योगी से कर्नाटक के उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री के नेतृत्व में आये प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से आज यहां उनके सरकारी आवास पर कर्नाटक के उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री श्री सी0एन0 अश्वथ नारायण के नेतृत्व में आये प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की। प्रतिनिधिमण्डल ने माला पहनाकर मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन किया। यह प्रतिनिधिमण्डल अयोध्या भ्रमण के उपरान्त राजधानी लखनऊ पहुंचा।
मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश आगमन पर सभी आगन्तुकों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के मध्य बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। यह घनिष्ठ सम्बन्ध इस रूप में है कि कर्नाटक में भगवान श्री मंजूनाथ की परम्परा, नाथ सम्प्रदाय की शैव परम्परा को ही आगे बढ़ाती है और एक दूसरे को सुदृढ़ आध्यात्मिक भारत के साथ जोड़ती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कर्नाटक को संकट का साथी कहा जाता है। कर्नाटक क्षेत्र में प्रभु श्रीराम के सहयोग के लिए मारुति नन्दन हनुमान जी आगे आये थे। हनुमान जी की सहायता भारत में रामराज्य की स्थापना का आधार बनी। अयोध्या में हनुमान गढ़ी सबसे ऊंचा स्थल है और अयोध्या के रक्षक हनुमान जी हैं। उत्तर प्रदेश व कर्नाटक राज्य को परस्पर रूप से अपने सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक सम्बन्धों को निरन्तर आगे बढ़ाते रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी आस्था के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव होना चाहिए। विगत 05 शताब्दी की प्रतीक्षा के उपरान्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में आज अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मन्दिर के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से श्री काशी विश्वनाथ धाम देशवासियों को समर्पित किया जा चुका है। अपनी उपलब्धियों पर हम सभी को गौरव की अनुभूति होनी चाहिए।
कर्नाटक के उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध रामायणकालीन हैं। आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में यह सम्बन्ध नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं। कर्नाटकवासी मुख्यमंत्री जी के व्यक्तित्व, कार्यशाली और विज़नरी एप्रोच से प्रभावित हैं। प्रतिनिधिमण्डल में अधिकांश लोग कर्नाटक के रामनगर व बेंगलुरु के हैं। जनपद रामनगर सिल्क, मिल्क व आम के लिए प्रसिद्ध है। कनार्टक राज्य आई0टी0 हब के साथ ही पारम्परिक चिकित्सा पद्धति के हब के रूप में भी जाना जाता है।

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