नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल पुलिस की चार्जशीट में मिले दोषी
नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल पुलिस की चार्जशीट में मिले दोषी
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उप्र बस्ती जिले में निलंबित नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल को भले ही कोर्ट से जमानत मिल गई है, मगर उनकी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। बीते मंगलवार को सीजेएम की अदालत पुलिस की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट में वह दोषी पाए गए हैं। निलंबित नायब तहसीलदार पर लगे आरोपों की पुलिस ने पुष्टि कर दी है।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में कोतवाली पुलिस ने मामले से जुड़ी पुलिस की केस डायरी में जरूरी प्रपत्र, नक्शा नजरी, मेडिकल रिपोर्ट, पीड़ित महिला अफसर का 161 व 164 के बयान सहित सभी अभिलेख प्रस्तुत कर दिए गए हैं। विवेचक ने बताया कि आरोपी नायब तहसीलदार पर लगे सभी आरोपों को तहकीकात के दौरान सही पाया गया है। सभी के साक्ष्य भी कोर्ट को उपलब्ध करा दिए गए हैं। मालूम हो कि 16 नवंबर 23 को जिला मुख्यालय पर रहने वाली महिला अधिकारी ने तहरीर देकर नायब तहसीलदार घनश्याम पर 11 नवंबर 23 की रात सरकारी आवास में घुसकर दुष्कर्म की कोशिश, गला दबाकर हत्या का प्रयास, मारपीट, धमकी देने का केस दर्ज कराया था। इस मामले में फरार ओरापी पर एसपी गोपालकृष्ण चौधरी के आदेश पर 25 हजार का इनामी घोषित किया गया था। उसके बाद एक नाटकीय घटनाक्रम में 27 नवंबर को कोतवाली पुलिस ने आरोपी घनश्याम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बीते मंगलवार छह फरवरी की शाम को वह जमानत पर रिहा किए गए।
कोतवाली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में लिखा है कि सोहरौना राजा गांव, थाना भिटौली, जनपद महराजगंज के मूल निवासी व हाल मुकाम आनंद विहार कॉलोनी, राप्तीनगर फेज वन, थाना शाहपुर, गोरखपुर निवासी घनश्याम शुक्ला के विरुद्ध धारा 452, 323, 504, 354, 307, 376, 511 आईपीसी की धाराओं इन पर लगे आरोपों की पुष्टि हुई है। इसके साक्ष्य बयान व मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मिले हैं।
वही बचाव पक्ष के अधिवक्ता कहना है कि नायब तहसीलदार को हैरान परेशान करने के लिए गलत व फर्जी तौर पर अभियुक्त बना दिया गया है। उनका प्रार्थी निर्दोष है। कानूनी राय-मशविरे के बाद देर से एफआईआर दर्ज कराई गई है। 161, 164 व सीडीआर की पृष्ठभूमि बनावटी, संदिग्ध व अविश्वसनीय है। उक्त घटना का कोई प्रत्यक्ष साक्षी भी नहीं है।