यह सही नहीं की कानून-व्यवस्था पूरे बंगाल में ध्वस्त हो गई है, लेकिन ऐसे काफी क्षेत्र हैं, जहां गुंडों का नियंत्रण : राज्यपाल

 

कोलकाता: 2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सत्तारूढ़ टीएमसी को राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर घेर रही है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपने भाषणों में केंद्रीय जांच एजेंसियों को (ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई) पर हमला बोल रही हैं। इस सब के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने एक इंटरव्यू में बड़ा बयान दिया है। राज्यपाल ने कहा कि कानून-व्यवस्था पूरे राज्य में खराब नहीं है और राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा के लिए वर्तमान तृणमूल कांग्रेस सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि इसका कारण अतीत की विरासत हो सकता है। बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहा है। बोस ने कहा कि उनकी और बनर्जी की धारणाएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन वे एक उचित शिष्टाचार बनाए रखते हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में अपने मौजूदा कार्यकाल को उनके लिए तथ्यान्वेषण और डेटा-एकत्रित करने का समय बताया। बोस ने कहा कि कानून-व्यवस्था पूरे राज्य में खराब नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि गुंडों का काफी इलाकों पर नियंत्रण है। बाेस ने कहा कि मैंने संदेशखाली में देखा कि महिलाएं सम्मान के साथ शांति चाहती थीं, लेकिन उनका सम्मान खंडित हो गया था। यह चिंताजनक स्थिति थी, जो पश्चिम बंगाल के परिदृश्य को खराब कर रही है। यह (स्थिति) कुछ क्षेत्रों तक सीमित है लेकिन इनकी संख्या बढ़ रही है। यह समस्या है। इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि कानून-व्यवस्था पूरे पश्चिम बंगाल में ध्वस्त हो गई है, लेकिन ऐसे काफी क्षेत्र हैं, जहां गुंडों का नियंत्रण है। राज्यपाल ने राज्य के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा के लिए वर्तमान तृणमूल कांग्रेस सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहराया और कहा कि यह अतीत की विरासत थी। उन्होंने 19वीं सदी में इंग्लैंड के संसदीय क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव के लिए कृत्रिम रूप से ‘रॉटन बरो’ बनाया गया था। अब मुझे लगता है कि यहां भी ऐसा ही हो रहा है। कुछ स्थानों पर गुंडा राज है।नहीं उठाए जरूरी कदम
बोस ने कहा कि चुनी हुई सरकार ने संदेशखाली में हुए अत्याचार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। मैं बंगाल के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा के लिए वर्तमान सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं मानता। यह अतीत की विरासत थी, लेकिन सत्ता में मौजूद सरकार का कर्तव्य था कि वह इसे दबाए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। बनर्जी के साथ उनके समीकरण और मुख्यमंत्री के कार्य करने के तरीके के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर बोस ने कहा कि कई मुद्दों पर उन्होंने कहा कि असहमत होने के बावजूद सहमत होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक राजनीतिक व्यक्ति होता है, राज्यपाल ऐसा नहीं होता। स्वाभाविक रूप से, उनकी धारणाएं मुझसे अलग होंगी। ऐसे कई मौके आए जब हमारी सोच एक-दूसरे से अलग रही, लेकिन हमने असहमति के बावजूद सहमत होने का फैसला किया। हम हमेशा उपयुक्त शिष्टाचार बनाए रखने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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