पर प्रतिबंध, मतांतरण और लव जिहाद पर रोक लगाने के लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया है। देश के सभी प्रखंडों में सेवा केंद्र शुरू करने और सभी पंचायतों में समिति गठित करने में विहिप के कार्यकर्ता से लेकर अधिकारी तक लगे हैं। सामाजिक जागरूकता के माध्यम से विहिप ने अब तक 63 लाख हिंदुओं को मतांतरित होने से बचाया, वहीं नौ लाख से अधिक लोगों की घर वापसी कराने में सफल रहा।विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री डा. वीरेंद्र साहू ने कहा कि भारतीय संस्कृति अनादि काल से विश्व बंधुत्व की भावना को लेकर “सर्वे भवंतु सुखिनः” की उद्धार विचारधारा को जन-जन में प्रतिष्ठित करने का कार्य करते रही है, इसी कारण प्राचीन काल से ही भारत के प्रति विश्व समुदाय का आदर और श्रद्धा का भाव रहा है। हिंदू समाज समरस एवं समृद्ध था अपितु मुस्लिम आक्रांताओं के आगमन के बाद हिंदू समाज की एकता व अखंडता को तार-तार कर उसे जातिवादी, क्षेत्रवादी, भाषावादी व मत-पंथ-संप्रदाय वादी विभेदों में बांट कर पहले मुगलों (मुस्लिमों) ने और फिर अंग्रेजों ( ईसाइयों ) ने भारत पर शासन किया। विपत्ति चाहे अनगिनत आईं, किंतु यहां के हिंदू समाज में न तो ज्ञान की, न वीरता व पौरुष की, न धैर्य की और न धर्म की कभी न्यूनता हुई। हिंदू समाज ने विधर्मियों के विरुद्ध क्षमता से भी अधिक प्रतिकार व वीरता का परिचय दिया, फिर भी आक्रांताओं के दमन से अपने आपको नहीं बचा पाए एवं सैकड़ों वर्ष तक पराधीनता का दंश झेलते रहे।1925 में डा केशवराव बलिराम हेडगेवार ने समाज को एक सूत्र में बांधने के लक्ष्य को लेकर शाखा प्रारंभ की। इन शाखाओं में कर्मठ कार्यकर्ताओं का निर्माण होता रहा। भारत 1947 में स्वाधीन भी हुआ। हमें भौतिक स्वाधीनता तो मिली परंतु सांस्कृतिक स्वाधीनता नहीं मिल पाई। परिणामत: देश के अंदर हिंदू एवं हिंदुत्व पर कई प्रकार की विपत्तियां आते रही है। आक्रमण के कारण मानबिंदुओं पर लगे कलंक हिंदू समाज को उद्वेलित करता रहा, परंतु इसके लिए एक नेतृत्वकर्ता संगठन की आवश्यकता थी। अप्रैल 1984 में नई दिल्ली में प्रथम धर्म संसद का अधिवेशन संपन्न हुआ, जिसमें लगभग 125 संप्रदायों के सैकड़ों साधु-संत सहभागी हुए। इसी वर्ष श्री राम जन्मभूमि आंदोलन भी प्रारंभ हुआ। 8 अक्टूबर 1984 को विहिप की युवा शाखा के रूप में बजरंग दल की स्थापना की गई। 1994 में काशी में हुई धर्म संसद में काशी के डोम राजा को मंच प्रदान किया गया। उसी सम्मेलन में वनवासी, अनुसूचित जाति व पिछड़ी जाति के हज़ारों लोगों को ग्राम पुजारी के रूप में प्रशिक्षण देकर मंदिरों में पुरोहित के रूप में दायित्व सौंपा गया।
90 हजार से अधिक सेवा प्रकल्प चल रहे हैं
विश्व हिंदू परिषद द्वारा समाज के सहयोग से देश भर में 90 हजार से अधिक सेवा प्रकल्प भी चलाए जा रहे हैं। इनमें से लगभग 70 हजार संस्कार केंद्र, दो हजार से अधिक शिक्षा केंद्र, 1800 स्वास्थ्य केंद्र, 1500 स्वावलंबन केंद्र तथा शेष लगभग 15 हजार केंद्रों में आवासी छात्रावास, अनाथालय, चिकित्सा केंद्र, कंप्यूटर, सिलाई, कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र, विवाह केंद्र, महाविद्यालय, कालेज इत्यादि प्रमुख हैं। विहिप का कार्य लगातार बढ़ता जा रहा है। इस संगठन को भी कुछ राज्य सांप्रदायिकता के चश्मे से देख इसके विस्तार में रोड़े अटका रहे है। देखना होगा कि उत्तर बंगाल के कौन कौन से जिले में शौर्य जागरण यात्रा की अनुमति दी जाती है या रोक।  (रिपोर्ट अशोक झा)

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