ममता के लाख विरोध के वाबजूद बंगाल में भी नागरिकता देने का सिलसिला हो गया शुरू

कोलकाता: लोकसभा चुनाव 2024 का आखिरी यानि सातवां चरण होना अभी बाकी है। 1 जून को होने वाली वोटिंग से पहले पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत पश्चिम बंगाल में भी नागरिकता देने का सिलसिला शुरू हो गया है। यह ऐसे समय में हुआ है जब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार सीएए का विरोध कर रही हैं। केंद्र सरकार ने सीएए के तहत पश्चिम बंगाल के साथ-साथ हरियाणा और उत्तराखंड में नागरिकता देने की शुरूआत कर दी है गृह मंत्रालय ने ने एक बयान में कहा कि संबंधित राज्यों की अधिकार प्राप्त समिति ने तीनों राज्यों के आवेदकों को बुधवार (29 मई) को नागरिकता प्रदान की। नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के तहत नागरिकता प्रमाण-पत्र देने की प्रक्रिया अब पश्चिम बंगाल राज्य में भी शुरू हो गई है, जहां राज्य से आए आवेदनों के पहले सेट को आज अधिकार प्राप्त समिति, पश्चिम बंगाल की ओर से नागरिकता प्रदान की गई।
पश्चिम बंगाल में सीएए का कदम क्यों है बड़ा?: दरअसल, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएए का विरोध कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि वो राज्य में सीएए, यूसीसी और एनआरसी लागू नहीं होने देंगी. इन सब के बीच आज बुधवार (29 मई) को पश्चिम बंगाल में लोगों को नागरिकता भी दे दी गई। 15 मई को दी गई दी पहली बार नागरिकता: नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 की अधिसूचना के बाद दिल्ली की अधिकार प्राप्त समिति ने पहली बार भारतीय नागरिकता प्रदान की। आवेदनों की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन पोर्टल के जरिए की जाती है. इन आवेदकों को 15 मई को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृह सचिव ने नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपा।किन-किन लोगों को मिल रही नागरिकता: भारत सरकार ने दिसंबर 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से 31 दिसंबर 2014 को या इससे पहले आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए सीएए बनाया है. राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद कानून को अधिसूचित कर दिया गया था लेकिन भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियम चार साल की देरी के बाद 11 मार्च को जारी किए गए। केंद्रीय गृह सचिव ने 15 मई को विभिन्न देशों से आए शरणार्थियों के एक सेट को सर्टिफिकेट देकर भारत की नागरिकता दी थी।हालांकि, ममता बनर्जी लगातार सीएए का विरोध कर रही थीं। जब ममता ने कहा सीएए लागू नहीं होने देंगी: ममता बनर्जी ने अप्रैल महीने में अपने एक बयान में कहा था, “समान नागरिक संहिता स्वीकार्य नहीं है। मैं सभी धर्मों में सद्भाव चाहती हूं। आपकी सुरक्षा चाहती हूं.” तब ईद के मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम ममता ने कहा था कि वह यूसीसी, एनआरसी और सीएए को लागू नहीं होने देंगी। 11 मार्च को जारी किए गए सीएए के नियम: भारत सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) नियम-2024 जारी किया था। नियमों में आवेदन पत्र के तरीके, जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा आवेदनों के प्रोसीजर और राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा जांच और नागरिकता प्रदान करने के नियम बनाए गए थे। ऑनलाइन पोर्टल से किया जाता है आवेदन: आवेदनों का प्रोसीजर पूरी तरह ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाता है. इन नियमों के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के ऐसे लोगों से आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो धर्म के आधार पर उत्पीड़न या ऐसे उत्पीड़न की डर से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर गए थे। रिपोर्ट अशोक झा

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