गणगौर उत्सव 11 को, गांधी मैदान सिलीगुड़ी में होगा घूमर नृत्य

बंगाल में देखने को मिलेगा राजस्थान का नजारा

सिलीगुड़ी: प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पूजा होती है। उस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं, पूजा करती हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगा। वही इस व्रत की खासियत यह है कि महिलाएं इसे गुप्त रूप से करती हैं। वे अपने पति को व्रत और पूजा के बारे में नहीं बताती हैं। यह व्रत एवं पूजा पति को बिना बताए की जाती है। गणगौर का व्रत और पूजन अविवाहित लड़कियां भी करती हैं ताकि उनको मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो सके। इस बार गणगौर के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं। गणगौर पूजन के दौरान, गाने-नृत्य के साथ ही सगाई, हल्दी, और मेहंदी की रस्में भी आयोजित की जा रही हैं। मंगलवार को गणगौर पूजन करने वाली नवविवाहिताओं ने हल्दी की रस्म को निभाया। इसमें महिलाओं में उत्साह और जोश देखने को मिला, वे महिलाओं ने हल्दी की थीम पर पिंक कलर के कपड़े पहने और पिंक कलर से घर को सजाया था। इस दौरान, सभी नवविवाहिताओं, युवतियों, और महिलाओं ने गणगौर के सांस्कृतिक गानों के साथ हल्दी लगाई, और फिर राजस्थानी गानों पर नृत्य किया होलिका दहन के बाद से ही गणगौर पूजन की तैयारियाँ शुरू हो गई थीं। होलिका दहन की मिट्टी लाकर और उनके पिंड बनाकर हमने गणगौर पूजन शुरू किया था। शीतला अष्टमी तक हमने सुबह पूजा की ओर शीतला अष्टमी के बाद कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर गणगौर बनाई और तब से हम सुबह और शाम दोनों समय गणगौर का पूजन कर रहे हैं। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम से वार्ड 8 स्थित गांधी मैदान में गणगौर उत्सव का आयोजन किया जाएगा। यहां महिलाएं घूमर नृत्य के माध्यम से उत्सव का आनंद और इसकी भव्यता को दर्शाने की तैयारी की है। इसकी जानकी शालिनी डालमिया ने पत्रकारों को दी। बताया गया की महिलाएं छिपाकर क्यों करती हैं गणगौर व्रत और पूजा?
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार माता पार्वती ने भगवान महादेव के लिए व्रत और पूजा की। किन्तु वो भोलेनाथ से इसके बारे में बताना नहीं चाहती थीं। शिव जी ने बहुत प्रयास किया कि वे बता दें, किन्तु माता पार्वती ने उस बारे में कोई बात नहीं की। वे गुप्त रूप से वह व्रत करना चाहती थीं। इस कारण प्रत्येक वर्ष महिलाएं गणगौर व्रत और पूजा अपने पति से छिपाकर करती हैं। यहां तक कि इस व्रत और पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को भी पति को खाने को नहीं देती हैं। गणगौर पूजा: गणगौर का संबंध भगवान महादेव एवं माता पार्वती से है। गण का अर्थ शिव और गौर का अर्थ गौरी है। इसलिए इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। शिव और गौरी की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य एवं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। रिपोर्ट अशोक झा

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