पीएम के शपथग्रहण के कारण अब सिक्किम में 10 को शपथ लेंगे प्रेम सिंह तमांग (गोले)

12 मंत्रीमंडल के सदस्यों के साथ लेंगे शपथ, रविवार को जायेंगे दिल्ली

सिलीगुड़ी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के कारण सिक्किम राज्य में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) रविवार के बदले अब सोमवार को गंगटोक के पलजोर स्टेडियम में आयोजित एक समारोह में दूसरी बार सिक्किम के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। सूत्रों ने कहा कि गोले रविवार को शपथ लेना चाहते थे लेकिन उसी दिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के कारण शपथ ग्रहण को सोमवार को कराने का निर्णय लिया गया।यह निर्णय शुक्रवार को मिंटोकगांग में सिक्किम के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक के दौरान लिया गया।गोले के सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने हाल के चुनावों के दौरान सिक्किम विधानसभा की 32 सीटों में से 31 के साथ-साथ राज्य की लोकसभा सीट भी जीती। एक सूत्र ने कहा, “10 जून को शपथ ग्रहण की तारीख तय करने के अलावा, नवनिर्वाचित विधायकों ने सर्वसम्मति से भारत के प्रधान मंत्री के रूप में भाजपा नेता मोदी का समर्थन करने का भी फैसला किया।”गोले ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए रविवार को दिल्ली जाने का फैसला किया है।सूत्रों ने कहा कि गोले ने मोदी को आमंत्रित करने की भी योजना बनाई है। सिक्किम के मुख्यमंत्री पीएस तमांग (गोले) ने शुक्रवार को गंगटोक में नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक की। सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह में अमित शाह समेत बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। एक सूत्र ने कहा, “विभिन्न मुख्यमंत्रियों को भी निमंत्रण भेजा जाएगा। समारोह शाम 4 बजे से शुरू होने वाला है लेकिन एसकेएम नेताओं ने जनता से दो घंटे पहले कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने का अनुरोध किया है। सूत्रों ने बताया कि 12 सदस्यीय कैबिनेट भी होगी। सभी सोमवार को शपथ लेंगे। शुक्रवार को सिक्किम के पूर्व सांसद दिल कुमार भंडारी और नंदू थापा ने भी गोले से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थी। जहां भंडारी 1985 और 1991 में सिक्किम का प्रतिनिधित्व करने वाले दो बार के सांसद हैं, वहीं नंदू थापा ने 1991 में राज्य का प्रतिनिधित्व किया।दोनों सिक्किम संग्राम परिषद के नेता थे, जिसकी स्थापना सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी ने की थी। एक सूत्र ने कहा, “मुख्यमंत्री ने एसकेएम पार्टी के प्रति नेताओं के निरंतर समर्थन को स्वीकार किया। दिल कुमारी ने 1992 में नेपाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रिपोर्ट अशोक झा

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